पीलिया क्या है ?
पीलिया यकृत ग्रंथि में होने वाला रोग है। यह भी पित्त के असंतुलन से पैदा होता है। इसे विज्ञान की भाषा में हेपेटाइटिस कहते हैं। यह यकृत में हो रही गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होता है। यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। पीलिया होने पर शरीर का पीला पड़ना, मूत्र में पीलापन, नाखून में पीलापन और आंखों में पीलापन इत्यादि होता है।
पीलिया के लक्षण
- पीलिया होने पर शरीर में हल्का बुखार होता है।
- शरीर में थकावट तथा काम में जीना लगना।
- हाथ पैरों का पीला पड़ना।
- नाखून तथा आंखों का पीला होना।
- पीले रंग का मूत्र होना।
- कुछ भी खाने के बाद उल्टी होना।
- कुछ खाने की इच्छा ना होना।
- भोजन में अरुचि दिखाना।
- धीरे-धीरे पूरे शरीर का पीला पड़ना।
- श्रम करने में कठिनाई।
- खाना खाने के बाद तुरंत उल्टी की इच्छा होना।
पिलिया के कारण
- खाने का ठीक से ना पचने के कारण भोजन में अत्यधिक छारीय पदार्थ ग्रहण करने के कारण।
- गरिष्ठ भोजन करने पर भी यह होता है।
- मुख्य रूप से यह वायरस के इंफेक्शन से होता है।
- अत्यधिक दवाइयों के सेवन से भी यह रोग होता है।
- अधिक नशीले पदार्थों का सेवन करने पर।
- इसमें पित्ताशय में इंफेक्शन होने के कारण यह होता है
- शरीर में कब्ज बढ़ जाने से।
- खाने का ठीक प्रकार से ना पचने के कारण से।
- शरीर में पित्त के असंतुलन पैदा होने से ।
- अनुचित आहार-विहार लेने के कारण भी यह समस्या होती है।
पीलिया के लिए शुद्धि क्रिया
इस रोग के ठीक होने के बाद लघु शंख प्रक्षालन की क्रिया कर सकते हैं। शरीर में पित्त की अधिकता ना हो इसके लिए कुंजल हफ्ते में दो बार कर सकते हैं। अग्निसार क्रिया भी लाभदायक है।
पीलिया के लिए आसन
यदि रोगी ठीक हो तो यथाशक्ति आसन भी करें। जैसे पवनमुक्तासन समय सूर्य नमस्कार दो से तीन बार, पश्चिमोत्तानासन, शशांक आसन, हलासन, मेरु वक्रासन, कटिचक्रासन, पश्चिमोत्तानासन ओर जानू शीर्षासन का अभ्यास इत्यादि कर सकते हैं।
पीलिया के लिए प्राणायाम
आसन के अभ्यास के बाद प्राणायाम अवश्य करें जैसे चंद्रभेदी, सूर्यभेदी, भस्त्रिका, नाड़ी शुद्धि, उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें। मुद्रा और बंद का अभ्यास भी करें जैसे विपरीत करनी मुद्रा और अग्निसार क्रिया।
पीलिया के लिए आहार
संतुलित आहार ग्रहण करें। ताजे फल और सब्जियां खाएं। अत्यधिक मसालेदार चीजें ना खाएं वसा तथा गरिष्ठ भोजन से बचे। आवश्यकता अनुसार भोजन करें। पानी ज्यादा मात्रा में लें । भोजन में मूली के पत्ते तथा छाछ विशेष रूप से उपयोग में लाएं। यह इस रोग के लिए लाभदायक है। नशीले पदार्थों का सेवन ना करें। सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
पीलिया में क्या नही खाना चाहिए
पीलिया अत्यधिक गर्म चीजें खाने के कारण होता है। इसीलिए गर्म चीजों का सेवन कम करें। मांसाहार खाने से बचें। । भोजन के बाद तुरंत ना सोए। खाने को पचने दे। अधिक शर्करा युक्त पदार्थ ग्रहण करें क्योंकि अत्यधिक मीठा खाने से तथा अन्य पदार्थों की अधिकता होने से यकृत का कार्य बढ़ जाता है। जिसकी वजह से वह कमजोर हो जाता है। अत्यधिक विषैली दवाइयों का सेवन न करें। नशीले पदार्थों से बचें संतुलित भोजन करें व्यायाम करें । आवश्यकता से अधिक भोजन न करें। बिना भूख के भोजन ना करे।