दोस्तों आज कोरोना वायरस से सम्पूर्ण संसार भयभीत है और इसकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसका उपाय अभी तक दुनिया के किसी व्यक्ति के पास नहीं है तो इससे यह पता चलता है कि हम अभी इसको खत्म करने के विषय में नहीं जान पाये हैं। परन्तु कुछ सावधानियां हैं। जिनका यदि हम अनुसरण करें तो कुछ हद तक इसके फैलने के प्रभाव को कम किया जा सकता है। किस प्रकार इसको फैलने से रोका जा सकता है।
कोरोना वायरस के लक्षण-
- सूखी खांसी, जुखाम।
- सांस लेने में समस्या का महसूस होना, ऑक्सीजन की कमी हो जाना।
- खांसी, जुखाम के साथ बुखार का आना।
- संक्रमण के समय पहले बुखार फिर सूखी खांसी तथा इसके बाद सांस लेने में समस्या देखी गई है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर हो जाती है।
कोरोना के संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है-
- साफ सफाई का विशेष ध्यान दें।
- किसी व्यक्ति से हाथ मिलाने के बजाय दूर से ही नमस्ते की प्रक्रिया को पूरा करें तो दोनों के लिये हितकर होगा।
- प्रतिदिन हाथ-पांव को साफ रखें, संभव हो तो नित्य स्नान करें।
- अपने कपड़ों को धूप में सूखायें यदि संभव हो तो चादर, पंखी, तकिया, रजाई तथा पहनने वाले कपड़े आदि।
- यदि आप थोड़ा शारीरिक अभ्यास करे सकते हैं या योग के माध्यम से 30 मिनट का अभ्यास भी शारीरिक गर्मी प्रदान करने के लिये उत्तम होगा।
- ह्रदय रोग, फेफड़ो के रोग, अस्थमा, मधुमेह, किडनी की बीमारी विशेषकर गर्भवती महिलाओं को एकांत में रहना चाहिए उन्हें दूसरों के सम्पर्क में न आने दें।
- चेहरे पर मास्क का प्रयोग करें।
- संक्रमित व्यक्तियों के लिये सलाह है कि यदि संभव हो तो एन95 और एन99 मास्क का प्रयोग उत्तम होगा।
- बिना अपने हाथों को धोए अपने मुंख व शरीर पर न लगायें और न ही धुलें।
- बीमार व्यक्तियों के सम्पर्क में जाने से बचें।
- छींकते व खांसते समय टिशु, रुमाल व अपनी बांह का प्रयोग करें, ध्यान रहें छींकने व खांसने के बाद उस टिशु व रुमाल का प्रयोग दुबारा न करें।
- भीड़ से बचें सम्भव हो तो यात्रा को टाल सकते हैं तो उत्तम होगा।
- कोरोना वायरस से सम्बन्धित लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर से सलाह अवश्य लें।
- वाइरस से जुड़ी जानकारी अपने आस-पड़ोस में बांटे तथा इससे भयभीत न हों।
- अपने पालतु जानवरों को एकांत निवास दें तथा उनको दूसरों के सम्पर्क में न आने दें।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिये डॅाक्टर की सलाह लेकर शारीरिक अभ्यास व खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
- प्रातःकाल शुद्ध हवा में भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास व गिलोय का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास किया जा सकता है।
दोस्तों इसके अलावा हमने समाज में देखा है कि कोई व्यक्ति संक्रमित होने पर डाक्टर से मिलने नहीं जाते और वहां से भाग जाते हैं। ऐसा व्यवहार करने से संक्रमित व्यक्ति को तो नुकसान होता ही है तथा दूसरों के लिय भी घातक सिद्ध हो सकता है इसलिए चाहिए कि जागरूक बनें तथा एक-दूसरे की सहायता करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सम्पूर्ण विश्व को जल्दी ही इस वाइरस से छुटकारा मिल जाये, अपना ध्यान रखें।
Aap samaaj ke liye niswaarth seva kar rahe hain..apke dwaara kiya gya soodh smaaj ko jaagruk awsya karega ..yun hi samay samay par marg darsan karte rahen….
बहुत बढ़िया सर जी जो आपने अपने शब्दों में इसके सावधानियां बरतने के तरीका बताया