धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय | Dhirendra Krishna Shastri ka Jivan Parichay

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में गंडा पंच गांव, जिला छतरपुर मध्य प्रदेश (MP) में जुलाई 1996 को हुआ। इनकी माता का नाम सरोज गर्ग और पिता का नाम श्री रामकृपाल गर्ग है।घर में एक छोटी बहन और एक छोटा भाई है। महाराज जी शुरुआत में अपने गांव में रहते थे वहीं पर अपना जीवन यापन करते थे बचपन से ही वह हनुमान जी की पूजा करते थे जिसकी शिक्षा उनको उनके दादाजी के द्वारा प्रदान की गयी थी ।

धीरेंद्र शास्त्री जी का शैक्षिक जीवन

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने गांव के ही स्कूल में शिक्षा प्राप्त करते थे। लेकिन बाद में जब वह बड़ी कक्षा में गए। तो वह गांव से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी स्कूल मैं शिक्षा प्राप्त करने जाया करते थे। इसके बाद वह कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए गए । जहां से उन्होंने अपनी स्नातक की परीक्षा पास की। लेकिन पढ़ाई लिखाई में ज्यादा रुचि ना होने से वह अपने दादा जी से पौराणिक कहानियां सुना करते थे जिसमें मुख्य रूप से रामायण, महाभारत, पुराण, उपनिषद आदि होते थे। कुछ दिनों बाद हनुमान जी की उन्होंने काफी साधना की और उन्हें कुछ सिद्धियां प्राप्त हुई जिसके फलस्वरूप उन्होंने एक छोटा सा दरबार लगाना शुरू कर दिया जिसमें वह लोगों की समस्या का समाधान हनुमान जी की इच्छा से करते हैं।

महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के गुरु


महाराज जी का जन्म जहाँ पर हुआ वह बागेश्वर धाम मैं आस्था पूर्ण आस्था रखते थे। इनके दादा जी भी बागेश्वर में पूजा करते थे। इसी स्थान पर इनके गुरु सन्यासी बाबा की समाधि भी बनी है।
सन्यासी बाबा जी भी इनके कुल के थे। लगभग 320 वर्ष पूर्व इन्होंने इसी जगह पर समाधि बनी हुई है। इनके दादा जी भी पूर्व में धाम में दरवार लगते थे। फलस्वरूप इनके भीतर भी आस्था का जन्म हुआ।
धीरेन्द्र शास्त्री जी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नही थी जिसके फलस्वरूप उन्होंने अर्जी लगाई और बाबा जी ने इनको अपना शिष्य बना लिया। इसी दौरान इन्होंने हनुमान जी साधना की ओर सिद्धियां प्राप्त की और बागेश्वर धाम की सेवा शुरू कर दी।

बागेश्वर धाम

बालेश्वर धाम हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है जोकि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के गंडा में स्थित है। इसी गांव में महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का जन्म हुआ है। देशभर से लोग यहां अपनी अर्जी लगाने आते हैं। अर्जी लगाने के लिए नारियल में लाल कपड़ा बांधकर धाम परिसर में रखना होता है।

यहां पर आप भिन्न-भिन्न रंग के कपड़ों में बंधे नारियल भी देख सकते हैं जिनका अलग-अलग मतलब होता है। सामान्यतः लाल कपड़े में बंधे नारियल की अर्जी सामान्य अर्जी और पीले कपड़े में शादी विवाह से संबंधित अर्जी होती है । और काले कपड़े में बंधे नारियल में भूत बाधा से संबंधित अर्जी होती है। ऐसा माना जाता है कि जो यक्ति भी इस मंदिर में जाकर मनोकामना मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी कथावाचक कैसे बने


धीरेंद्र कृष्ण जी का बचपन गरीबी में रहा। बचपन से ही उन्हें काफी संघर्ष में जीवन बिताना पड़ा। परिवार के भरण पोषण के लिए वह एकमात्र जरिया थे। परिवार के भरण-पोषण के लिए वह कुछ रोजी-रोटी का साधन ढूंढ रहे थे। अध्यात्म में रूचि होने के कारण वह सत्यनारायण भगवान की कथा करने लगे। आगे चलकर वह कथा वाचक बन गए। और जगह जगह जाकर कथा करने लगे। फलस्वरूप उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिला।

पीठाधीश्वर कैसे बने धीरेन्द्र कृष्ण


धीरेंद्र कृष्ण के दादाजी बागेश्वर धाम में गद्दी लगाया करते थे। वह भी उनके साथ वहां गद्दी लगाने जाया करते थे। लेकिन जब दादाजी ने हैं समाधि ले ली तब वह अकेले पड़ गए ।और वही एक ऐसे व्यक्ति थे जो इस गद्दी को संभाल सकते थे । जिसके कारण उनको ही पीठाधीश्वर बना दिया गया और वही वहां पर दरबार लगाने लगे। प्रत्येक मंगलवार को वह बालाजी में दरबार लगाते हैं और लोगों के जीवन से संकट दूर करते हैं।

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कार

महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री प्रत्येक मंगलवार को बागेश्वर धाम में गद्दी लगाते हैं। जहां पर वह लोगों के मन की बात जानकर उनकी समस्याओं का समाधान बताते हैं जिससे कि लोग अपनी समस्याओं से समाधान पा लेते हैं । लेकिन बाबाजी लोगों के मन की बात कैसे जान लेते हैं इस बात के कारण लोग उनको चमत्कार करने वाले बाबा जी भी कहते हैं।

FAQ

प्रश्न : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कितने साल के हैं?
उत्तर : प्रश्न : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री २६ साल के है।

प्रश्न : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म कब हुआ?
उत्तर : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई १९७६ को हुआ।

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