51 स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार | Swami Vivekananda Quotes in Hindi

स्वामी विवेकानंद के विश्व प्रसिद्ध अनमोल विचार

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार :- स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) जैसी अदभुत छवी रखने वाले व्यक्ति को भला कौन नही जानता । स्वामीजी ने योग और संगीत में युवा अवस्था आने से पहल से ही काफी कुशलता हासील कर ली थी। तथा वेदो शास्त्रों का पुर्ण अध्ययन कर लिया था। उन्होने अपने विचारो से देश में ही नही, बल्कि विदेशो में भी भारतीय संस्कृति की ऐसी छाप छोडी की विदेशी लोगो ने भारतीय संस्कृति को अपनाने मे गर्व महसूस किया। स्वामीजी ने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा मे भारतीय संस्कृति के ऊपर एक महान विश्व प्रसिद्ध भाषण देकर इसका आभास सारी दुनिया को कराया। इनके द्धारा कहे अनमोल विचारो Swami Vivekananda Quotes in Hindi का संग्रह आप नीचे पढ सकते है।

नाम – स्वामी विवेकानंद
जन्म – 12 जनवरी 1863 कलकता (बंगाल)
मृत्यु – 04 जनवरी 1902
राष्ट्रीयता – भारतीय
जीवनी – स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
सम्बन्धित किताब –

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार-  Swami Vivekananda  Quotes Hindi

Thought -1: हमारी शिक्षा अवश्य ही ऐसी होनी चाहिए, जिससे जीवन का निर्माण हो। व्यक्तित्व का निर्माण हो तथा चरित्र का निर्माण हो। जिससे मानसिक बल की वृद्धि हो, बुद्धि का विकास हो तथा जिसके द्वारा हम अपने पैरों पर स्वंय खड़े हो सके।

Thought – 2: उठो जागो और अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले रुको मत।

Thought – 3: कभी मत सोचना की आत्मा के लिए कुछ भी असम्भव है। यह विचार करना सबसे बडा विधर्म है। यदि कोई पाप है तो वह यह है कि तुम कमजोर हो और अन्य कमजोर है।

Thought – 4: यदि अपने आप मे यकीन करना और अधिक विस्तार के साथ पढाया तथा अभ्यास कराया गया होता। तो मुझे विश्वास है कि बुराइयो और कष्ट का एक बहुत बडा , भाग स्वयं ही गायब हो गया होता।

Thought – 5: उठो मेरे शेरो तुम निर्बल हो इस भ्रम को मिटा दो । आप एक मुक्त पुज्य और अनन्त आत्मा हो । तुम विषय नही हो और नाही देह हो, विषय तुम्हारा दास है तुम विषय के दास नही।

Thought – 6: ब्रहमाण्ड मे उपस्थित सम्पुर्ण शक्तियां पहले से तुम्हारी है , वो तुम ही हो जो अपनी आँखो पर हाथ रख लेते हो और फिर रोते हो कि कितना अन्धेरा।

Thought – 7: जिस प्रकार से अलग अलग धाराओं से आ रहा जल अंत मे समुद्र मे आकर मिल जाता है। इसी तरह मनुश्य द्धारा चुना प्रत्येक मार्ग चाहे वह अच्छाई का हो या बुराई का ईश्वर तक ही जाता है।

Thought – 8: हम वह है जो हमारे विचारो ने हमे बनाया है , अत इस बात का ख्याल रखना कि तुम क्या सोचते हो शब्द माध्यमिक है विचार अस्तित्व मै रहते है और दुर तक सफर करते है।

Thought – 9: किसी भी व्यक्ति की निन्दा ना करो यदि आप सहायता के लिए आगे आ सकते है तो जरुर आये , यदि आप नही आ सकते है । तो स्वयं के हाथ जोडिये अपने भाइयो को आशीर्वाद दीजिए और उनको उनकी राह पर जाने दीजिये।

Thought – 10: सत्य को विभिन्न हजार तरीको से कहा जा सकता है तो भी प्रत्येक सत्य ही होगा।

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार – Swami Vivekananda Quotes in Hindi

Thought – 11: वह व्यक्ति अमरत्व तक पहॅुच गया है जो किसी संसारिक वस्तु से परेशान नही होता है।

Thought – 12: इस जन्म तथा अगले जन्म की सभी चीजो से ज्यादा ईश्वर की एक अतिप्रिय के रुप मे पुजा होनी चाहिए।

Thought – 13: अपने आप को कमजोर समझना सबसे बडा अपराध है।

Thought – 14: लोगो को आशीर्वाद दो जब वो आपको गाली दे सोचिये वे कितना अच्छा कर रहे है वे तुम्हारे झुठे अहंकार को खत्म करने के लिये तुम्हारी कितनी मदद कर रहे है।

Thought – 15: कुछ बडे दिल वाले ईमानदार और तेजस्वी पुरुष और महिलाये उतने से अधिक एक वर्ष मे कर सकते है , जितना कोई भीड एक सदी मे कर सकती है ।

Thought – 16: हम जितना अधिक स्पष्ट होगे तथा दूसरो का अच्छा करेगे हमारा दिल और अधिक शुद्ध हो जायेगा तथा परमात्मा उसमे रहेंगे।

Thought – 17: मन की शक्तियां सूर्य की किरणो की तरह है जब ये केन्द्रित होती है तो हमारी शक्तियों को उजागर कर देती है ।

Thought – 18: सबसे महान धर्म है, अपने स्वयं के स्वभाव के प्रति सच्चा होना , अपने आप पर भरोसा होना।

Thought – 19: कुछ नहीं पूछो वापसी मे कुछ मत चाहो जो देना चाहते हो दे दो , वह आपके पास वापस आयेगा लेकिन उसके बारे मे इस समय मत सोचो।

Thought – 20: सच्ची सफलता और सच्चे आनंद का सबसे गहरा रहस्य यह है कि वो पुरुष या महिला जो वापस कुछ नही मांगते , बिलकुल निस्स्वार्थ मनुष्य ही सबसे सफल है ।

Thought – 21: एक समय पर एक ही कार्य करो और जब इसे कर रहे हो उस समय अपनी पुरी आत्मा इसमे डाल दो और अन्य सब का बहिष्कार कर दो।

Swami Vivekananda Quotes in Hindi

Thought – 22: हमारा फर्ज है कि हम प्रत्येक व्यक्ति को उनके श्रेष्ठ जीवन जीने के परिश्रम मैं बढावा दे तथा साथ ही साथ उनको सत्य के अधिक से अधिक पास लाने का प्रयत्न करे।

Thought –23: ईश्वर से प्यार का लगाव वास्तव मे एक ऐसा अनुराग है, जो आत्मा को बांधता नही है। किन्तु प्रभावी रुप से इसके सारे बंधन नष्ट कर देता है।

Thought – 24: मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है।

Thought – 25: जो कुछ भी आप विचार करते हो, वो आप हो जायेगे। यदि आप स्वंयम को दुर्बल समझेगे, तो आप दुर्बल हो जाओगे, यदि स्वंय को शक्तिशाली समझेगे तो शक्तिशाली हो जाओगे।

Thought – 26: इच्छा, अज्ञान, और पक्षपात ये तीनों बंधन की त्रिमूर्ति है।

Thought – 27: सौभाग्यशाली है वह मनुष्य जिनका शरीर अन्य लोगो की सेवा करने मे नष्ट हो जाते है।

Thought – 28: कोई बात जो आपको शारीरिक बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप में कमजोर बनाती है। इसे जहर की तरह अस्वीकार कर दो।

Thought – 29: वेदान्त कोई पाप नही पहचानता, यह केवल त्रुटि को पहचानता है। वेदान्त के अनुसार सबसे बडी गलती यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम दोशी हो, एक दुखी प्राणी हो, शक्तिहीन हो और तुम यह नही कर सकते, तुम वह नही कर सकते । जब एक विचार पूर्ण रूप से मस्तिष्क पर छा जाता है उस समय वह एक वास्तविक शारीरिक या मानसिक स्थिति में तब्दील हो जाता है।

Thought – 30: यदि धन दुसरो की सहायता करने मे प्रयोग करे तो यह मुल्यवान है, नही तो यह केवल बुराई का एक ढेर है तथा इससे जितना शीध्र मुक्ति मिल जाये उतना उतम है।

Thought – 31: सारे प्रेम अनन्त है , स्वार्थ संकुचित है , अतः प्रेम जिन्दगी की नीव है । वह जो प्यार करता है जीता है, ओर जो स्वार्थी है वह मर रहा है। इसलिए प्यार के लिए प्यार करो, क्योकि यही जीवन जीने का केवल एक सिद्धात है । ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आप जीने के लिये सांस लेते हो ।

Thought – 32: किसी भी चीज से भयभीत मत हो आप बहुत ही अच्छा काम करोगे । वह निडरता ही है जो पल भर मै परम सुख लेकर आती है।

Thought – 33: हम वही काटते है जो हम बोते है हम हमारे भाग्य के विधाता है हवा चलती रहती है जिन जहाजो के पाल खोले हुये होते है वो इससे टकराकर अपने रास्ते पर आगे बढ जाते है लेकिन जिनके पाल बंधे होते है वो हवा को नही संभाल पाते है, क्या ये हवा का दोश है हम स्वयंम अपना भाग्य बनाते है।

Thought – 34: मुक्त होने का साहस करो उतना दूर जाने की हिम्मत करो जितना तुम्हे तुम्हारे विचार ले जाते है तथा उनको आपके जीवन मे लाने का प्रयास करो।

Swami Vivekananda Quotes in Hindi

Thought – 35: दिल और दिमाग के संघर्ष के बीच मे अपने दिल की सुनो।

Thought – 36: जब आप स्वयं मे भरोसा नही करते तब तक आप ईश्वर पर भरोसा नही कर सकते।

Thought – 37: संसार एक महान व्यायामसाला है जहॉ हम स्वंय को कठोर बनाने के लिए आते है।

Thought – 38: बहारी स्वभाव ही आंतरिक स्वभाव का विशाल रुप है।

Thought – 39: हम ईश्वर को कहॉ खोज सकते है अगर हम अपने ही हदय मे तथा प्रत्येक जीवित प्राणी में उसे नही देख सकते।

Thought – 40: संसार मे विभिन्नता एक हद तक है ना कि कही प्रकार की चुकी एकता मे ही सभी चीजों का रहस्य है।

Thought – 41: एक लक्ष्य ले लो, उस लक्ष्य को अपना जीवन बना लो, इसके बारे मे सोचिये, सपने देखिये, इसके लिये जिये, अपने मस्तिक, मांसपेशियों, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को इस विचार मे पुर्ण रुप से डुबने दीजिए, अन्य सभी विचारो को भुल जाइये , यही सफलता तक पहुंचने का तरीका है।

Thought – 42: जिस पल मैने ये महसूस किया कि ईश्वर प्रत्येक इंसान के शरीर रुपी मंदिर मे विदयामान है। उस पल से मे प्रत्येक व्यक्ति के आगे श्रद्धा पूर्वक खडा होने लगा तथा उनमे ईश्वर के दर्शन करने लगा । उसी पल मै बन्धनो से मुक्त हो गया, वह प्रत्येक चीज गायब हो गयी जो मुझे बांधती है और मे आजाद हो गया।

Thought – 43: आपको अन्दर से बाहर की और विकसित होना ही है, कोई भी आपको पढा नही सकता, कोई भी आपको आध्यात्मिक नही बना सकता । यहाँ आपकी आत्मा के शिवाय कोई अन्य शिक्षक नही है।

Thought – 44 : एक शब्द मे तुम परमात्मा हो यह आदर्श है।

Thought – 45 : सभी चीजों का रहस्य है।

Thought – 46 : जब किसी दिन आपको कोई मुसीबत ना दिखाई दे । तब आप यकीन कर सकते है कि आप गलत रास्ते पर चल रहे है।

Thought – 47 : वह आग जो हमें गरमी देती है , हमे जला भी सकती है ; ये आग की त्रुटि नही है।

Thought – 48 : वो अकेले जीते है जो दूसरो लोगो के लिये जीते है।

Thought – 49: बल ही जीवन है। कमजोरी ही मृत्यु है। फैलाव ही जीवन है । संकौच ही मृत्यु है। प्यार ही जीवन है। घृणा ही मृत्यु है।।

Thought – 50: ना तलाश करो ना बचो, जो आता है पकड लो।

Thought – 51: श्री राम कृष्ण कहा करते थे “ जब तक मे जीवित रहूगा उस समय तक मै सीखता रहूगा । वह मनुश्य या वह समाज जिनके पास सीखने को किंचित भी नही है । वे पहले से मृत्यु के जबडे मे है। “

(by Swami Vivekananda)

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