व्यायाम और स्वास्थ्य

व्यायाम और स्वास्थ्य :-

प्रस्तावना:-आधुनिक युग में व्यायाम का बहुत अधिक महत्व है। व्यक्ति को स्वस्थ्य जीवन प्राप्त करने के लिए व्यायाम का सहारा लेना ही पड़ता है। हंसते कूदते और उछलते बालकों को जिन्होंने देखा है वह जानते हैं कि खेल और व्यायाम क्या है। खेल और व्यायाम उत्तम स्वास्थ्य के लिए उत्तम आधार है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह अधिक से अधिक समय तक जीवित रहे और संसार के सुखों का उपयोग करें । किंतु सुखों का उपभोग भी तब ही किया जा सकता है जबकि हम पूरी तरह स्वस्थ हो और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम परम आवश्यक है।

व्यायाम का तात्पर्य-

महर्षि चरक ने व्यायाम का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि “शरीर की चेष्टा देह को स्थिर करने एवं उसका बल बढ़ाने वाली हो उसे व्यायाम कहते हैं” अभिप्राय यह है कि मन को सहज, शरीर को बलवान और स्फूर्तिवान बनाने के लिए हम जो शारीरिक क्रियाएं करते हैं उन्हीं को  व्यायाम कहते हैं। दंड बैठक, योगासन, कूदना, टहलना, दौड़ना खेलना आदि ऐसी क्रियाएं हैं जिससे शरीर पुष्ट होता है इसीलिए इन्हें व्यायाम से संबंधित क्रियाओं के अंतर्गत ही रखा जाता है।

व्यायाम के दो रूप

व्यायाम दो प्रकार का होता है मानसिक और शारीरिक व्यायाम। मानसिक व्यायाम से मन की शक्ति बढ़ती है इसमें चिंतन और मनन को सम्मिलित किया गया है। शारीरिक व्यायाम से शरीर की शक्ति बढ़ाने में सहायता मिलती है। प्रायः व्यायाम से तात्पर्य इसी शारीरिक व्यायाम से ही है शारीरिक व्यायाम से एक और शरीर का बल बढ़ता है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है और दूसरी ओर मानसिक बल में भी वृद्धि होती है।

शारीरिक व्यायाम के दो रूप-

शारीरिक व्यायाम भी दो प्रकार का होता है पहला है खेलकूद और दूसरा है नियमित व्यायाम। आधुनिक प्रकार के खेलकूद जिसमें हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट आदि सम्मिलित है। पहले प्रकार के व्यायाम हैं नियमित व्यायाम के अंतर्गत दंड बैठक, दौड़ना, घूमना, कुश्ती लड़ना, योग साधना आदि को रखा जा सकता है यह सभी व्यायाम स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से आवश्यक है।

व्यायाम से लाभ

व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उससे उदारता और सहनशीलता आदि गुणों का विकास होता है। यह नैतिक सामाजिक और राजनैतिक उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है। व्यायाम से शरीर में स्वास्थ्य खून का संचार होता है और हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम करता है। हमारे शरीर का एक-एक अंग पुष्ट होता है और दृढ़ हो जाता है तथा हमारा मन उत्साह से उमंग से उल्लास से भर जाता है।

कहने का तात्पर्य है कि व्यायाम उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है। खेल व व्यायाम सामूहिक जीवन और भाईचारे की भावना को बढ़ाते हैं। खेलों के माध्यम से हमारी खेल भावना का उदय होता है इसके अतिरिक्त खेलों से मनुष्य का दृष्टिकोण विस्तृत होता है और मानसिक कार्य करने वालों के लिए शारीरिक कार्य करना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि मानसिक कार्य करने वाले को ज्यादा देर तक बैठना पड़ता है। इसीलिए उनके पाचन तंत्र में दोष उत्पन्न हो जाता है। इस दोष को दूर करने के लिए और मन को शांत करने के लिए दिमाग की थकान मिटाने के लिए शारीरिक व्यायाम विशेष रूप से सहायक सिद्ध होता है।

व्यायाम करते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए

व्यायाम प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है इसके बिना उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना नहीं की जा सकती। किंतु हर प्रकार का व्यायाम प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी नहीं हो सकता। यह भी संभव है कि व्यायाम किसी व्यक्ति के लिए हानिकारक सिद्ध हो समय अवस्था और शरीर की शक्ति के अनुसार ही व्यायाम को अपनाना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति बूढ़ा हो या छोटा बालक दंड बैठक लगाने लगे तो उससे लाभ के स्थान पर हानि ही ज्यादा होगी। इसीलिए व्यायाम के लिए सबसे पहली सावधानी है उचित और उपयुक्त व्यायाम का चयन। अपने स्वास्थ्य और अवस्था के अनुकूल ही व्यायाम की मात्रा निश्चित करनी चाहिए। व्यायाम उतना ही किया जाना चाहिए जितना उचित होगा।

जिससे शरीर को थकान का अनुभव ना हो। हमारे देश में प्राचीन काल से ही अनेक प्रकार के व्यायाम ओं का प्रचलन रहा है। पहलवानी, तलवार चलाना, भाला फेंकना, लाठी चलाना, दंड बैठक लगाना इसी प्रकार के व्यायाम थे जो प्राय हर नागरिक किया करता था। शक्तिशाली नागरिक ही शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करते हैं और यह शक्ति व्यायाम के माध्यम से ही मिल सकती है।

परतंत्रता के काल में व्यायाम योग साधना और खेल का ह्रास हुआ। अब हमारे स्वतंत्र देश की सरकार इस ओर ध्यान दे रही है हर विद्यालय में व्यायाम शिक्षक की नियुक्ति की जा रही है। अभी भी व्यायाम आदि के लिए जिन साधनों और सुविधाओं की आवश्यकता होती है उनका हमारे देश में अभाव है। हमें विश्वास है कि सरकार द्वारा देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए इस और उचित और पर्याप्त प्रयास किए जाएंगे ।

Leave a Comment