डायबिटीज के लिए योग (Yoga For Diabetes) : – एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 7 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित हो चुके हैं इसके बावजूद भी यह बीमारी रुकने का नाम नहीं ले रही है । इसका जो प्रमुख कारण है वह है हमारी दिनचर्या और हमारा खान-पान । क्योंकि यदि हमारा खान-पान सही नहीं रहता, पौष्टिक नहीं रहता, तो यह हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह सिद्ध होता है। क्योंकि भोजन के असंतुलन से ही कई प्रकार की बीमारियां जन्म लेती है।
वर्तमान समय में मेडिकल साइंस भी इस बीमारी के ऊपर कार्य कर रहा है । लेकिन यदि हमें इन बीमारियों की चपेट में आने से बचना है तो हमें अपने दैनिक दिनचर्या में योग को अपनाने की जरूरत है।
क्योंकि योग ही एकमात्र ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा हम विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज कर सकते हैं। बस इसके लिए जरूरत है तो योग के आसन प्राणायाम और ध्यान को जानने की और इसका अभ्यास निरंतर करने की आइए अब हम आपको बताते हैं योग के कुछ आसन, प्राणायाम और ध्यान के बारे में जिसके द्वारा हम डायबिटीज को मात दे सकते हैं और अपने शरीर को बलवान बना सकते हैं।
डायबिटीज के लिए योगासन
मेरुदंड वक्रासन
इस आसन के अभ्यास से हमारे पैंक्रियास पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे कि वह उत्तेजित होता है और इंसुलिन का स्त्राव अच्छी तरीके से होने लगता है।
विधि –
सबसे पहले सुख पूर्वक किसी आसन में बैठ जाएं उसके बाद अपने पैरों को आगे की और एक साथ दंडासन में ले आएं फिर दाएं पैर को घुटने से होते हुए बाएं घुटने के बगल में रख दें उसके बाद बाएं हाथ को ऊपर उठाते हुए अपने दाएं पैर के पंजे को पकड़ने का प्रयास करें फिर अपने दाएं हाथ को नितंबों के पीछे रख दें कुछ देर तक यहीं पर रहे।
श्वाश लेते रहें और श्वास को छोड़ते रहें। फिर वहां से धीरे से सामान्य स्थिति में आए और वही अभ्यास अपने बाएं पैर के द्वारा दोहराएं। फिर इसी तरह से दो-तीन बार इस आसन का अभ्यास करें।
पश्चिमोत्तानासन
दोनों पैरों को मिलाकर दंडासन में बैठ जाएं सांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर ताने और श्वास को छोड़ते हुए आगे की ओर झुक कर अपने पंजों को पकड़ लें फिर उसी अवस्था में कुछ देर तक रहे उसके बाद धीरे से श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर उठा कर सामान्य अवस्था में आ जाएं। यह अभ्यास शारीरिक क्षमता अनुसार तीन से चार बार किया जा सकता है।
भुजंगासन
पेट के बल लेट जाएं हाथों को छाती के बगल में रखें और पैरों में हल्की सी दूरी बना लें धीरे से लंबी सांस भरते हुए अपने छाती और सर को ऊपर उठाएं और फिर ऊपर की ओर देखते हुए कुछ देर इसी अवस्था में बने रहें। कुछ देर बने रहने के बाद धीरे से सांस को छोड़ते हुए नीचे आ जाए इसी प्रकार दो से तीन बार इस अभ्यास को क्षमता के अनुसार दोहराएं
सेतुबंध आसन
पीठ के बल लेट जाएं । अपने दोनों पैरों को मोड़कर अपने नितंबों के पास रख ले । दोनों में 1 फीट की दूरी बनाएं। अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के टखने को पकड़ ले । अब धीरे से सांस भरते हुए अपने नितंबों को ऊपर उठाएं और फिर कुछ देर तक इसी अवस्था में बने रहें , आधा मिनट बने रहने के बाद वापस आ जाएं।
इस आसन को आप दो-तीन बार दोहरा सकते हैं।
धनुरासन
अपने पेट के बल लेट जाएं । हथेलियों को नितंबों के पास रख दें । माथे को जमीन से लगा ले । यहां से धीरे से अपने दोनों पांव को नितंबों की ओर लाएं और अपने दोनों पैरों के पंजों को या फिर टखनों को पकड़ लें इसी के साथ एक लंबी सांस भरते हुए अपने दोनों पांव और छाती को ऊपर की ओर उठाएं यथासंभव कुछ देर तक इसी अवस्था में बने रहें । कुछ देर बाद धीरे से वापस आ जाए । इस अभ्यास को आप दो से तीन बार दोहरा सकते हैं।
शवासन
इस आसन के अभ्यास के लिए अपनी पीठ के बल लेट जाएं । अपने पैरों में 1 फीट की दूरी बनाकर रखें अपने हाथों को नितंबों से कुछ दूरी पर रख दें । शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें और अपने आती जाती सांसों का अवलोकन करें केवल अपनी सांसों के प्रति सजग रहें।
डायबिटीज के लिए प्राणायाम
कपालभाति
यह प्राणायाम पेट की मांसपेशियों पर गहरा प्रभाव डालता और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने का कार्य करता है एवं साथ ही पेनक्रियाज को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रभावित करता है।
विधि-
सुख पूर्वक किसी आसन में बैठ जाएं कमर गर्दन को सीधा रखें और फिर यहां से सांस को बलपूर्वक छोड़ने का अभ्यास करें । इसी अभ्यास को आप अपनी क्षमता अनुसार करें यदि संभव हो सके तो प्रतिदिन लगभग 5 से 7 मिनट तक कपालभाति का अभ्यास करें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
विधि
सुख पूर्वक बैठकर, कमर गर्दन को सीधी रखकर हाथों की ज्ञान मुद्रा बनाकर अपने घुटनों में रख दें । इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करके बाएं नासिका से लंबी सांस अंदर खींचें । फिर बाई नासिका को अनामिका और छोटी उंगली से बंद कर ले । उसके बाद दाईं नासिका से सांस को बाहर निकाल ले, इसके बाद दाई नासिका से सांस भरते हुए, उसे अंगूठे से बंद कर ले और फिर बाईं नासिका को खोलते हुए सांस को छोड़ दें। इसी प्रकार बार-बार इस अभ्यास को दोहराएं।
नोट – उच्च रक्तचाप और हृदय के रोगियों को कपालभाती का अभ्यास बहुत धीरे से एवं किसी कुशल योग शिक्षक के मार्गदर्शन में करना चाहिए।