The Influence of Illusion (maya) Hindi: एक बार एक महात्मा ने जनक जी से पूछा – माया का क्या मतलब है ? वह ज्ञानी थे । संत महात्मा जनक जी के साथ शास्रार्थ करने आते थे । जनक जी ने कहा “योग्य समय पर प्रश्न का उत्तर दूंगा”
एक दिन दोनों स्नान कर रहे थे। चौकीदार ने कहा ” महाराज! गजब हो गया” जनक जी बोले क्या हुआ? वह बोला महल जल गया जनक जी पूर्ववत स्नान कर रहे थे ।
पर वह महात्मा दौड़ें दौड़ें थोड़ी देर बाद वापस आए । तो जनक जी ने कहा कहां गए थे । महात्मा बोले आपने सुना नहीं, महल जल गया ।आग लग गई । जनक बोले महल तो मेरा जल गया है । पर आपको दौड़कर जाने की क्या जरूरत थी।
महात्मा बोले “महल बेशक आपका था । पर उस महल में एक लंगोट सूख रही थी”, वह मेरी थी। जनक जी ने कहा बस इसी का नाम माया है। आपकी लंगोट और महल मेरा यही माया है। माया दो प्रकार की होती है विद्या और अविद्या।
विद्या ईश्वर की शक्ति से जगत का निर्माण करती है । अविद्या प्राणी को भूल भुलैया में डाल देती है। भक्तों में भी कभी-कभी माया आ जाती है। अविद्या संतो के पास नहीं आ सकती, पर विद्या रुपी माया संतो में भी आ जाती है ।
दोस्तों हमेशा सही और गलत में फर्क करना सीखे ।कुछ लोग अपना सब कुछ छोड़ करके भी संत नहीं हो पाते है ।और कुछ संसार में रहते हुए भी महान संत होते है। महाराजा जनक भी इसके एक श्रेष्ठ उद्धरण है। धन्यवाद।
यह लेख हमें देव प्रकाश लखेडा जी ने ऋषिकेश से भेजा है । यदि आप को भी कुछ लिखने का शोक है। या फिर आपके पास भी कोई Motivational Story है तो आप भी हमें besthindithought@gmail.com पर अपने लेख भेज सकते है।
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अवश्य पढ़े –मनुष्य की खोपड़ी कभी नही भरती