एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा की गुरुजी सबसे सर्वश्रेष्ठ शिष्य कौन है। तब गुरुजी ने सभी शिष्यो को समझाने के लिये तीन मनुष्य के पुतले बनाये। अब गुरु जी ने पहले पुतले के कान में एक डडी डाली तो वह डडी दूसरे कान से बहार आ गयी। अब गुरु जी ने दूसरे पुतले के कान मे डडी डाली तो वह मुंह से बहार निकल कर आ गयी । अब गुरु जी ने तीसरे पुतले के कान में डडी डाली तो वह नाक, मुंह व हदय को भेदकर पार कर गयी ।
अब गुरु जी ने सभी शिष्यो को समझाते हुये कहा की कुछ शिष्य पहले पुतले के सामन होते। वह गुरुजी की बातो को एक कान से सुनकर दूसरी तरफ से बहार निकाल देते है। और कुछ बच्चे दूसरे पुतले के समान होते है, जो एक कान से सुनकर मुंह से उसको बोल लेते है। पंरतु सर्वश्रेष्ठ शिष्य वही होता है जो इन सब बाते को सुनकर अपने हदय में बिठाकर ईमानदारी, सच्चाई व मर्यादा के साथ इनका जीवन में पालन करता है।
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