मकर संक्रांति महत्व का खास वैज्ञानिक और आध्यत्मिक महत्व | Makar Sankranti Hindi

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?

मकर सक्रांति हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों मे से एक है।  प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार पौष मास के महीने के महीने  में सक्रांति के दिन मनाया जाता है। हिन्दू ज्योतिष  गणित के हिसाब  इस दिन से सूर्य देवता  उत्तरायण की और  जाने लगते है।  इस खगोलीय घटना  के उपलक्ष में यह त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी माह में १४ या १५ तारीख को मकर सक्रांति के रूप में मनाया जाता है।  इस वर्ष २०२३ में  मकर सक्रांति का यह पर्व १५ जनवरी को मनाया जायेगा।  

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण

इस दिन से दिन बड़े होने लगते है और राते छोटी होने लगती है।  साल का सबसे छोटा दिन २१ दिसंबर को  है लेकिन १४  जनवरी से सूर्य देव उत्तरायण होने लगते है  जो अभी तक दक्षिणायन थे यानी की सूर्य उतर की और धीरे धीरे बढने लगते है इस लिए हिन्दू परम्परा  इस दिन को मकर सक्रांति के पर्व के रुपए में मानते है

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का भारत में विशेष महत्व है यह पर्व बड़े हर्षोलास के साथ पुरे भारतवर्ष में  मनाया जाता है। अलग अलग स्थानों में इस त्यौहार को कही नमो से जाना जाता है। लेकिन प्रत्येक राज्य के लिए यह विशेष महत्व रखता है

उत्तराखण्ड, उतर प्रदेश,बिहार में इस त्यौहार को खिचड़ी मकर सक्रांति , गुजरात में उत्तरायण , हरियाणा में माघी नाम से जाना जाता है। अन्य राज्यों में कही अलग अलग नाम से इस त्योहार को जाना जाता है।  

 सभी राज्यों में इस परिवर्तन के समय को  धूम धाम से स्नान, पूजा पाठ, ध्यान ,जप  आदि के साथ मनाया जाता है। इस दिन प्रयाग स्नान और गंगा स्नान को विशेष महत्व दिया जाता है। यदि कोई गंगा स्नान नहीं कर सकता है तो वह घर पर ही स्नान अवश्य करता है इस गंगा घाटों पर यहाँ खूब भीड़ स्नान के लिए देखी जाती है।  इस दिन स्नान को महास्नान के नाम से भी जाना जाता है। 

मकर संक्रांति का आध्यत्मिक महत्व – 

आधात्मिक दृश्टिकोण से मकर संक्रांति  का यह पर्व अत्यंत ही श्रेष्ठ माना जाता है ऐसा माना जाता है उत्तरायण के दिन देवता नींद से जाग जाते है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इस दिन देवीय शक्तियों का धरती पर आगमन भी माना जाता है। 

उत्तरायण का  समय अति शुभ माना गया है।  भीष्म पिता माह बाणों की सय्या पर कही मास तक इस शुभ अवसर की प्रतीक्षा में रहे थे।  उत्तरायण आने पर ही उन्होंने अपने प्राण त्याग किये थे। 

 ध्यान साधना के लिए भी इस समय  को उत्तम माना जाता है।  

 माघे मासे महादेव: योदास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलानभोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

ऐसा माना जाता है की माघ मास के इस दिन को अत्यंत ही शुभ माना गया है यदि कोई  दान पुण्य  करता है तो वह अंत समय में मोक्ष  प्राप्ति में सहायक  होता है।  

FAQ 

प्रश्न : मकर संक्रांति 2023 में कब है

उत्तर:  मकर संक्रांति २०२३ में १५ जनवरी को है। 

प्रश्न :सूर्य उत्तरायण कब होता है 2021

उत्तर: सूर्य  उत्तरायण १४ जनवरी से होता है।  

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