नवरात्रि क्या है और नवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?

नवरात्रि क्या है

नवरात्रि में देवी शक्ति के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है।

नवरात्रि का त्यौहार साल में दो बार आता है। साल में प्रथम बार चैत्र माह में यानी अप्रैल – मार्च के महीने के बीच पहला नवरात्रि आता है उसके बाद सितंबर अक्टूबर के महीने में नवरात्रि दूसरा त्यौहार आता है।

नवरात्रि शब्द का अर्थ होता है नव (नौ) रात्रि (रात )। 9 दिनों के अवसर में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। रात्रि शब्द सिद्धि के लिए संकेत माना होता है । रात्रि में सिद्धियां सहजता से प्राप्त हो जाती है।

इसलिये ही हमारे ऋषि मुनियों ने पूजा, ध्यान, अर्चना, भक्ति के लिए रात्रि को दिन के फलस्वरूप अधिक बल दिया है। यही कारण है कि दिवाली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि पर्व त्योहारों को रात में ही मनाने की परंपरा है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है

ऐसा माना जाता है कि इन 9 दिनों के समय में माँ धरती पर रहती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। ऐसे में बिना सोचे समझे यदि किसी शुभ कार्य कि मनुष्य शुरुआत करता है, तो उस मनुष्य का कार्य सफल होता है। और मां की कृपा दृष्टि सदैव उस पर बनी रहती है।

ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था। और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की उत्पत्ति की थी। इसीलिए चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नया साल भी शुरू होता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में जन्म लिया था और इस धरातल की स्थापना की थी। इन 9 दिनों के पीछे वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में 1 साल की चार संधियां है जिसमें से मार्च और सितंबर माह मैं आने वाली गोल संधियों मैं साल के दो मुख्य नवरात्र मनाए जाते है।

अप्रैल के महीने में से गर्मी बढ़ने के कारण से ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाते है फलस्वरूप रोग बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है ऐसे में नवरात्रि के त्योहार में व्रत, पूजा पाठ कर करके शरीर की शुद्धि क्रिया हो जाती है।

नवरात्रि के पहले दिन से ही मां शक्ति की पूजा आराधना के लिए फल फूल माता की चुनरी चौकी आम के पत्ते सभी चीजों की आवश्यकता होती है। इन नवरात्रों में देवी की आराधना करने पर देवी प्रसन्न होती है और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। जो भक्त सच्चे दिल से मां की भक्ति करता है उसे मां मनवांछित फल प्रदान करती है

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