प्राचीन समय की बात है । एक अजीब सा पंछी हुआ करता था । उसके दो सर थे। लेकिन शरीर एक ही था। वह उड़ नहीं सकता था। शरीर एक होने के बाद भी उसके दोनों सरो में एकता का अभाव था। दोनों आपस में द्वेष का भाव रखते थे। दो सर होने के कारण उसके दो दिमाग थे ।
दोनों दिमाग विपरीत विचार धारा के मालिक थे। एक आगे जाने की सोचता तो दूसरा पीछे जाने की। ऐसी विषम परिस्थिति में दोनों सदैव एक दूसरे के साथ झगड़ते रहते थे। एक शरीर को आगे खीचता तो एक पीछे। आपस के इस भाव से इन का शरीर खिचातानी का शिकार हो कर रह जाता।
एक दिन वह पानी पिने नदी के किनारे गया । वहा एक आम का पेड़ था। पेड़ के निचे एक आम गिरा था। तभी उनमे से एक सर को वह आम दिखा। उस सर ने फल को देखते ही उस पर चोचमारी। बोला कितना मीठा फल है। तभी दुसरे ने भी उसे खाने का प्रयास किया लेकिन तभी पहले वाले ने उसको पीछे खीच दिया। और बोला इस फल को मेने पाया है। और मै ही खाउगा। ये सिर्फ मेरा है। अपनी गन्दी नजर इसके पास मत ला।
अरे तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे में तुम्हारा दुश्मन हू। तुम ने खाया मेने खाया एक ही बात है। हमें मिल बाट कर खाना चाहिए। और फिर हमारा पेट तो एक ही है । पेट तो हमारा ही भरेगा।
तभी दूसरा बोला अरे मुझे पेट भरने से कोई मत लब नहीं है । स्वाद का मजा लेना भी कोई चीज है । मन को संतुष्टि तो स्वाद का मजा लेके ही मिलती है।
इस पर पहले वाले को गुसा आ गया और बोला मुझे तेरे स्वाद से कोई मतलब नहीं है। फल जब में खाउगा तो डकार तो दोनो लेगे। ऐसा बोलकर उसने फल खाना शुरू कर दिया।
इस पर जिस सर को फल मिला था। उसे गुस्सा आ गया। और वह उस दिन से बदला लेने की फ़िराक में रहने लगा।
एक दिन वह फिर से भोजन की तलाश में थे। तभी दुसरे सर को बदला लेने के लिए एक फल दिखा। वह फल जहरीला था। उसने सोचा यही अच्छा मोका है
वह तुरंत की उस फल की और गया। फल खाने वाला ही था की दुसरे सर ने उसे पीछे खीचा। कहा पागल हो गए हो क्या । अगर तुम ने यह खा लिया तो हम दोनों ही मर जायेगे।
उसने कहा में क्या खा रहा हु तुझे इस बात से क्या मतलब। उस दिन तू बोल रहा था तुझे मेरे स्वाद से कोई मतलब नहीं। तो फिर में कुछ भी करू।
वह नहीं माना और बदले लेने के चकर में उसने वह जहरीला फल खा लिया। द्वेष की इस लड़ाई में वह दोनों ही मर गये ।
दोस्तो घृणा और ईर्ष्या का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है । बुराई हमे गलत राह पर लेकर जाती है । और जिससे हमारा अंत तक हो जाता है। प्रेम बांटिये । यही जीवन की असली परिभाषा है।
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