एक व्यक्ति भीख मांग रहा था। अचानक वहां उसे नारद जी मिल गए। नारद जी कहीं जा रहे थे। भिखारी ने चरण स्पर्श किए और कहां मैं भीख मांग मांग कर थक गया हूं।
कुछ कृपा करो ! नारद जी को दया आ गई। उन्होंने कुबेर पति को पत्र लिखा। की परम पूजनीय धन के स्वामी कुबेर जी मैं नारद। आपके पास एक भिखारी व्यक्ति को भेज रहा हूं। कृपया इसके पात्र का ध्यान देना।
नारद जी ने दया के साथ कहा कि जा कुबेर के पास और पत्र देकर कहना कि नारद जी ने कहां है कि इस पात्र को भर दे। नारद ने कहा वह अवश्य तेरा पात्र भर देगा।
वह पात्र लेकर कुबेर के पास गया । नारद जी की चिट्ठी कुबेर को लेनी पड़ी। इसलिए कुबेर ने उस पात्र को भरने का आदेश अपने सेवको को दिया । भरते भरते महाराज कुबेर का खजाना खाली होने लगा।
और पूरा खजाना सेवकों के देखते-देखते खाली हो गया । पर पात्र नहीं भरा कुबेर के सेवकों ने कहा महाराज गजब हो गया नारद जी से विनती करो की अब चिट्ठी लिखने में ध्यान रखें।
कुछ भी रहने नहीं दिया । यह पात्र कोई जादू की माया है। समझ में नहीं आता यह भरता ही नहीं कुबेर ने आकर देखा तो । सारा खजाना खाली था । और पात्र नहीं भरा था । कुबेर ने नारद को कहा आप चिट्ठी लिखने से पहले विचार किया करो।
यह पात्र अभी तक नहीं भरा है । और मेरा खजाना खाली हो गया है । नाराज GB देखकर दंग रह गए की यह कैसा पात्र है।
जो भरता ही नहीं नाराज जी भीखारी के पास गए और कहा जरा पात्र तो बता इसमें क्या है। उल्टा करके जब पात्र देखा तो वह पात्र नहीं मानव मनुष्य की खोपड़ी थी। जो पूरी नहीं भर रही थी। खोपड़ी भरती ही नहीं है।
सारा जगत भर जाए पर मेरी या आपकी खोपड़ी कभी नहीं भरती होगी और चाहिए और चाहिए और चाहिए आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो ब्रम्ह कभी खोपड़ी में नहीं भरा जाता वह बुद्धि से परे है इत्यादि।
तो दोस्तों जीवन में पैसे जरुर कमाए। लेकिन अपने लालच व इच्छाओ पर भी नियंत्रण जरुर रखे।
यह लेख हमें देव प्रकाश लखेडा जी ने ऋषिकेश से भेजा है । यदि आप को भी कुछ लिखने का शोक है तो आप भी हमें besthindithought@gmail.com पर अपने लेख भेज सकते है।
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Bhut bdhiya