एक समय की बात जब गजू नाम का एक हाथी एक जंगल के किनारे से गुजर रहा था। रास्ते में उसे जहरीला सांप मिला। हाथी ने सांप से कहा तुम मेरे रास्ते से किनार हो जाऔ। लेकिन सांप नही माना और रास्ते पर अडा रहा। आखिरकार हाथी को सांप के उपर पैर रखना पडा जिससे सांप मर गया।
लेकिन जब हाथी ने जब सांप के उपर पैर रखा तभी सांप ने भी हाथी को डंस दिया था। जिस कारण से हाथी की भी मृत्यु हो गयी। तभी वहां से एक फारेस्ट गार्ड अपनी बंदूक कंधे में रखकर अपनी मस्ती में जा रहा था।
अचानक ने उसे मरा हुआ हाथी नजर आया। हाथी दांत देखकर के उसको भी लालच आ गया। वह हाथी के पास गया और अपनी बंदूक नीचे रखकर हाथी दांत को तोडने का प्रयास करने लगा। उसने नीचे पडा एक पत्थर उठाया और जोर से हाथी दांत पर मारा । लेकिन वही पत्थर टकराकर वापस उस फारेस्ट गार्ड के सर पर लग गया। जिससे उसकी भी मौत हो गयी।
कुछ देर बाद उसी रास्ते से एक शियार गुजर रहा था। वहां उस जगह पर ढेर सारा भोजन देखकर वह खुश हो गया । वह उस जगह पर गया और फारेस्ट गार्ड की बंदूक देखकर पहले इससे निपटने की सोचने लगा। अब सियार ने बंदूक का मूंह अपनी और किया और ट्रेगर दबा दिया । जिससे शियार की भी मौत हो गयी।
फिर कुछ देर बाद वहां से एक गुरु और शिष्य गुजर रहे थे। उनकी नजर भी उन सब पर पडी। गुरु ने शिष्य से कहा ये हाथी दांत ले लो यह काफी किमती होते है।
शिष्य ने गुरु से सवाल किया यह सब एक ही स्थान पर कैस मर गये
तब गुरु ने बोला-
हाथी मरा गुमान से, सांप मरा अकडाई से।
मनुष्य मरा लालच से व शियार मरा चतुराई से
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