योग की प्राचीनता व महत्व

योग क्या है

योग प्राचीन समय से चली आयी ऋिषि मुनियो द्धारा तैयार कि गयी एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्धारा हम अपनी आत्मा को परमात्मा से साथ जोड सकते है। योग की परंपरा प्राचीन समय से चली आयी है। जिसका उल्लेख हमे वेदो व पुराणो में कही जगहो पर मिलता है। योग की इस विधा में कही तरह के आसन , प्रणायाम , मुद्रा व बंध ऋषियो द्धारा तैयार किये गये।

जिनका प्रयोग कर मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है। प्राचीन समय में योग की विधा केवल ऋषियो व योगीयो के पास हुआ करती थी। जिसका प्रयोग वह अपने चित को शुद्ध व शरीर को स्वस्थ रखने के लिये किया करते थे।

लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य की दैनिक दिनचर्या कुछ ऐसी हो गयी है वह दिनभर तकनीक से घिरा रहता है। ऐसे समय में योग मनुष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। योग न सिर्फ कही तरह की बिमारियो को मिटाने में सक्षम है बल्कि योग के द्वारा उन बिमारियो को भी खत्म किया जा  सकता है जिनका उपचार ऐलोपैथिक से भी सम्भव नही है।

ऐसे में योग का हमारे दैनिक जीवन में थोडा सा प्रयोग भी हमें स्वस्थ रख सकता है । योग में बनाये गये आसनो को कुछ इस तरह से बनाय गया है कि जिसका हमारे शरीर पर प्रत्यक्ष प्रभाव पडता है। ऋषि मुनियो ने जब अपनी खोज में यह पाया की सिर्फ मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने जीवन की दिनचर्या में अपने शरीर को सही ढग से नही ढाल पाता है। अन्य प्राणी अपने ढंग से जीवन के साथ तालमेल बिठाकर कैसे स्वस्थ रहते है। इसी बात को ध्यान में रखते हुये ऋषि मुनियो ने मनुष्य के लिये आसन तथा प्रणायाम बनाये। जो आज के युग में मनुष्य के लिये किसी वरदान से कम नही है।

प्रणायाम का भी मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व है। जिस के आधार पर वह कही तरह की बिमारियो को अपने शरीर में आने से रोक सकता है। प्राणायाम में सांस के लेने तथा छोडने का खास महत्व बताया गया है।  मनुष्य के शरीर में पाये जाने वाले फैफडो का वह केवल 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा की प्रयोग में लाता है। बाकी हिस्सा यूं ही बेकार पडा रहता है। प्रणायाम व योग के द्धारा हम अपने फेफडो का और अधिक प्रयोग कर सकते है। व खुद को कही तरह की बिमारियो से दूर रख सकते है।

तो मित्रो आऔ करे योग और मिटाये रोग।

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