डायबिटीज क्या है, कैसे होती है? डायबिटीज के उपचार के लिए कुछ जरुरी योगासन व यौगिक निर्देश

डायबिटीज:– मधुमेह आज के समय में एक आम समस्या हो गयी है। अब यह बिमारी सहजता से हर दूसरे तीसरे व्यक्ति में देखने को मिल जाती है । अब समस्या यह है कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाया। आज हम आपको बतायेगे डायबिटीज से निपटने के लिये कुछ यौगिक उपाय । लेकिन सबसे पहले यह जान ले कि यह बिमारी इतनी जादा तेजी से क्यो फैल रही है। इसका कारण क्या है।

डायबिटीज (शुगर) क्या है? (What is Diabetes in Hindi)

जिस प्रकार से गाडी को चलाने के लिये ईधन की आवश्कता होती है। ठीक उसी प्रकार हमारी कोशिकाऔ तथा शरीर के अंगो को चलाने के लिये ईधन के रुप में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। हमारे द्धारा लिये गये भोजन के पचने पर इसी को हमारे पचान संस्थान द्धारा ग्लूकोज में परिवर्तित कर दिया जाता है। अब हमारी कोशिकाये ग्लूकोज का सीधा उपयोग स्वतः नही कर सकती है। इसके लिये उसको इंसूलिन नामक हार्मोन की जरुरत होती है। यह हार्मोन पेनक्रियाज नामक ग्रंथि द्धारा स्त्रावित किया जाता है।

यदि पेनक्रियाज ग्रथि किसी कारण से बिमार है या इसके द्वारा ठीक से इंसूलिन नामक हार्मोन का उत्पादन नही किया जा रहा है या कम मात्रा में किया जा रहा है तो कोशिकाये ग्लूकोज का उपयोग नही कर पाती है। जिसके फलस्वरुप हमारे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढने लगती है। और इसी उच्च रक्त शर्करा स्तर की अनियन्त्रित अवस्था को मधुमेह या डायबिटिज कहते है।

डायबिटीज होने का मुख्य कारण क्या है? (Diabetes Causes in Hindi)

  1. डाईबिटीज पहला मुख्य कारण है चलने फिरने की कमी । अर्थात आजकल जादातर लोगो के पास अपने वाहन हो गये है जिस कारण से मोटर साइकल या कार इत्यादि से चलना लोग अपनी शान या फैसन समझते है। जिसके कारण से वह बिलकुल भी पैदल नही चलते । पैदल न चलने के कारण पेनक्रियाज कमजोर हो जाती है। और खाना ठीक से नहीं पचता।
  2. गलत तरह का खान पान अत्यधिक मात्रा में मीठी चीजे औैर कार्बोहाइडेट युक्त भोजन करना।
  3. तनाव भी एक इसका मु़ख्य कारण है । तनाव से ग्रसित व्यक्ति को भी मधुमेंह के लक्षण दिखाई देने लग जाते है। वर्तमान समय में हमारी जीवन शैली ही कुछ ऐसी हो गयी है कि हमारे द्धारा शारीरिक कार्य बहुत कम औैर मानसिक कार्य मशीनो के माध्यम से किये जा रहे है। जिसके फलस्व़रुप तनाव हो ही जाता है जो मधुमेह का एक कारण बनता है।
  4. इसके बाद फिर हमारी पेनक्रियाज नामक ग्रंथि को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करना पडता है। और इस पर अधिक दबाव आ जाता है। और यह ग्रन्थि कमजोर हो जाती है। फलस्वरुप ब्लड और पेशाब में मधुमेंह के लक्षण दिखाई देने लगते है।

डायबिटीज के लक्षण (Diabetes Symptoms in Hindi)

  • बार बार पेशाब करने जाना
  • जननांगों में खुजली होना
  • संपूर्ण शरीर में दर्द व थकावट की अनुभूति
  • रक्तचाप हृदय रोग उत्पन्न होना
  • धमनियों का कड़ा होना
  • कानो व आंखों को ऊर्जा उचित मात्रा में न मिलने के कारण आंखों की ज्योति व सुनने की शक्ति कम होना
  •  फोड़े फुंसी को लगी चोट इत्यादि के घाव शीघ्रता से ठीक ना होना
  • खून के गाड़े पन को कम करने के लिए सामान्य से अधिक प्यास लगना
  • अधिक पेशाब से पानी की कमी के कारण त्वचा सूखी व पैर के तलवों में जलन की अनुभूति होना
  • मीठे पदार्थों से ऊर्जा उत्पादन होने के कारण शरीर की  धातु छय होकर अचानक शरीर भार कम होना

डायबिटीज (मधुमेह) का यौगिक ईलाज

इस बात से सभी चिकित्सक अवगत है कि डायबिटीज (मधुमेह) का संपूर्ण निराकरण संभव नहीं है। चिकित्सक, रोगी की दवाओं को रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने के लिए बढ़ाते जाते हैं। लेकिन यह कोई समाधान नहीं हुआ। इस बात से यह स्पष्ट हो जाता है कि वर्तमान आधुनिक  चिकित्सा पद्धति के पास इस रोग को दूर करने का कोई स्थाई समाधान नहीं है वह केवल उठे हुए लक्षणों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं अतः इस परिस्थिति में योग चिकित्सा  के द्वारा ही डायबिटीज (मधुमेह) पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

कहीं मधुमेह के योगाभ्यासी रक्त शर्करा के स्तर को नीचे रखने के लिए इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भरता से  छुटकारा पा लेते हैं या निरंतर योगभ्यास से उन्हें इंसुलिन बहुत कम मात्रा में लेना पड़ता है।  यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह का अभी  हाल ही में पता चला है और वह  किसी अन्य रोग से भी पीड़ित नहीं है तो योग चिकित्सा द्वारा वह अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है कुशल योग चिकित्सक के निर्देशन में वह योगिक दिनचर्या अपनाते हुए इस रोग को समूल नष्ट कर सकता है।

योग रोग के मूल कारणों पर काम करने के साथ साथ बाह्य कारणों को भी ठीक करने का प्रयास करता है। योग फिर से प्राण ऊर्जा को बढ़ाकर आंतरिक रूप से आये बदलावो पर काम करके उनका पुनर्गठन करता है।


योग द्वारा डायबिटीज (मधुमेह) का उपचार


डायबिटीज का योगिक उपचार थोड़ा कठिन अवश्य है। इसलिए किसी योगिक संसाधन युक्त आश्रम या योग केंद्र में रहकर उपचार किया जाए। प्रारम्भ में कम से कम एक महीने का समय यौगिक क्रियाओं को अवश्य देना चाहिए । जिससे की आप सभी योगिक क्रियाओ ओर अभ्यास को ठीक से धारण कर ले। इस रोग का ईलाज किसी योग चिकित्सक की देखरेख में होना चाहिए। निरंतर मरीज की रक्त ओर मूत्र  में शर्करा जाँच के लिए नजदीक कोई  व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रारंभ में यह इसलिए आवश्यक है कि इस समय मरीज के शर्करा में कमी आने लग जाती है और यदि इस समय इंसुलिन की मात्रा कम न की जाए तो मरीज को बेहोशी आ सकती है और यदि अनुमान लगाकर यह कार्य किया जाए तो कई प्रकार की विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती है इसलिए यह कार्य किसी चिकित्सक की देखरेख में सहजता पूर्वक संपन्न किया जा सकता है।

डायबिटीज के लिए योगासन

निचे दिए गए योगाभ्यासो को किसी योग्य व अनुभवी योग शिक्षक की देखरेख में ही करे। और
मधुमेह के अलग-अलग रोगियों के लिए योगाभ्यास रोग की अवस्था  के अनुरूप ही होते है।
डायबिटीज के लिये आसन

पवनमुक्तासन भाग 1 एवं दो वज्रासन समूह । सूर्य नमस्कार क्षमतानुसार अभ्यास करें। हलासन, मत्स्यासन, अर्द्धमत्स्येद्रासन, मयूरासन,

सर्वागासन,

सर्वांगासन
सर्वांगासन

पाश्चिमोतानासन,

पश्चिमोत्तानासन

भुजंगासन,

भुजंगासन

गोमुखासन ।

डायबिटीज के लिये प्राणायाम

नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, भ्रामरी, शीतली एवं शीतकारी,

डायबिटीज के लिये षट्कर्म

नेति,कुंजल,

शिथिलीकरण – शवासन में लेटकर उदर श्वसन, योग निद्रा।

ध्यान – ध्यान अवश्य करे डायबिटीज में अन्य महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बाते  –

डायबिटीज के लिये आहार (भोजन) –

  • आरंभ से ही कम  कार्बोहाइड्रेट एवं कम स्टार्च वाला  एवं बिना शक्कर का शाकाहारी भोजन लेना चाहिए।
  • सभी मीठे भोज्य पदार्थ जैसे चावल, आलू एवं सभी मीठे पदार्थ बन्द करने चाहिए। दूध, तेल व मसाले व इनसे निर्मित चीजो को कम से कम इस्तेमाल करने का प्रयास करे ।
  • चोकर युक्त आटे की चपातियां तथा हरी पतेदार सब्जियां हल्की उबली या बेक की हुई  अवस्था मे लेनी चाहिए। एक दो फल और सलाद भी लिया जा सकता है।

व्यायाम – प्रत्येक दिन खुली हवा में टहलना लाभप्रद होता है । औषधियां शर्करा कम करने वाली गोलियां कम करके धीरे धीरे योगाभ्यास कर्म के दौरान बंद कर देनी चाहिए ।

समय- योग कार्यक्रम तथा भोजन की नियमितता कम से कम 6 महीने तक या अधिक लंबी अवधि तक जारी रखना चाहिए ताकि बीमारी पुनः ना लौटने पाए । 

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