वैज्ञानिक समस्या की विशेषताएं
1. समस्या स्पष्ट हो।
2. समस्या समाधान योग्य होनी चाहिए।
3. समस्या परीक्षण योग्य होनी चाहिए।
4. एक वैज्ञानिक समस्या से संबंधित आंकड़ों का स्वरूप परिमाणात्मक होना चाहिए।
5. एक वैज्ञानिक समस्या से संबंधित चरों का स्वरूप स्पष्ट तथा निश्चित होना चाहिए।
6. समस्या का आकार और क्षेत्र सीमित होना चाहिए ।
7. एक वैज्ञानिक समस्या का स्वरूप सीमा मे होना भी आवश्यक है।
8. समस्या कम खर्चीली होनी चाहिए।
समस्या के प्रकार
समस्या निम्न पांच प्रकार की होती है ।
1. सैद्धांतिक समस्या
2. व्यावहारिक समस्या
3. सर्वेक्षण संबंधी समस्याएं
4. सहसंबंधनात्मक समस्याएं
5. प्रायोगिक समस्याएं
1. सैद्धांतिक समस्याएं
इस प्रकार की समस्याओं का उद्देश्य अध्ययन में बौद्धिक तथा तार्किक पक्षों को अधिक बल देना होता है तथा इसमें वैज्ञानिक तथ्यों सामान्य नियमों व सिद्धांतों की खोज को विशेष महत्व दिया जाता है।
2. व्यावहारिक समस्याएं-
इस प्रकार के समस्याओं का मानव के व्यवहारिक जीवन के सामाजिक शैक्षिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रश्न विवाद विषयों कठिनाइयों संघर्षों तनाव अभावों आदि का अध्ययन करना होता है ताकि इन के स्वरूप को ठीक-ठाक समझा जा सके और इनके ऊपर नियंत्रण किया जा सके ।
3. सर्वेक्षण संबंधी समस्याएं-
इस प्रकार की समस्याओं का विभिन्न सामान्य घटनाओं के संबंध में आंकड़ों का संकलन व्यवस्थापन विश्लेषण तथा विवेचन इस प्रकार किया जाता है ताकि उनका स्वरूप अधिक सार्थक तुलनात्मक तथा बोधगम्य बन सके और उनके आधार पर संबंधित चरों के विषय में विशिष्ट जानकारी उपलब्ध हो सके।
4. सहसंबंधत्मक समस्याएं-
इस प्रकार की समस्याओं का उद्देश्य दो या दो से अधिक चारों के विषय में पारस्परिक सहचार्यत्मक संबंधों का अध्ययन करना होता है इस प्रकार के अध्ययन में यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है की पूर्व ग्रामीण तथा पश्चात गामी घटनाओं में कैसा संबंध है तथा उनके इस संबंध का प्राय क्या आधार हो सकता है ।
5. प्रायोगिक समस्याएं
इस प्रकार की समस्याओं का प्रयोग दो या दो से अधिक चरों के पारस्परिक प्रकार्यात्मक संबंधों का अध्ययन कठोर वैज्ञानिक मापदंड पर नियंत्रित स्थितियों में किया जाता है और यह स्थापित करने का पूर्ण प्रयास किया जाता है कि स्वतंत्र चर तथा उससे संबंधित आश्रित चर मैं कैसा संबंध है इस प्रकार समस्याओं का अधिकतर अध्ययन मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में व्यापक रूप से किया जाता है ।
समस्या का कथन और रूप कैसा होना चाहिए?
समस्या का कथन एक प्रस्ताव के रूप में एक प्रश्नवाचक वाक्य में किया जाता है एक समस्या के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए मुख्य कसौटी या निम्नलिखित होती है।
1. समस्या का कथन पूर्णता स्पष्ट तथा सुनिश्चित होना चाहिए ।
2. समस्या का कथन किस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे पूर्व गामी कारकों तथा पश्चात गामी कारको से संबंधित विशिष्ट घटना का स्वरूप सुनिश्चित रूप से स्पष्ट हो सके ।
3. प्रायोगिक समस्या के कथन ऐसे होने चाहिए ताकि उसमें स्वतंत्र चर तथा आश्रित चर पूर्णत स्पष्ट हो जैसे क्या A चर B चर से संबंधित है ।
4. समस्या का कथन ऐसा होना चाहिए जिससे संबंधित चारों का अध्ययन अनु भाविक आधार पर उपयुक्त हो यदि संबंधित घटना का अध्ययन अनुभव के आधार पर नहीं हो सकता तब समस्या का अध्ययन भी वैज्ञानिक नहीं हो सकता ।