रविवार का दिन था । रामू हर बार की तरह बाल सेट करवाने के लिये पास के हेयर ड्रेसर के यहां चला गया। वहां काफी भिड लगी हुयी थी। और बहुत सारे लोग बाल कटवाने के लिये इंतजार कर रहे थे। सभी अपने अपने विचार एक दूसरे के सामने रख रहे थे। तभी एक व्यक्ति ने अंधविश्वास पर चर्चा शुरु कर दी।
तभी वहां बाल काट रहे नाई ने भगवान के विषय पर बोलना शुरु कर दिया। वह बोला भगवान जैसी कोई चीज नही होती । मै ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नही करता।
फिर रामू ने कहा मित्र तुम ऐसा क्यो कह रहे हो। नाई ने कहा इस बात को सरलता से समझा जा सकता है। आप बाहर जाकर केवल पास वाली गली में कितने ही बिमार, लाचार, अनाथ और परेशान लोगो को देखो। आप को मेरी बात पर विश्वास हो जायेगा। यदि ईश्वर का अस्तित्व होता तो यह सब लोगो की ऐसी हालत नही होती।
वह नाई बोलता ही गया और इस बात पर सभी लोग अपने अपने विचार रखने लगे। रामू को बीच में बोलने का मौका नही मिला। और यह बहस बडी न हो जाये इसलिये वह चुप रहा और विचार करने लगा।
नाई अपना काम करता रहा और इस बीच रामू वहां से बहार चला आया और पास में जाकर सोचने लगा। जब रामू वहां खडा होकर लोगो को देख रहा था तभी आगे से एक बुढा व्यक्ति आता दिखाई दिया । जिसे देखकर यह प्रतीत होता था कि वह व्यक्ति काफी दिनो से नहाया नही है । उसकी दाढी व बाल काफी लम्बे थे । ऐसा लग रहा था काफी समय से उसने दाढी व बाल नही काटे है।
रामू तुरंत दुकान के अंदर चला गया व कहने लगा क्या आप लोगो को पता है इस संसार में नाई नही है।
नाई बोला यह नही हो सकता मै तुम्हारे सामने प्रत्यक्ष खडा हूं। यह कैसी बात है।
रामू बोला यदि संसार में नाई होते तो किसी भी व्यक्ति के बाल व दाढी लम्बे नही होते। वह देखो सामने से एक बुढा व्यक्ति आ रहा है । उसके दाढी व बाल कितने लम्बे है।
तब वह बोला नाई होते है परंतु कुछ व्यक्ति हमारे पास नही आते।
तभी रामू बोला एकदम सही कहा आप ने ईश्वर भी होता है लेकिन कोई भी सच्चे मन से उनके पास नही जाता व उन्हे पाने का प्रयास नही करता है। इसलिये दुनिया में लोग इतने परेशान है।
दोस्तो रामू ने वहां पर यह तो सिद्ध कर दिया की भगवान है। लेकिन हम सभी की यही व्यथा है। वास्तव में ईश्वर पर शक करने वाले तो बहुत है लेकिन उन पर विश्वास करने वाले बहुत कम । यदि सच्चे मन व विश्वास के साथ ईश्वर को याद किया जाय तो वह अवश्य आते है।
जब स्वामी विवेकानंद परमहंस से मिले थे तो उन्होने भी कुछ ऐसा की प्रश्न परमहंस जी से किया था ।
क्या आपने ईश्वर को देखा है !
तब परमहंस जी ने कहा था ठीक वैसे ही देखता हूं जैसे तुम्हे देख रहा हूं। लेकिन किसी के पास समय ही कहा है कि वह ईश्वर के दर्शन के लिये रोता हो । सब अपने अपने कामो में व्यस्त रहते है।
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