हठ योग का उद्देश्य क्या है? | Hath Yog ka Uddeshya Kya Hai

हठयोग का प्रमुख उद्देश्य  ईडा और पिंगला  नाड़ियों की प्राण की प्रवाह में संतुलन स्थापित करना है । हठ शब्द दो बीज मंत्रों हम सौर ऊर्जा का प्रतीक और ठं (चंद्र शक्ति का प्रतीक) से मिलकर बनते हैं ।

संतुलन स्थापित करने के लिए इन दोनों शक्तियों में सर्वप्रथम सत्कर्म ओके माध्यम से शरीर का शुद्धीकरण करना अति आवश्यक है। हठयोग का उद्देश्य इन दोनों प्रभावों में संतुलन स्थापित करना है ताकि शारीरिक और मानसिक क्षमताओं में से कोई भी अधिक शक्तिशाली ना हो। दिन के 24 घंटे में पीड़ा का प्रवाह 12 घंटे तक प्रबल होना चाहिए और शेष 12 घंटे पिंगला का प्रवाह प्रधान रहना चाहिए।

इड़ा और पिंगला नाड़ीया जब  शुद्ध और संतुलित हो जाती है और मन नियंत्रित हो जाता है तब सबसे महत्वपूर्ण सुषुम्ना नाड़ी में प्राण का प्रवाह आरंभ हो जाता है। ध्यान में सफलता के लिए सुषुम्ना का प्रवाह अति आवश्यक है। यदि पिंगला प्रभावित होगी तो शरीर अशांत रहेगा गिड़ा प्रभावित होगी तो मन अधिक क्रियाशील होगा। जब सुनना प्रभावित होती है तो कुंडलिनी जागृत हो जाती है और चक्रो के माध्यम से उर्ध्व गामी हो जाती है।

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