सांस संबधी बीमारियों में दमा एक खतरनाक समस्या बनती जा रही है। वर्तमान समय में अब ये आंकड़े पहले से काफी ज्यादा दिखाई दे रहे हैं जिसमें सांस की समस्या होती ही है साथ ही कई अन्य प्रकार की दूसरी समस्या भी हो सकती है।
परन्तु किसी भी रोग में सतर्कता और समझदारी से काम लिया जाय तो रोग की रोकथाम की जा सकती है।
आज हम आपको दमा और अस्थमा से बचाव के लिए कुछ यौगिक क्रियायें बताने जा रहे हैं जिससे इसे नियन्त्रित करने में सहायता प्राप्त की जा सकती है।
दमा और अस्थमा का कोई ठोस कारण नहीं है परन्तु कुछ सन्दर्भाें में यह पाया जाता है कि इसके क्या कारण हो सकते है? जैसे- अनुवांशिक कारण, वायु प्रदूषण, धूम्रपान, संक्रमण तथा मनोवैज्ञानिक आदि कारणों से दमा की समस्या होती है।
वर्तमान समय में योगाभ्यास के लिए एक बार पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है क्योंकि किसी भी रोग के पूर्व में और वर्तमान में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को ज्ञात करना योगाभ्यास का सही क्रम है। इस क्रम मे कई चिकित्सक ‘कार्डियो अभ्यासों’ की अनुमति देते हैं तथा समस्या के अधिक होने पर इसकी अनुमति नहीं भी दी जा सकती है इसलिए यह आवश्यक है कि डॉक्टर की सलाह अवश्व लें।
अस्थमा (दमा) के लिए योगासन (Yoga for Asthma in Hindi)
योगाभ्यास क्रम में
पवनमुक्तासन, हस्तोतानासन, द्विकोणासन, मार्जारी आसन, शशांकासन,
भुजंगासन
धनुरासन, कंधरासन, मकरासन, गोमुखासन,
सर्वांगासन,
मत्स्यासन, सिंहासन, परिवृत्त जानुशीर्षासन, बद्ध पद्मासन, सर्पासन आदि आसनों का अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार करना चाहिए तथा किसी कुशल योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें।
अस्थमा (दमा) के लिए प्राणायाम
प्राणायाम में नाड़ी शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभॉति क्रिया तथा जालन्धर बन्ध का अभ्यास किया जा सकता है।
भोजन के रूप में मिर्च, काली मिर्च, लहसुन, अदरक इत्यादि उत्तेजनात्मक भोज्य पदार्थाें को खाने की सलाह दी जाती है तथा साथ ही ताजे फल, हल्की उबली हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
साथ ही शवासन में उदर श्वसन करना चाहिए और सूक्ष्म ध्यान के साथ-साथ योग निद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।
दमा व अस्थमा के रोगियों को चाहिए कि वह अपने मन में दबे हुए भावों व किसी घटना के संदर्भित अंशों को जमा न होने दें तथा कोशिश करें कि किसी भी प्रकार का तनाव अपने मन में न ठहरने दें।
नोट: उपर्युक्त दी गई जानकारी के साथ हम किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं। हर व्यक्ति विशेष का रोग, उम्र व परिस्थिती अलग-अलग प्रकार की हो सकती है इसलिए अपने डॉक्टर व योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही रोग का उपचार करें।
हमें आशा है कि यह लेख आपको प्रेरणा देगा और आपके लिए कुछ संदर्भों में सार्थक सिद्ध होगा।