एक कमरा है। उसके चारो कोनो में चार दीपक रखे थे। प्रत्येक दीपक में एक बाती है। जिससे एक लौ निकल रही है। जो मन्द मन्द करके जली जा रही है। वह चारो लौ आपस में बाते कर रही थी।
प्रथम लौ जिसका नाम शांति है। बोली इस दुनिया में शांति के नाम पर सब खत्म हो रहा है। हर जगह काट मार लडाई, झगडा, घृणा, द्वेष, ईष्या ही नजर आ रही है। मेरा अस्तित्व धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। में मर रही हूँ । ऐसा कहते हुये धीरे धीरे वह लौ बुझ जाती है।
दूसरी बाती जिसका नाम प्रेम है। वह कहती है। बोलने को तो मेरा नाम प्रेम है। लेकिन इस समय प्रेम किसी में नजर नही आता। मानव के हदय में बुराई, घृणा, द्वेष, ईष्या ही नजर आती है। प्रेम का स्थान समय की मांग के साथ स्वार्थ की भावना में डूब गया है। अब मेरा इस संसार में कोई काम नजर नही आ रहा है। इसलिये में इस संसार से चली जाती हूं। यह बोलकर वह लौ धीरे धीरे बुझ जाती है।
तीसरी लो जिसका हौसला अब तक टूट चुका था। इसका नाम विश्वास है । वर्तमान समय में विश्वास कही दिखाई नही देता । हर एक व्यक्ति बात तो करता है विश्वास की । लेकिन जब बारी आती है विश्वास सिद्ध करने की । तब पीठ पर छुरा मारने में देर नही करता। भरोसा और विश्वास दोने एक ही नीव पर टीके है। लेकिन भरोसे के काबिल कोई रहा नही। इसलिये विश्वास कहां होगा।
इस कारण मेरा अस्तित्व भी खतरे में आ गया है। इस तरह धीरे धीरे विश्वास की लौ भी बुझ जाती है।सारा कमरा काले अंधेरे की चपेट में आ गया।
तभी कही से कमरे में एक हंसता सा नन्हा बालक आ गया। वह इस घोर अंधेरे को अंधेरे को देखकर डरने लगा। वह इस अंधरे को देखकर धीरे धीरे टूटने लगा, रोने लगा, वह सिसकिया ले लेकर रो रहा था।
तभी उस अंधेरे में एक उजाला दिखाई दिया। और उससे एक आवाज आयी। बेटे क्यो रो रहे हो। यहां मेरे पास आऔ। और वह उसे अपने प्रकाशमयी आंचल में छुपा लेती है।
वह बोलती है तुम्हे डरने की जरुरत नही है। अभी में तुम्हारे साथ हूं। उस नन्हे से बच्चे ने पुछा तुम कौन हो।
तब उस लौ ने कहा मै आशा हूं। और जहां आशा हो वहां निराशा कैसे रह सकती है।
में जब तक जिसके साथ रहूंगी । वो कभी भी अंधेरे में नही डूब सकता। जो कोई भी मेरा दामन थामेगा। उसकी आशाये मेरी मदद से पूरी हो जायेगी। में सदा उसके साथ रहूंगी।
तो दोस्तो आऔ मिलकर आशा नाम की इस लौ की मदद से शांति, प्रेम, विश्वास नाम की लौ को फिर से जलाये।
और इस आशा रुपी लो की मदद से संसार में फिर से शांति प्रेम विश्वास की लौ को जगमगाये।
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