एक गांव में एक लड़का रामू अपनी सौतेली मां के साथ रहता था। सौतेली मां के दो संतान थी, एक लड़का और एक लड़की। सौतेली मां अपने बच्चों का ध्यान तो सही प्रकार रखती पर उसके लिए बुरा व्यवहार करती थी। खान-पान के सम्बन्ध में भी जो रूखा-सूखा या जो बच जाय उसको दे दिया जाता, पहनने के लिए जो फटे-पुराने कपड़े या सौतेले भाई-बहनों के अस्वीकार कपड़ों को दिया जाता, रहने के लिए भी फर्स ही उसको दिया जाता। घर के कामों में उसका पूरा सहयोग लिया जाता यदि वह कुछ कम, ज्यादा हो जाता तो उसे दण्ड दिया जाता और प्रताड़ित किया जाता।
उनके पास एक गाय थी जिसे रामू रोज सुबह चराने के लिए जंगल ले जाता। उसको जंगल के लिए जो भी सूखी रोटी दी जाती वह उसे गाय को दे देता तथा जंगली फलों को खाकर अपना पेट भरता था। परन्तु किसी दिन फल न मिलते और उसे भूखा ही रहना पड़ता था। पर जो रोटी सौतेली मां के द्वारा दी जाती वह इतनी कठोर होती कि उसे खाना अब संभव न था।
एक दिन जंगल में चरते हुए गाय जो वास्तव में सिर्फ एक गाय नहीं थी। वह एक दिव्य आत्मा थी। जो रामू की परीक्षा ले रही थी। उस गाय के मन में आया कि क्यों न इस बालक पर हो रहे अत्याचारों से इसको छुटकारा दिलाया जाय और यदि इस समय इसकी सहायता न की जायेगी तो यह ऐसे ही भूख से मर जायेगा।
गाय रामू के पास गयी और मनुष्य की भांति बात बोलने लगी कि रामू तेरी समस्यायें आज से मेरी हैं। रामू के समझ में कुछ न आ रहा था कि ये कैसे सम्भव है कि एक गाय कैसे मुनष्य की तरह बोल रही है। परन्तु उसके समझ में भी आ गया कि यह कोई दिव्य शक्ति ही है। तो उसने गाय की बातों पर ध्यान देना शुरु किया।
गाय ने कहा कि जो सूखी रोटी तु मुझे देता है उसके बदले में आज से तुझे जो चाहिए वह सब उपलब्ध करा दूंगी। और बताया कि तुझे जो भी चाहिए वह मेरे कान मे आकर बोल देना। रामू ने ऐसा ही किया उसे भूख लग रही थी तो उसने गाय के कान में खाने की मांग की और उसी समय खाना उपस्थित हो गया। रामू ने भरपेट खाना खाया।
यह क्रम रोज का चलता रहा रामू गाय को अपनी मां का दर्जा दे चुका था क्योंकि वह ही उसका सम्पूर्ण जीवन को व्यवस्थित कर रही थी। रामू गाय को सूखी रोटी देता और गाय उसके बदले खाना, लड्डू, पेड़े आदि स्वादिष्ट खाद्य पदाथों को देती। धीरे-धीरे रामू के स्वास्थ्य मे वृद्धी होने लगी और उसके परिवार वाले उससे जलने लगे कि और सोच में पड़ गये कि यह एक सूखी रोटी खाने से कैसे ह्रष्ट-पुष्ट हो रहा है।
तो उसकी मां ने एक दिन अपने बच्चों को रामू के साथ जंगल में भेज दिया और जंगल में जो घटना हुई तो उसके बच्चों ने सारी घटना घर आकर मां को बता दी। इस पर मां ने उस गाय के पास जाकर बहुत वस्तुओं की बहुत याचना की पर कुछ न मिला और उसे मारा पीटा गया पर कुछ न हुआ। इसलिए उसने विचार किया कि इस गाय को बेच दिया जाय।
ग्राहक बुलाया गया जैसे ही घर में गाय को लेने वाला आया तो गाय ने उसके सामने उग्रता का व्यवहार किया और उसे भगा दिया। वहां पर आया जितना भी समुदाय था उसने गाय को पीटा साथ में रामू की भी पिटाई कर दी । उस रात को रामू ने सोचा कि इस तरह तो ये हमें मार देंगे और अब सायद सूखी रोटी भी नसीब न होगी। इसलिए उसने रात को भागने का फैसला लिया। रात होते ही गाय के पास गया और सारी योजना बतायी।
दोनों घर से भागने में सफल हो गये। जंगल में जाते ही उनके सामने रहने और खाने की समस्या प्रथम थी परन्तु वो चलते रहे दूर पहुंचकर देखा कि एक जगह पर देखते हैं कि एक बड़े वृक्ष के नीचे सात कुण्ड बने थे। उनमें किसी में दूध किसी मे दही पड़ा था। वे आश्चर्य से चकित हो गये कि इस प्रकार के दूध के कुण्ड किसके होंगे। उसने आस-पास देखा और दूध पीकर अपनी भूख शान्त की और वहीं थोड़ी दूर जाकर अपने व अपनी मां के लिये एक पत्तों की कुटिया का निर्माण किया।
शाम हुई रामू दूर किसी झाड़ी में छुपकर देख रहा था कि इस कुण्ड को आंखिर कौन भर रहा है? तभी थोड़ी देर बाद वह देखता है कि वहीं दूसरी ओर से भैंसों का एक झुण्ड उस बड़े से वृक्ष के नीचे आया और विश्राम करने लगे। रामू सोच में पड़ गया कि यह भैसों का झुण्ड यहां पर रहता है। पर इनकी देखभाल कौन करता है? रात को भी वह इसी बात को सोचता रहा। प्रातःकाल हुई और भैसों का झुण्ड अपना चारा ढूंढने के लिये आगे जंगल को चले गये। रामू उनके कुण्डों से दूध दही को एकत्रित कर व्यवस्थित कर दिया।
सारा नीचे का फर्स साफ सुथरा बना दिया। शाम हुई तो सभी भैंस शाम को घर आये तो देखा कि चारा चारों ओर साफ-सफाई, वे आश्चर्य चकित हो गये। दूसरे दिन भी वही कार्य देखकर भैसों ने निर्णय लिया कि जो व्यक्ति हमारे घर को साफ-स्वच्छ रख रहा है उसे हम ढूंढ कर उससे बात करेंगे। उन सात भैंसों ने एक-एक करके बारी लगा दी कि उस व्यक्ति को पकड़ना है। तो एक-एक कर 6 भैंसों की बारी समाप्त हो गई पर उसे कोई पकड़ न पाया।
अंतिम भैंसा एक आंख से अन्धा था तो उसने पानी पीने का बहाना बनाकर अन्धे आंख से पानी की ओर देखता और सही आंख से चारों ओर नजर फैलाता। आंखिरकार रामू को देख ही लिया और उससे पूछने लगा कि हमारी साफई की व्यवस्था कर कहां चले जाते हो। कौन हो तुम? इस पर रामू ने सारी कहानी बता दी। शाम होते ही सारा झुण्ड वहां आ गया और रामू से कहने लगा कि तुम हमारे साथ रह सकते हो इस पर रामू ने कहा कि मैं अकेला नहीं हूं। साथ में मेरी मां भी है। तो इस पर भैंसों ने कहा कि इस बात पर हमें कोई आपत्ती नहीं है। हम सब साथ में मिलजुल कर रह सकते हैं।
सभी भैंसें, गाय तथा रामू एक साथ जंगल में जीवन निर्वाह करने लगे। एक प्रातःकाल रामू वहीं पास में एक नदी पर स्नान कर रहा था। उसके बालों का एक गुच्छा नदी में बह गया और बहते हुए दूर नदी में चलता हुआ दूसरे राज्य में पहुंच गया। उस राज्य की राजकुमारी स्नान कर रही थी। रामू के बालों का गुच्छा उसे मिला तो वह यह सोचने लगी कि जिसके बाल इतने सुन्दर हैं वह कितना सुन्दर होगा।
असल में रामू के बाल सुनहरे रंग के तथा मुड़े हुए घुंघराले थे जिस पर राजकुमारी मोहित हो गई। वह महल गई और अपने पिता राजा को बता दिया कि उसके साथ आज इस प्रकार की घटना हुई है और वह इस व्यक्ति से विवाह करना चाहती है जिसके सुनहरे बाल हैं। राजा अपनी पुत्री को बहुत चाहता था। उसने राज्य के सभी सैनिकों को आदेश दे दिया की इस सुनहरे बाल वाले व्यक्ति को ढूंढ कर राज्य में लाया जाय।
सारी सेना रामू को ढूंढने के लिये निकल पड़ी और एक मास व्यतीत हो गया पर रामू न मिला। थके हारे सैनिक एक दिन उसी जंगल में पहुंचे और रामू के झोपड़े पर विश्राम करने के लिए रुके तो रामू ने उन्हें जल, दूध और दही का स्वाद चखाया। तभी उसमें से एक सैनिक देखता है कि यह तो वही सुनहरे बालों वाला व्यक्ति है।
सैनिकों ने रामू को सारी बात बताई और राजा के सामने प्रस्तुत होने के लिए कहा। इसपर रामू ने अपनी मां से पूछने तथा उनके आदेशानुसार कार्य करने की बात की, राजा के सैनिकों ने शक्त स्वर में कहा कि आपको हमारे साथ किसी भी हालत में चलना ही होगा परन्तु तुम अपनी मां से बात कर सकते हो। वह गाय जो उसकी अपनी मां थी, के पास गया और कहा कि राजा के आदेशानुसार उसे दूसरे राज्य में जाना पड़ेगा तो उस पर उसकी मां ने कहा कि वह राजा के आदेश का पालन कर तुरन्त घर के लिये प्रस्थान करेगा। ठीक है आज्ञा लेकर चल पड़ा।
राजा के समक्ष प्रस्तुत होने पर राजा ने कहा कि मैं तुम्हारे साथ अपनी बेटी का विवाह करना चाहता हूं तथा इस राज्य का राजकुमार बनाना चाहता हूं। रामू को पता न था कि सैनिकों की टोली उसे राजा बनाने के लिए जंगल में आई थी। वह थोड़ा सहम सा गया तभी राजकुमारी ने उसे बताया कि यह सत्य है उसे उसके बालों के कारण उस पर मोहित हो गई थी।
परन्तु रामू का शरीर वास्तव में एक युवा अवस्था को धारण किये हुए था। जिस पर राजकुमारी प्रत्यक्ष देखकर और भी घायल हो गई। रामू को राजवस्त्र धारण कराये गये और राजा ने दोनों का विवाह धूम-धाम से सम्पन्न कराया। इस सुख के अवसर पर राजकुमार तथा राजकुमारी मानो साक्षात स्वर्ग से उतरे देवगणों की भांति चमक रहे थे। हर्षोउल्लास के साथ सारा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। राजा और रानी अपने कार्यक्रमों में व्यस्त होते चले गये।
समय बीतता गया एक वर्ष पश्चात् एक दिन रामू को अपनी मां की याद आ गई वह सोचने लगा कि कैसी होगी उसकी मां, अब तो मिलने के लिए जाना ही होगा उसने कुछ सैनिकों को साथ लेकर जंगल को गया और बड़े वृक्ष के नीचे अपनी सवारी से उतरा तो भैंसे व गाय एक क्षण के लिये डर गये फिर देखते हैं कि कोई राजा अपने रथ से उतरकर दौड़ा चला आ रहा है, पास पहुंचकर देखा कि रामू राजा के वेश में उनके सामने था, सबसे पहले अपनी मां से मिला फिर दूसरे भैंसों से मिला और सारी कहानी बता दी कि वह कैसे एक राजकुमार के पद पर आ पहुंचा है।
देखता है कि उसकी मां अब बूढ़ी होने लगी है देखभाल करने वाला और कोई नहीं है वह आग्रह करने लगा कि वह सब उसके साथ राजभवन में रहने के लिये चलें, इस पर मां ने कहा कि बेटा राजा के बड़े महलों में रहने की उनको कोई इच्छा नहीं है तथा यहां जंगल में पर्याप्त भोजन व पानी की व्यवस्था उपस्थित है ।
ओर हमेशा से ही यही उनका घर रहा है, वैसे भी लोग कहेंगे कि राजा की मां एक गाय है! इस बात पर राजा का अपमान भी हो सकता है इसलिए वह इस प्रकार का हठ न करे तथा अपना कार्य मन लगाकर करे। मां ने बताया कि वह ढलता हुआ सूरज है और रामू के सामने अभी सम्पूर्ण जिंदगी पड़ी है इसलिए उसे चाहिए कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और इस प्रकार का पद उसे प्राप्त हुआ है उसका सदुपयोग करे।
रामू अपनी मां से क्षमा मांगने लगा कि वह कैसे एक वर्ष से उससे मिलने न आ सका क्योंकि वह राजकार्याें को सीख रहा था एवं उनके कार्याें, उठने-बैठने का तरीका, खाने का तरीका, राजपाठ, रहन-सहन आदि को समझ रहा था परन्तु अब ऐसा न होगा। वह हर मास मिलने के लिय आयेगा। इस पर उसकी मां ने कहा कि बेटा मुत्यु निश्चित है और वह एक न एक दिन आनी है ।
हम जानते हैं कि हमारी किस्मत किस प्रकार की थी । और अब किस प्रकार की है, मुझे खुशी है कि तेरा भविष्य साफ-सुथरा एवं उज्ज्वल है इसलिए मेरी यह आज्ञा है कि तू रोज नदी को देखना और जिस दिन नदी का पानी लाल हो जायेगा तो उस दिन समझना कि तेरी मां इस संसार से चली गई है। रामू रोने लगा ऐसा न कहो मां ऐसा न कहो सभी भैंसे व सैनिक इस बात से अनभिज्ञ थे पर वो दोनों जानते थे कि उनके मां पुत्र के सम्बन्ध की कोई सीमा न थी।
बड़ी मुश्किल से दोनों ने एक दूसरे से विदा ली, राज्य में आकर रामू रोज नदी के पास बैठता और अपने पुराने दिनों को याद करता। जब वह सूखी रोटी के बदले भरपेट भोजन करता, और गायमाता शाम को वैसे ही बिना खाये रहती थी। समय बीतता रहा और एक दिन वह दिन आ गया जिसका शायद उसे कभी इन्तजार न था। पूरी नदी का पानी पूरा लाल था।
रामू अपने-आप में कहीं खो गया। माता-पिता का प्यार कभी उसे न मिला था एक वही थी जिसने उसके जीवन को संभाला और उसका पालन-पोषण किया था, पर आज उसकी मां इस संसार में न थी, जीवन जैसे रुक सा गया था। एक राज्य का राजकुमार होते हुए भी वह आज गरीबी महसूस कर रहा था। क्योंकि उसकी मां ने इस संसार को छोड़ दिया था।
दोस्तों हम जानते हैं कि रिश्तों में हम कितने उलझे या सुलझे हैं परन्तु इस कहानी का उद्देश्य यह मानना है कि हम चाहे जिस किसी भी संसार में रहते हों पर हमें प्रेम करना सीखना चाहिए, सम्बन्धों को स्थापित करना सीखना होगा, प्रेम का अर्थ यहां पर सिर्फ मानव व्यवहार के लिय नहीं है, वो है प्रकृति के लिये तथा सम्पूर्ण विश्व में जो भी वस्तु आपको दिखती है । उसका सिर्फ स्वार्थ के लिये ही उपभोग करना ठीक नहीं है । उसका सम्मान उसके पद के अनुसार अवश्य करना चाहिए।
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