वैकल्पिक चिकित्सा का सामान्य परिचय | Alternative Medicine Hindi

वैकल्पिक चिकित्सा :- वैकल्पिक चिकित्सा का सामान्य परिचय ग्रंथों के एक सूत्र में मिलता है। श्रीराम व्याधि मंदिरा अर्थात इस शरीर में विभिन्न प्रकार की व्याधियों निवास करती हैं। इन्हीं व्याधियों के निवारण के लिए वैकल्पिक चिकित्सा का प्रादुर्भाव हुआ था। मनुष्य के अत्यधिक सावधान रहने पर भी मनुष्य के शरीर में कोई न कोई रोग स्थान बना लेता है। अर्थात यह मानव शरीर व्याधियों का केंद्र है।

रोगों से बचते हुए शरीर की रक्षा और आरोग्य की सतत स्थिति बनाए रखना कठिन होता है। रोगों का मूल कारण विलासिता पूर्ण जीवन और हमारे दैनिक भोजन में प्राकृतिक तत्व का अभाव होना है। जिसके कारण हमारे शरीर में असंतुलन आ जाता है और व्याधियों उत्पन्न होती हैं।

स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कारक है।

  • आहार
  • वंशानुक्रम
  • पर्यावरण
  • संस्कृति
  • दिनचर्या
  • आर्थिक स्वर
  • मनोवैज्ञानिक दशाएं
  • स्वास्थ्य सेवाएं


वैकल्पिक चिकित्सा का पारंपरिक स्वरूप


मनुष्य की सर्वप्रथम आवश्यकता शरीर की रक्षा करना है। शरीर रक्षा से तात्पर्य शरीर को रोगों से दूर रखना है। प्राचीन काल में लोगों को देवी का प्रकोप समझा जाता था तथा उनकी मुक्ति के लिए उपाय भी तंत्र मंत्र ही माने जाते थे।

रोगों से मुक्ति का उपाय अर्थात चिकित्सा शास्त्र कोई प्रत्यक्ष शास्त्र नहीं था। पुजारी तथा तंत्र विद्या को जानने वाले तांत्रिक द्वारा मंत्र पढ़कर तथा भूख द्वारा ही चिकित्सा करा लेना पर्याप्त समझा जाता था। क्योंकि मानव सभ्यता जो जो विकास की ओर बढ़ती गई, प्रत्येक विषय बड़ा रूप धारण करने लगा।

चिकित्सा शास्त्र आज भी एक गहन विषय है। चिकित्सा शास्त्र की कई शाखाएं हैं, जिनमें से वैकल्पिक चिकित्सा या सहायक चिकित्सा भी एक है। वैकल्पिक चिकित्सा का अर्थ चिकित्सा का वह साधन है जिसमें औषधि का प्रयोग करके आराम, व्यायाम, आहार, जल, वायु, मर्दन, दबाव, प्राकृतिक उपचार आदि विभिन्न उपयुक्त साधनों द्वारा रोग के नाश का प्रयत्न किया है।

ध्यान रखना चाहिए कि रोगों की चिकित्सा में इन साधनों का एक प्रमुख स्थान है और चिकित्सा के समय इनको भुलाया नहीं जा सकता। जैसा कि हम जानते हैं कि रोगों के निवारण के लिए नई-नई चिकित्सा पद्धति विकसित की गई है। प्राचीन काल में अनेक अति श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति उपलब्धि थी। जिससे न केवल रोगी व्यक्ति का उपचार होता था। अपितु स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता होती थी।

इन सभी चिकित्सा पद्धतियों का लोप हो गया है जिसके दो कारण समझ में आते हैं नवीन प्रयोगों एवं उपलब्धियों ने प्राचीन विज्ञान के महत्व को कम कर दिया तथा इन पद्धतियों को भूल गए

इन सभी चिकित्सा पद्धतियों का लोप हो गया है जिसके दो कारण समझ में आते हैं नवीन प्रयोगों एवं उपलब्धियों ने प्राचीन विज्ञान के महत्व को कम कर दिया तथा इन पद्धतियों को भूल गए । इन पद्धतियों का नियमित प्रयोग व्यक्तियों को स्वस्थ बनाए रखता था अतः रोगों के अभाव में लोगों की रुचि इन पद्धतियों में कम होती गई।

इन पद्धतियों का नियमित प्रयोग व्यक्तियों को स्वस्थ बनाए रखता था अतः रोगों के अभाव में लोगों की रुचि इन पद्धतियों में कम होती गई।

वैकल्पिक चिकित्सा एवं योग में संबंध

वैकल्पिक चिकित्सा में अनेक पद्धतियों के द्वारा चिकित्सा की जाती है। वैकल्पिक चिकित्सा में चुंबक आधी चिकित्सा में आती हैं। योग को भी वैकल्पिक चिकित्सा के अंतर्गत माना गया है। वस्तुतः योग चिकित्सा नहीं बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। जीवन को सरल बनाने की एक कला है

क्योंकि जो व्यक्ति योगाभ्यास करता है उसे किसी भी प्रकार की व्याधि उत्पन्न नहीं होती। परंतु आधुनिक समय में लोग व्याधियों से ग्रस्त होते जा रहे हैं। जिसके कारण योग को एक चिकित्सा का नाम दिया गया है और योग को भी वैकल्पिक चिकित्सा बना दिया गया है।

योग चिकित्सा में आसन, प्राणायामज़ षट्कर्म, मुद्रा, बंद, ध्यान आदि के माध्यम से चिकित्सा दी जाती है। जिस प्रकार अन्य वैकल्पिक चिकित्सा की सीमा व क्षेत्र होते हैं। उसी प्रकार योग के भी क्षेत्र तथा सीमाएं होती हैं । रोगी के शरीर को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा दी जाती है।

ऐसा नहीं है कि हर व्यक्ति रोग से पीड़ित व्यक्तियों को एक ही तरह की चिकित्सा दी जाती है। चाहे वह योग चिकित्सा ही क्यों ना हो। जो भी चिकित्सा दी जाती हैं उन्हें वैकल्पिक चिकित्सा कहा जाता है। प्रत्येक चिकित्साओं का अपना अपना प्रभाव व सिद्धांत और अपनी अपनी प्रधानता है।

लेकिन सभी चिकित्सा का उद्देश्य एक ही होता है कि शरीर निरोगी बनाना। परंतु योग चिकित्सा में अन्य चिकित्सा से एक महत्वपूर्ण गुण है कि वह व्यक्ति को अध्यात्म से जोड़ती है। क्योंकि योग एक आध्यात्मिकता का विषय भी है जो चिकित्सा के साथ-साथ मोक्ष तक भी जाने का मार्ग है। जीवात्मा का परमात्मा से मिलन योग कहलाता है। चिकित्सा के लिए दवा और दुआ दोनों आवश्यक है।

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