एक बार शेर का छोटा सा बच्चा शेरनी की मौत हो जाने से जंगल में छुट जाता है। वह बच्चा गिदडो के समूह में शामिल हो जाता है। और उनके बीच ही पलकर बडा हो जाता है। वह उनकी तरह ही जीवन यापन करने लगता है। वह अपनी वास्तविकता से अनजान होता है और स्वंयम को गीदड ही समझता है।
जब कभी भी गिदडो का समूह जंगल में शेर की आवाज सुनता तो वह पुरी जी जान से जान बचाने के लिये भागते है। वह शेर का बच्चा भी उनकी तरह ही जान बचाने के लिये भागा करता।
एक दिन जब जंगल में शेर ने दहाड लगायी तो गिदडो का वह समूह भी भागा। अब जब भी शेर जंगल में दहाडता है तो शेर की आवाज जंगल में गुजती है और जानवर शेर की वास्तविक दिशा का भान नही कर पाते। ज्यादातर वो जिस दिशा में शेर होता है उस दिशा में ही भागने लग जाते है। और सरलता से शेर के द्धारा मारे जाते है।
अब जब गीदडो का यह समूह शेर की दिशा में भाग कर आ रहा था। तभी शेर की नजर गीदडो के झुंड में एक शेर के ऊपर गयी। यह सब देखकर वह शेर बडा ही हैरान था। सोचने लगा गीदडो के झुंड में शेर कैसे हो सकता है।
अब शेर ने उसी शेर को पकड लिया। पकडे जाने के बाद वह बडा ही डरा हुआ था। शेर ने उसे काफी डराया और मारा भी। वह कहने लगा मैने तो सुना था कि शेर पकडने के बाद मार देता है लेकिन तुम तो मेरे साथ मजाक भी कर रहे हो और मुझे मार ही नही रहे ओर ऊपर से मुझे डरा धमका रहे हो। जल्दी से मुझे मार दो।
फिर शेर ने कहा मूर्ख खुद को पहचानो तुम एक शेर हो। गलती से गीदडो के झुंड में शामिल हो गये हो। फिर वह उसे एक तालाब के किनारे ले गया। और उसे अपनी व उसकी सकल दिखायी । और उसे शेर की तरह गरजना शिखाया । फिर वह मान गया कि वह शेर है और उस दिन से वह शेरो की तरह जिन्दगी जिने लगा।
दोस्तो इसी तरह हमें भी अपनी वास्तविकता का भान नही होता है और हम स्वयं के असली स्वरुप को नही पहचान पाते । हमे स्वयं के वास्तविक स्वरुप को पहचानने कि कोशिश करनी चाहिये। तभी हम अपने असली लक्ष्य तक पहुंच सकते है।
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