अभ्यंग की विधि एवं प्रकार – अभ्यंग को तीन भागों में बांटा गया है इन तीन प्रकार की विधियों का प्रयोग अभ्यंग में किया जाता है जो निम्न प्रकार से है
1.Active movement सक्रिय
2.Passive movement निष्क्रिय
3.Resistive movement दुष्ट क्रिया
- Active movement इस प्रकार के मालिश में friction का विशेष रूप से प्रयोग होता है दोनों हाथों से मांसपेशियों को रगड़ना घर्षण कहलाता है । जो रक्त संचार को तेज करके मांसपेशियों को चुस्त व नरम बनाने के लिए की जाती है । यह मालिश का प्रमुख अंग है इसे बीच-बीच में दोहराया जाता है । इसका प्रभाव मुख्य रूप से मांसपेशियों व टिशूज पर पड़ता है इससे गठिया पर प्रभाव पड़ता है ।
- Passive movement इसके अंतर्गत हल्की थपकी संपन्न ताल आदि का प्रयोग होता है । यह उंगलियों अथवा हथेलियों से पूरे शरीर में दिया जाता है । यह week ligament में अत्यंत लाभप्रद है । थपकी का प्रयोग अत्यंत कब्ज, स्त्रियों में मासिक गड़बड़ी, पुराना ब्रोंकाइटिस, मूत्राशय व प्रजनन अंगों की कमजोरी में विशेष लाभप्रद है । आडी थपकी, चुटकी, हस्त वध ताल, सभी निष्क्रिय अंग हैं इससे रक्त संचार तीव्र हो करके अंडों की सक्रियता शिथिल होती है ।
- Resistive movement जिस प्रकार आटा गूदा जाता है । उसी प्रकार से मांसपेशियों की इस प्रकार की मालिश के अंतर्गत गोंदा जाता है इसके अंतर्गत आता है । इस प्रकार की क्रिया से मांसपेशियों को आवश्यकता अनुसार देखकर दबाया जाता है । शरीर के विभिन्न प्रकार के जटिल रोगों जैसे गठिया, पोलियो, मोटापा, सायटिका, अंगों का सूखना, पैरों में दर्द, आदि इससे लाभप्रद हो जाते हैं यह दाब रोगी की उम्र व क्षमता को देख कर देते हैं ।
मालिश का तेल – तीन प्रकार के तेल से मालिश की जाती है जो शरीर के लिए लाभदायक हैं।
- शीत प्रकृति का तेल
- गरिमा प्रकृति का तेल
- मिश्रित प्रकृति का तेल
10 मुख्य मालिश के नियम-
Table of Contents
- मालिक सदैव नीचे से ऊपर की ओर करना चाहिए केवल हाई बीपी वालों के लिए ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें
- मालिश का स्थान समतल होना चाहिए
- मालिश का दबाव रोगी के क्षमता अनुसार ही होना चाहिए
- मालिश के समय हर अंग पर 5 मिनट तक अभ्यंग किया जा सकता है
- बुखार फोड़े फुंसी उपवास उल्टी दस्त आदि में अभ्यंग करना वर्जित है
- मालिश करने वाले के नाखून कटे होने चाहिए
- मालिश सुबह के समय करनी चाहिए
- मालिश के पश्चात गर्म पानी से स्नान करवाया जाना चाहिए
- मालिश का स्थान बिल्कुल स्वच्छ होना चाहिए
- ठंडे मौसम में मालिश का स्थान गर्म एवं गर्म मौसम में मालिश का स्थान ठंडा होना चाहिए
अभ्यंग के मुख्य 10 लाभ-
- अभ्यंग वात दोष में लाभदायक है।
- अभ्यंग करने से हड्डियां हड्डियां मजबूत होती हैं।
- मालिश के द्वारा मनुष्य की त्वचा मुलायम बनी रहती है और चमकती है।
- रक्त परिवहन अच्छा होता है जिससे विजातीय द्रव्य का निष्कासन होता है।
- मांसपेशियां लचीली बनी रहती है जल्दी से हार्ड नहीं होती है।
- मालिश के पश्चात निद्रा बहुत ही अच्छी आती है।
- Fat को कम करता है एवं शरीर को सुडौल बनाता है।
- मालिश द्वारा रोम छिद्रों से विजातीय द्रव्यों का निष्कासन होता है।
- अभ्यंग से जीवनी शक्ति सुदृढ़ होती है।
- अभ्यंग के बाद शरीर में स्फूर्ति आती है।