एक बार पांच अंधे व्यक्ति होते है । वह एक ही गांव के निवासी होते है। एक दिन गांव में एक व्यक्ति पालतु हाथी लेकर आया । सभी गांव वाले हाथी को देखने गये। तभी किसी से उन पांच अंधे व्यक्तियो से भी हाथी के आने के बारे में बताया। तो वह लोग आपस में बात करने लगे कि हम हाथी को देख तो नही सकते हैं। परंतु हम उसे छुकर के अंन्दाजा तो लगा सकते है कि हाथी कैसा होता है । तो वह सभी उसे देखने के लिये चल पडे।
अब सभी ने एक एक कर के हाथी को छुना शुरु कर दिया।
पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छुकर कहा हाथी खम्बे की तरह होता है।
दूसरे व्यक्ति ने हाथी की पूंछ छुयी तो वह हाथी को रस्सी की तरह होता है सोचने लगा।
तीसरे व्यक्ति ने हाथी की सूड को पकडा तो वह उसे पेड के तने के समान समझने लगा।
चोथे व्यक्ति ने हाथी के कान छुये और हाथी को एक बडे थाल के जैसा मानने लगा।
और पांचवे व्यक्ति ने हाथी के पैट को छुआ । और हाथी को एक दीवार के समान मानने लगा।
अब सभी एक कोने में आकर हाथी के बारे में अपनी बात कहने लगे। अब सभी हाथी को अलग अलग आकार का बता रहे थे। विचारो में मतभेद पैदा होने से सभी आपस में लडने लगे और अपनी बातो पर अडिग थे।
अपनी बात को सही साबित करने के लिये बहस काफी बढ गयी। तभी वहां से एक होशियार व्यक्ति जा रहा था। उसने वहां पर जाकर उनसे बहस का कारण पुछा। सभी ने बहस का कारण बताया तो वह व्यक्ति समझ गया कि माजरा क्या है।
अब उस होशियार व्यक्ति ने बडे ही सुंदर शब्दो में बोला तुम सभी अपनी अपनी जगह ठीक बोल रहे है। लेकिन तुम्हारे विचारो में अंतर इसलिये आ रहा है कि तुमने हाथी के शरीर के अलग अलग भाग को छुआ है। तो सभी ने उस व्यक्ति की बात को मान लिया।
दोस्तो ज्यादातर लोग इन्ही अंधेव्यक्तियो की तरह ऐसी परिस्थिति में अपनी बात पर अडे रहते है और अपनी बात को सही साबित करने की कोशिश करते रहते है । हम उस समय अपने अंहकार की वजह से तथ्य के दूसरे पहलू को समझने की कोशिश किये बिना बेवजह की बहस करते है। हमे सदैव किसी भी बात के और पहलू को समझने की कोशिश करनी चाहिये बजाय बहस करने के ।
सदा याद रखे की की आप के पास केवल हाथी के कान ही कान तो नही बाकी सब सामने वाले व्यक्ति के पास तो नही ।
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