रक्त के संघटक (Components of Blood)
रक्त द्रव एवं ठोस दो भागों का बना होता है।
1 Plasma (55%)
एल्ब्यूमिन्स (Albumins)
एल्ब्यूमिन्स प्लाजमा प्रोटीन में सबसे अधिक पाई जाने वाली प्रोटीन है जो लीवर में संश्लेषित होती है (लगभग समस्त प्लाजमा प्रोटीन का 60: )
इसका मुख्य कार्य प्लाज्मा का परासरणी दाब ऑस्मोटिक प्रेशर ;व्ेउवजपब चतमेेनतमद्ध सामान्य बनाए रखना है जिससे प्लाज्मा काजल रक्त में रुका रहता है
यदि प्लाज्मा में एल्ब्यूमिन्स की मात्रा कम हो जाती है तो प्लाज्मा का परासरणी दाब कम हो जाता है
यदि द्रव रक्त प्रवाह से निकलकर आसपास के ऊतकों में इकट्ठा हो जाता है तो इसके परिणाम स्वरूप सूजन हो जाती है जिसे सोफ या ईडीमां कहते हैं
फाइब्रोनोजन (Fibrinogen)
इसका निर्माण भी लीवर में होता है जो कुल प्लाजमा प्रोटींस का लगभग 4ः होता है
यह रक्त का थक्का (Blood Clotting ) ब्लड क्लोट बनने की क्रिया में आवश्यक प्रोटीन है रक्त में थक्का जमने के बाद शेष द्रव को सिरम कहते हैं।
ग्लोबुलिंस (Globulins)
यह प्लाजमा प्रोटीन का लगभग 36: भाग होता है
इसकी संरचना एवं कार्यों के अनुसार इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है
अल्फा बीटा और गामा
अल्फा एवं बीटा ग्लोबुलिंस का निर्माण यकृत द्वारा होता है यह लिपिड्स एवं वसा में घुलनशील विटामिन सी का रक्त में बैंकर के शरीर से एक भाग से दूसरे भाग में पहुंच आती है
गामा ग्लोबुलिंस एंटीबॉडी के रूप में कार्य करती है जो खसरा टिटनेस एवं पोलियोमाइलाइटिस जैसी बीमारियों को रोकने में सहायक होती है
नोटः- किसी भी बीमारी की जांच आपके ब्लड से सिरम निकालकर की जाती है अगर ब्लड में से फाइब्रिनोजेन और प्रोत्रांबिन को निकाल दिया जाए तो ब्लड का कलर हल्का पीला हो जाता है
2 Carpulse (45%)
RBC (Red Blood Cells) लाल रक्त कोशिकाएं
- RBC को टेक्निकल भाषा में इरिथ्रोसाइट कहा जाता है
- आरबीसी की संख्या 50 लाख होती है
- आरबीसी का जीवनकाल 120 दिन का होता है
- यह छोटी-छोटी वृत्ताकार डिस्क के आकार की कोशिकाएं होती है जो दोनों तरफ अवतल रहती है यह किनारों पर मोटी तथा बीच में पतली दिखाई देती है
- इनमें न्यूक्लियस नहीं होता बल्कि हीमोग्लोबिन होता है इनका आकार गोल होता है
- ऊंचाई पर जाने से इनका आकार बढ़ जाता है। इनमें लाइसोसोम नहीं होता, यह कार्पल्स का 95ः भाग होती है
- आरबीसी की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है ब्लड में आरबीसी होती है आरबीसी में हीमोग्लोबिन होता है और हिमोग्लोबिन में आयरन होता है अगर आयरन की कमी हो जाए तो हीमोग्लोबिन घटता है हिमोग्लोबिन घटता है तो आरबीसी घटती है आरबीसी घटती है तो ब्लड घट जाता है। तो इसी बीमारी को रक्त अल्पता या एनिमिया कहते है
- अगर आरबीसी आपके शरीर में पूरी मात्रा में है तो शरीर में सुस्ती नहीं आएगी
White Blood Cells (WBC) श्वेत रक्त कोशिकाएं
- श्वेत रक्त कोशिकाएं का कार्य निश्चित होता है
- इसमें हिमोग्लोबिन नहीं होता इसलिए इसका रंग सफेद होता है
- इनमें केंद्रक पाया जाता है अतः इस से डीएनए की जांच की जा सकती है
- डब्ल्यूबीसी हमारे शरीर में रोगों से रक्षा करने का काम करती है
- इसके तीन प्रकार होते हैं
- एंटीबॉडी, लिंफोसाइट, मोनोसाइट,
- एंटीबॉडी शरीर में रोगों से रक्षा करने का कार्य करता है यानी रोग को पहचानने का कार्य करता है
- लिंफोसाइट बीमारी को खत्म करने का कार्य करता है
- मोनोसाइट रोगों का भक्षण करता है मोनोसाइट सबसे बड़ा होता है जब एचआईवी शरीर में प्रवेश करता है तो लिंफोसाइट मर जाता है मरे हुए कीटाणु को खाने का कार्य मोनोसाइट करता है
श्वेत रक्त कोशिकाएं White Blood Cells (WBC)
- श्वेत रक्त कोशिकाएं का कार्य निश्चित होता है
- इसमें हिमोग्लोबिन नहीं होता इसलिए इसका रंग सफेद होता है
- इनमें केंद्रक पाया जाता है अतः इस से डीएनए की जांच की जा सकती है
- डब्ल्यूबीसी हमारे शरीर में रोगों से रक्षा करने का काम करती है
- इसके तीन प्रकार होते हैं
- एंटीबॉडी, लिंफोसाइट, मोनोसाइट,
- एंटीबॉडी शरीर में रोगों से रक्षा करने का कार्य करता है यानी रोग को पहचानने का कार्य करता है
- लिंफोसाइट बीमारी को खत्म करने का कार्य करता है
- मोनोसाइट रोगों का भक्षण करता है मोनोसाइट सबसे बड़ा होता है जब एचआईवी शरीर में प्रवेश करता है तो लिंफोसाइट मर जाता है मरे हुए कीटाणु को खाने का कार्य मोनोसाइट करता है
Platelets बिंबाणु
- बिंबाणु को टेक्निकल लैंग्वेज में (Thrombocyte) थ्रोम्बोसाईट कहा जाता है
- इनका जीवनकाल 7 दिन होता है
- इनकी संख्या हमारे शरीर में 2,00,000.00 होती है
- इसका आकार उत्तल लेंस की तरह होता है इनमें न्यूक्लियस नहीं पाया जाता यह शरीर को शक्ति प्रदान करने का कार्य करती है