नार्मल डिलीवरी के लिए योग | Normal Delivery Yoga in Hindi

नार्मल डिलीवरी : नार्मल डिलीवरी कौन नही चाहता है। लेकिन ऐसा होता नही है। जब किसी के घर पर भी गर्भावस्था की खबर आती है तो परिवार में ख़ुशी का माहौल होता है। लेकिन जैसे जैसे प्रसुति (डिलीवरी) का समय नजदीक आता है सब को एक ही डर सताने लगता है कि कही डिलीवरी ऑपरेशन से ना हो। ऑपरेशन से डिलीवरी होने पर माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरा होता है।

लेकिन करे भी तो क्या हमारे देश मे एक ट्रेड सा हो गया है कि ज्यादातर बच्चे ऑपरेशन से हो रहे है। और हम कुछ कर भी नही सकते। माध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों के लिए यह सब  एक ख़र्चीला प्रोसेस होने के साथ साथ कष्टप्रद भी होता है ।  तो आइए जानते हैं आज इस समस्या के समाधान के लिए एक प्राणायाम जो आपकी मदद अवश्य करेगा।

नार्मल डिलीवरी के लिए भ्रामरी पर किया गया एक अनुसंधान

सन् 1993 में भारत के मुंगेर अस्पताल को बिहार योग विद्यालय के साथ मिलकर भ्रामरी पर एक चिकित्सीय शोध करने का आधार मिला ।
डॉ.विभा सिंह ने एक वर्ष में 448 गर्भवती स्त्रियों का परीक्षण किया ।
सबका एक समान उपचार किया गया ( चिकित्सीय परीक्षण , आहार सम्बन्धी सुझाव , पूर्व प्रसव निर्देश इत्यादि ) ।

लेकिन उनमें से 112 स्त्रियाँ सम्पूर्ण गर्भावस्था की अवधि में के दौरान प्रत्येक दिन 5 से 10 मिनिट तक भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कर रही थी। भ्रामरी करने वाले समूह से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए।

  • सभी का रक्तचाप सामान्य पाया गया । गर्भावस्था के समय रक्तचाप बढ़ना एक सामान्य घटना है। सभी का रक्तचाप सामान्य मिला।
  • गर्भपात – गर्भपात लगभग 8% से 2 % रह गया।
  • समय से पहले प्रसव 5 % माताओं में देखा जाता है जो केवल 2 % रह गया।
  • प्रसव की वेदना 25% कम हो गई।
  • किसी भी नवजात शिशु में ऑक्सीजन की कमी नही थी। यह दर 0% पायी गयी।
  • बच्चे का वजन सामान्यतः ढाई किलो से तीन किलो होता है । लेकिन इस समूह में सभी बच्चे 3 किलो 300 ग्राम के आस पास थे।
  • भ्रामरी प्राणायाम से चिंता तनाव दूर होता है। यह स्त्री हॉरमोन  को अधिक मात्रा में संतुलित बनाता है फलस्वरूप एक स्वस्थ बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है।
  • भ्रामरी तनाव दूर करता है , इसके अनेक प्रमाण हैं । ध्वनि के गुंजन का मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ता है , जो चिंता को दूर करता है और मन को शान्त करता है । भ्रामरी हाइपोथैलेमस , पीनियल और पिट्यूटरी ग्रन्थियों को भी उत्प्रेरित करता है ।

भ्रामरी प्राणायम गर्भवती माताओं से अवश्य कराये इस से आपको अवश्य लाभ होगा

भ्रामरी प्राणायाम की विधि –

  • सबसे पहले किसी आराम दायक आसान में बैठ जाए
  • उसके बाद अपने कानों को अपनी तर्जनीअंगुली (Index Finger) से बंद करे
  • आँखे बंद कर दे
  • धीरे से एक लम्बी गहरी श्वाश ले
  • मुँह होठ और दांत बंद रखते हुए म की ध्वनि करे
  • लगभग ५ से १० मिनिट तक यह अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार करे

सावधानी – इस प्राणायाम को लेटकर ना करे।

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