अधिभार का अर्थ (मीनिंग ऑफ ओवर लोडिंग) :-
जब किसी खिलाड़ी को उसके शारीरिक क्षमता या योग्यता से अधिक अभ्यास दिया जाता है तो इसके कारण ट्रेनिंग के विभिन्न अवस्थाओं के सामान्य विकास में बाधा होने लगती है और खिलाड़ियों के प्रदर्शन क्षमता में कमी आ जाती है । जिससे अधिभार की स्थिति कहते हैं । अधिभार घटी हुई प्रदर्शन क्षमता की एक स्थिति है , इस अधिभार की स्थिति को ओवरट्रेनिंग भी कहते हैं।
प्रत्येक खिलाड़ी के जीवन में ट्रेनिंग एवं प्रतियोगिता की मांगों को ध्यान में नहीं नहीं रखना चाहिए बल्कि अन्य मांगों को भी ध्यान में रखना चाहिए । जो कि खिलाड़ियों की जीवन से जुड़ी हुई है जैसे हमारा वातावरण संक्रमण आदि अर्थात ट्रेनिंग भार के अलावा अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए । जब खिलाड़ी के सहनशीलता से अधिक कार्य हो जाता है तो उसे अधिभार कहते हैं यह अधिभार की स्थिति खेल प्रशिक्षक एवं खिलाड़ी दोनों पर ही होती है।
अधिभार की परिभाषा-
अधिभार को अधिक प्रशिक्षण भी कहते हैं जिसके कारण शरीर में कार्य किए एवं मनोवैज्ञानिक कारकों में परिवर्तन होता है।
अधिभार व्यवहार है जो एक ट्रेनिंग चक्र में लंबी अवधि तक बिना पर्याप्त क्षतिपूर्ति के खिलाड़ी को दिया जाता है।
अधिभार वह स्थिति है जिसमें शारीरिक क्रियाओं के दौरान खिलाड़ी के शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं होती तथा शरीर में लगातार ऑक्सीजन की क्षति होने से मांसपेशियों की रक्त वाहिनी मैं लैक्टिक एसिड जमा हो जाना प्रारंभ हो जाता है जिससे खिलाड़ी के शारीरिक अभ्यास में अवरोध उत्पन्न होता है । अवरोध उत्पन्न होने की स्थिति को अधिभार कहते हैं ।
खिलाड़ी की कार्य क्षमता में वृद्धि के लिए थकान की स्थिति में अभ्यास करने से प्रदर्शन क्षमताओं का विकास होता है अर्थात थकान की स्थिति में खिलाड़ी को दिया गया ट्रेनिंग भार अधिभार कहलाता है।
अधिभार के सिद्धांत-
1. मनोवैज्ञानिक लक्षणों की पहचान-
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक को जल्दी से जल्दी अधिभार के लक्षणों में मनोवैज्ञानिक लक्षणों की ओर भी ध्यान देना चाहिए जैसे किसी इच्छित कार्य को संपन्न करने हेतु अवसर न मिलने के उपरांत उत्पन्न हुई कुंठा आर्थिक पारिवारिक क्षमता आदि कारणों से उत्पन्न चिंता एवं थकान से उत्पन्न व्यवहार में चिड़चिड़ापन इसी बात को लेकर उत्तेजित हो जाना प्रशिक्षक तथा साथी खिलाड़ियों की आलोचना थकान के फल स्वरुप यदि प्रशिक्षार्थी कर रहा हो तो शीघ्र ही प्रशिक्षक को इन लक्षणों की पहचान होते ही प्रशिक्षण कार्यक्रम कुछ अवधि के लिए रोक देना चाहिए किसी कौशल्या अभ्यास को न कर सकने की एकाग्र चित्त चेतना की अवस्था भी ना होने पर प्रशिक्षण या ट्रेनिंग को रोक देना चाहिए ।
2 – अधिभार के कारणों की खोज-
प्रशिक्षक को ट्रेनिंग या प्रशिक्षण कार्य के दौरान अधिभार के कारणों की भी खोज करनी चाहिए । उन्हें यह पता लगाना चाहिए कि अधिभार के कारण क्या ट्रेनिंग मुख्य कौशल अभ्यास से हटकर दिया जा रहा है या ट्रेनिंग कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने हेतु लगातार शीघ्रता पूर्वक खिलाड़ी पर ट्रेनिंग काल के मध्य प्रशिक्षार्थी को क्षति पूर्ति का अपर्याप्त समय दिया गया हो या फिर लगातार एक के बाद एक प्रतियोगिताओं मैं खिलाड़ी को भाग लेने के लिए कहा जाए।
3 – अधिभार के शारीरिक एवं कारकिया लक्षण-
खेल ट्रेनिंग के दौरान अधिभार की स्थिति मैं खिलाड़ी के शारीरिक एवं कारकिय लक्ष्यों को पहचान करना अति आवश्यक है यदि खिलाड़ी के शरीर में थकान के स्थिति है या उसमें जैव रासायनिक परिवर्तन के कारण मानसिक तनाव हो रहा है तो इस स्थिति में अधिभार के सिद्धांत का उपयोग प्रदर्शन बढ़ाने की दृष्टिकोण से उचित नहीं होता है।
4 – प्रशिक्षण योजना में परिवर्तन-
खेल ट्रेनिंग के दौरान यदि खिलाड़ी प्रशिक्षण के कार्यक्रम को सहन नहीं कर पा रहा हो तो प्रशिक्षक को समझना चाहिए कि खिलाड़ी में सामान्य विशेष शारीरिक योग्यता की कमी है या फिर खिलाड़ी प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिभार महसूस कर रहा है इस परिस्थिति में प्रशिक्षक को अपनी प्रशिक्षण योजना में परिवर्तन कर नई योजना तैयार करके प्रशिक्षण देना चाहिए ।
अधिभार के लक्षण
अधिभार के लक्षण दो प्रकर के होते है 1 मनोवैज्ञानिक लक्षण 2 प्रदर्शन लक्षण
मनोवैज्ञानिक लक्षण
1 क्रियाशील सहभागिता में कमी –
खिलाड़ी को प्रतियोगिता में भाग लेने से पूर्व प्रशिक्षण काल में व्यवहार में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं जिसके बारे में प्रशिक्षक को पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है खिलाड़ी के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है जिससे वह छोटी बातों को सहन करने में असमर्थ रहता है कभी-कभी खिलाड़ियों में काफी उत्तेजना पैदा हो जाती है जिससे वह अपने दोस्तों प्रशिक्षक से बात बात में झगड़ा करते हैं।
2. आलोचना-
एथलीट अधिभार की स्थिति में प्रशिक्षण/ प्रशिक्षक से दूर रहता है अपने साथी खिलाड़ियों से संपर्क छोड़ देता है तथा प्रशिक्षक द्वारा सिखाई जाने वाले विधि के आलोचना प्रारंभ कर देता है शक करने की प्रवृत्ति जागृत हो जाती है।
3. एकाग्रता में कमी-
खिलाड़ी की प्रतियोगिता में भाग लेने से पूर्व ही प्रशिक्षण कार्य में एकाग्रता में कमी आ जाती है इसके कारण वह अपना आत्मविश्वास खो देता है और स्वयं को अकेला समझता है अपने साथी से संपर्क छोड़ देता है।
4. आत्मविश्वास में कमी –
अधिभार के कारण खिलाड़ी अपना आत्मविश्वास खो देता है तथा वह अपने प्रशिक्षक को बदलने का प्रयास करता है उसका उत्साह खेल के प्रति कम हो जाता है इन सभी मनोवैज्ञानिक लक्षणों के अलावा व्यवहार में चिड़चिड़ापन चिंता कुंठा उत्तेजना आदि भी अधिभार के लक्षण है इन लक्षणों को दूर करने के लिए प्रशिक्षक को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहिए प्रशिक्षर्थियों से मिलकर रहना चाहिए तथा उसकी समस्याओं का समाधान करने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए।
प्रदर्शन लक्षण
1.अनुकूलन योग्यता-
अधिभार के कारण खिलाड़ी में चिड़चिड़ापन आने से मानसिक दबाव बढ़ता है खिलाड़ी दुखी रहता है अपने मित्रों के साथ मिलजुल कर नहीं रह पाता तथा प्रशिक्षक को अपने बारे में नहीं बता पाता अधिभार सहन करने की क्षमता समाप्त हो जाते हैं सही और गलत का निर्णय लेने में खिलाड़ी सफल नहीं रह पाता प्रतियोगिता में व्यवहार अनियमित हो जाता है अधिभार के कारण खिलाड़ी को पूर्ण रूप से क्षति पूर्ति प थकान के सापेक्ष नहीं हो पाती जिससे उसके गामक योग्यताओं में कमी आ जाती है।
2. तकनीक में अपूर्ण समन्वयता-
खिलाड़ी का अधि भार के कारण कौशल तकनीक के साथ समन्वय टूट जाता है खिलाड़ी जिस तकनीक में परिपक्व होता है उसे करने में सफल नहीं रहता।
3. प्रतियोगिता गुण-
अधिभार होने के कारण प्रतियोगिता के सामान्य व्यवहार अनियमितता हो जाता है प्रतियोगिता के लिए प्रदर्शन क्षमता भी कम हो जाती है जिससे प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ी बार बार गलती करता है यह गलती खिलाड़ी में कभी-कभी आवेश में आने के कारण होती है खिलाड़ी प्रतियोगिता हारने के बाद दूसरों को दोषी ठहराता है यह सभी घटनाएं अधिभार के लक्षणों को प्रदर्शित करती है इसके अलावा खिलाड़ी को खेल के दौरान खेलने की शैली में भी परिवर्तन आ जाता है।