यदि संतुलित आहार की बात की जाए तो प्रोटीन उनमे एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके बिना हमारे शरीर की कल्पना भी नही की जा सकती है। यदि प्रोटीन ना होतो हमारे शरीर पर मांस भी ना हो। इसके कारण ही मांस और झिल्लियों का निर्माण होता है। मुख्यतः शरीर में किसी भी प्रकार की क्षति होने पर इसकी पूर्ति प्रोटीन के माध्यम से होती है। जिस कारण इसको मांस सगठक भी कहते है
प्रोटीन का संगठन
मुख्य रूप से इस तत्व में नाइट्रोजन पाया जाता है। नाइट्रोजन शरीर में बाहर और भीतर दोनों और शक्ति उत्पन्न करने में मुख्य भूमिका निभाता है, मज्जा, स्नायु, मांस पिंड, पेशी, रसादि धातुएं नाइट्रोजन का ही रूप है। अतः यदि आहार के रूप में शरीर में नाइट्रोजन की मात्रा उचित रूप से ना पहुंचे तो शरीर से सारे कार्य कर्म बंद हो जाये और समय से पूर्व ही शरीर नष्ट हो जाये। और यदि शरीर में नाइट्रोजन ना हो तो शरीर में ऑक्सीजन का अवशोषण भी बंद हो जाए।
प्रोटीन युक्त आहार से शरीर में नाइट्रोजन वृद्धि तथा स्वस्थ त्वचा का निर्माण व उनका उनका पुनर्जीवन होता है। शरीर में स्वस्थ त्वचा का निर्माण , उनका पुनर्जीवन और नाइट्रोजन में वृद्धि प्रोटीन युक्त आहार से ही होती है और शरीर के भीतर नाइट्रोजनयुक्त एक पदार्थ (जीव द्रव्य) की उत्पत्ति होती है।
जिसके ऊपर ही हमारे सम्पूर्ण शरीर का कार्य निर्भर करता है। इस पदार्थ से ही एक प्रकार की चर्बी बनकर शरीर में संचित हो जाती है। जिसका प्रयोग शक्ति व्यय के समय शरीर द्वारा होता है। प्रोटीन का निर्माण ऑक्सीजन, हाइड्रोजन नाइट्रोजन, कार्बन, गंधक और फास्फोरस के साथ संयोग करने से बनता है और प्राणीजन्य इसकी दो मुख्य किसमें होती है।
प्रोटीन तत्व ऑक्सीजन , हाइड्रोजन , नाइट्रोजन , कार्बन , गंधक तथा फास्फोरस के संयोग से बनता है , और इसकी दो मुख्य किस्में प्राणीजन्य होती हैं । प्राणिज प्रोटीन में अलब्यूमन केबिन , सिटोमिन , मायोसिन , ग्लोब्यूमिन , केसीन आदि आमिष जातीय द्रव्य होते हैं तथा वनस्पति वर्गीय प्रोटीन में ग्लूटेन लेग्युमिन और जिलेटिन भी होते हैं ।
दाल में लेग्युमिन , मैदा में ग्लुटेन , जौ के आटा में केब्रिन रहता है । मास का प्रोटीन जिसको मांसज कहते हैं , दूध के प्रोटीन जिसको दुग्धज कहते हैं , से भिन्न होता है । गाय तथा भैंस के दूध के प्रोटीन तक में भिन्नता पायी जाती है ।
गेहूं के प्रोटीन को गोधूमज कहते हैं , और दालों के प्रोटीन जिन को चणकज कहते हैं एक नहीं होते । और इसी तरह अण्डा में पाये जाने वाला प्रोटीन जिसको डिम्बज बोला जाता है , पनीर में पाये जाने वाले प्रोटीन जिसको किलाटज बोलते है , से सदैव भिन्न होता है । मगर यह भिन्न होते हुए भी इन सबमें प्राकृतिक नाइट्रोजन अंश और बाकी में कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होता है ।
प्रोटीन हमारे शरीर के असंख्य कोषाणुयों का मूलाधार है । कार्बोहाइड्रेट और वसा आदि अन्य छः तत्व शरीर को ताप और शक्ति आदि प्रदान करते हैं , पर प्रोटीन तो खुद शरीर का ही निर्माण करता है । इसलिये यह तत्व , अन्य तत्वों से अग्रगण्य होना ही चाहिये ।
प्रोटीन की उपयोगिता
1. प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों की अधिक आवश्यकता बच्चों की बाढ़ एवं गर्भवती स्त्रियों के लिए होती है । वैसे तो गर्भावस्था में और भी बहुत से तत्वों की आवश्यकत होती है लेकिन अधिक जरूरत प्रोटीन की ही होती है । क्योंकि प्रोटीन शरीर निर्माण करने वाला तत्व है और गर्भ नये शरीर के निर्माण की ही प्रक्रिया है । छोटे बच्चों के लिए भी उनकी बाढ़ के लिए प्रोटीन की आवश्यकता स्वाभाविक है ।
2. बहुत से मोटे और भद्दे व्यक्तियों में प्रोटीन की बहुत कमी होती है इसलिए यह जरूरी है कि वे बसा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों में कमी करके प्रोटीन वाले पदार्थों का अधिक सेवन करें । इसी प्रकार दुबले पतले और कम वजन वाले व्यक्ति भी प्रोटीन युक्त आहार का अधिक सेवन कर मोटे और वजनदार हो सकते हैं ।
3. प्रोटीन की कमी के कारण शरीर दुबला हो जाता है । शक्ति क्षीण हो जाती है । बच्चों की बाढ़ रुक जाती है तथा शरीर में यदि कोई घाव आदि हुआ तो भरने में देर लगती है
4. यह मानसिक शक्ति को बढ़ाता है ।
5. रक्त में पाये जाने वाले हीमोग्लोबीन भी प्रोटीन के द्वारा बनते हैं । प्रोटीन की कमी व अधिकता से हानि जिस प्रकार प्रोटीन की कमी से शरीर को हानि होती है , उसी प्रकार इस तत्व के अधिक सेवन से भी शरीर को क्षति पहुंचती है । उदाहरणार्थ इसकी अधिकता से यकृत और गुर्दे कमजोर हो जाते हैं और आयु कम हो जाती है । एक बड़े डाक्टर का कहना है कि कम मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार सेवन करने वाले की सहन शक्ति अधिक बलवती होती है ।
वह लिखता है कि उसने किसी ऐसे अधिक मांस खाने वाले को नहीं सुना कि वह किसी प्रकार की लम्बी दौड़ में कामयाब हुआ हो । अमेरिकन विद्वान चिटेनडेन के कथनानुसार “ आज का मानव प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन आवश्यकता से अधिक करता है जबकि उससे बहुत कम मात्रा द्वारा शरीर को स्वस्थ एवं आरोग्य रखा जा सकता है। माँस एक ऐसा ही प्रोटीन प्रधान खाद्य है जिसको आजकल के लोग जान छोड़कर खाते है।
प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता
हर एक यक्ति के लिए रोज प्रोटीन की आवश्यकता 4.5 और 6.5 ग्राम काफी होती है। प्रोटीन का पाचन मुख्यतः पेट में ही होता है।
प्रोटीन के स्रोत
यह द्विदल अन्नो जैसे चना, मटर, मूंग, अरहर, तिल, सोयाबीन, आदि तथा मांस मछली अंडा में अधिक मात्रा में पाया जाता है
और अन्य खाद्य पदार्थों जैसे साग सब्जी फल मेवा दूध घी की चीजों तथा गेहूं चावल आदि में कम मात्रा में पाया जाता है।