मुकुल नाम का एक लडका था। वह रोज शराब पीया करता था। रोज शराब पीने के कारण उसे इस की लत लग गयी। वह अब शराब के बिना रह नही पाता था। उसकी इस लत से उसके माता पिता बहुत परेशान रहने लगे। सब उसे शराब छोडने के लिये कहते कहते परेशान हो गये। वह हार बार यही कहता मै पुरी कोशिश कर रहा हूं।
लेकिन कामयाब नही हो रहा हूं। मुझे ऐसा लग रहा है कि इस लत को मैने नही पकडा है बल्कि इस लत ने मुझे पकड रखा है।वास्तव में वह इस बुरी लत को छोडना चाह राह था लेकिन उसके प्रयास विफल हो रहे थे। वह दिन प्रतिदिन आलसी व काम पर भी उसका मन नही लग रहा था।
काफी समय बीत गया लेकिन मुकुल ने यह आदत नही छोडी । तब उसके माता पिता ने सोचा कि इसकी शादी करा देते है क्या पता फिर वह शराब छोड दे। देखते ही देखते कुछ महीनो में मुकुल की शादी मीरा से हो गयी।
लेकिन मुकुल की शराब की आदत न गई। वह अपनी पत्नी से कहता कि मै शराब छोडना चाहता हूं लेकिन फिर भीमें इसे छोड नही पा रहा हूं।
अब मीरा ने निश्चय किया कि वह मुकुल की शराब छुडवाने की पुरी कोशिश करेगी । उसने अपने पति को कही तरह की दवाये खाने में मिला मिलाकर खिलायी । लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। उसकी हर तरह की कोशिश नाकामयाब रहती।
अब किसी ने मीरा को किसी जोगी बाबा के बारे में बताया। अगले ही दिन वह मुकुल को बाबा के पास लेकर पहुंच गयी। बाबा की कुटिया एक जंगल के किनारे पर थी।
बाबा ने कहा बेटा कैसे आना हुआ। कोई परेशानी है तो बताऔ।
मीरा ने सारी समस्या जोगी बाबा को बता दी। वह काफी समझदार बाबा थे। वह मुकुल की कहानी को भली भांति समझ गये थे। बाबा ने दोनो को अगले दिन आने का सुझाव दिया।
दोनो ही एक उम्मीद लेके घर चले आये। अगली सुबह को वह फिर से जंगल में बाबा की कुटिया के लिये चल पडे।
वहां पहुंच कर उन्होने पाया कि बाबा जी एक पेड को पकडे हुये है। मीरा ने बाबा से पुछा बाबा जी आप ये पेड़ को पकड कर क्यो खडे हुये हो ।
बाबा ने कहा आप आज चले जाओ ओर कल फिर आना।
दोनो के मन में बहुत प्रश्न उठ रहे थे। लेकिन दोनो फिर उत्सुकता के साथ कल के दिन का इंतजार करने लगे।
अगले दिन जब मकुल व मीरा वहां पहुंचे तो वह फिर से आश्चर्यचकित हो गये। बाबा जी वैसे ही पेड को पकडे हुये मिले। दोनो से रहा नही गया और बोले महाराज आप यह पेड को क्यो पकडे हुये हो।
बाबा जी बोले बेटा तुम कल आना इस पेड ने मुझे पकड रखा है और छोड नही रहा। तुम लोग कल फिर से आना। दोनो फिर से लोट आये। आपस में बाबा के बारे में बात करने लगे। और यह निष्कर्ष निकाला कि एक आखिरी बार कल फिर से चले जायेगे।
अगले दिन जब वह बाबा की कुटिया में पहुंचे तो वह अभी भी पेड को पकडे हुये थे। मकुल ने उतेजित होते कहा बाबा जी आप इस पेड से क्यो चिपके हुये हो आप यह पेड को क्यो नही छोड रहे।
बाबा ने कहा में क्या करु वत्स यह मुझे पकडे हुये है और छोड नही रहा।
मकुल ने कहा बाबा जी आप ने इसे पकडा है इसने आप को नही। आप किसी भी समय इससे मुक्त हो सकते है।
फिर बाबा जी ने मकुल से कहा यही बात में तुम्हे समझाने की कोशिश पिछले चार दिनो से कर रहा हूँ।
यह नही कि शराब पीने की लत तुम्हे पकडे हुये है बल्कि तुम इस लत को पकडे हुये हो ।
मकुल अब इस बात को समझ गया था कि अपनी इस बुरी लत के लिये वह स्वयं ही दोषी है। वह जब चाहे तब इस बुरी आदत को अपनी इच्छाशक्ति से छोड तथा अच्छी आदत को अपना सकता है।
मित्रो यह तो थी मकुल की कहानी लेकिन आज हमारे समाज की यही दशा है । हर कोई यही कहता है कि मैं कोशिश कर रहा हूँ। लेकिन जब तक कीमत बडी न चुकानी पडे तब तक ज्यादातर लोग बुरी आदतो से बाज नही आते। इसलिये दोस्तो समय रहते संभल जाये । इच्छाशक्ति के बल पर बडे बडे काम आसान हो जाते है।
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