बात 15 वी शदी की है। जब भारत की सल्तनत पर मुस्लिम शासक अकबर का शासन था। उस समय एक राजा दूसरे राजा की बुद्धि परीक्षा लिया करते थे। अब फारस के राजा ने अकबर की परीक्षा लेनी चाही।
परीक्षा लेने के लिये। वहां के राजा ने एक शेर की मूर्ति बनवायी। जो एकदम शेर जैसी लग रही थी। राजा ने इस मूर्ति को एक पिजडे हो रखवा दिया। जिस पर एक बडा सा ताला मार दिया।
और उस पिजडे को अपने दूत के हाथो अकबर के दरबार में भिजवा दिया। व शर्त रखी की यदि तुम्हारे दरबार में कोई बुद्धिमान व्यक्ति है । तो इस मूर्ति को बिना पिजडा खोले ही इस मूर्ति को बहार निकाल कर दिखाये।
और यदि तुम ऐसा करने में असफल रहे तो आप का सारा राज्य फारस का हो जायेगा। महाराज अकबर इस पहेली को देखकर चिन्ता में पड गये।
उनके दरबार में नवरत्न हुआ करते थे। जिनमें एक बीरबल भी था। जो एक अत्यन्त ही बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति था।
लेकिन इस समय बीरबल यहां नही थे। जिस कारण राजा की चिन्ता और बढ गयी।
इस पहेली का कोई समाधान न पाकर अकबर चिन्ता में पड गये। उनको लग रहा था कि मेरा राज्य और इज्जत दोनो मेरे हाथ से जाने वाले है।
लेकिन उसी क्षण बीरबल वहां पहुंच गये। सारी बातो को सुनने व समझने के बाद । वह इस गुथी को सुलझाने में लग गये।
अब बीरबल पीजडे में रखे शेर को ध्यान पूर्वक देखने लगे। थोडी ही देर बाद उन्होन सैनिको को आवाज लगायी। और लोहे की गर्म छड लाने को कहा। जिससे इन्हाने थोडी ही देर में इस शेर को पिजडे से बहार कर दिया।
दरअसल यह शेर फारस के राजा ने मोम का बनवाया था।
इस बात को बीरबल जैसे बुद्धिमान व्यक्ति को समझने में ज्यादा देर नही लगी।
फारस के राजा को जब यह सूचना मिली तो वह बिरबल की चतुराई से दंग रह गया।
अकबर बीरबल की बुद्धिमानी और चतुराई से बडे ही प्रसन्न हुये।
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