कब्ज आज के समय में एक आम समस्या हो गयी है। जो पाचन संस्थान में गड़बड़ी होने से होती है। जिस से जीवन मे कभी न कभी हर कोई यक्ति ग्रसित हो ही जाता है। कब्ज होने पर पैट में गैस बनने लगती है और फिर यक्ति को अनेक प्रकार की समस्या होने लगती है जैेसे पेट में दर्द, सिर में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चिड़चिड़ा पन आादि मुँह से बदबु आना आदि कही समस्याये जन्म ले लेती है और अनेक प्रकार के रोग पैदा होने लगते है।
कब्ज के लिये आसन
कब्ज से बचने के लिये आज हम आपको बताने जा रहे है योग आसन जो इस समस्या के निदान में रामबाण का काम करते है। तो आइये जानते है कब्ज में कौन कौन से आसन करे
वज्रासन
कब्ज की समस्या में आप इस आसन का प्रयोग कर सकते है खाना खाने के बाद आपको इस आसन का प्रयोग करना है यह आसन भोजन को पचाने में आपकी सहायता करेगा। जब भी आप भोजन करे सुबह का नास्ता, दिन में खाना,रात्रि भोजन उसके बाद आपको कम से कम पांच मिनिट तक इस आसन का अभ्यास अवश्य करना है। अधिक आप 10 से 15 मिनट अपनी क्षमता के अनुसार करे। यह आसन कब्ज में रामबाण का काम करता है। आईये जानते वज्रसान की विधि ।
- सबसे पहले कम्बल या दरी बिछा ले।
- इसके बाद आराम से बैठ जाये।
- अब धीरे से दोनो घुटनो के बल पर आ जाये।
- दोनो घुटनो के बीच लगभग आधे से एक फीट की दुुरी बनाये।
- दुरी अपने कंधो के हिसाब से बनाये।
- पीछे से दोनो अंगूठे एक दुसरे को टच करते हुये रहेंगे,आप फोटो में भी देख सकते है।
- दोनो हाथ आपके घुटनो के साथ लगे हुये बिल्कुल सीधे रहेगे।
- इसके बाद धीरे धीरे आप अपनी एडीयो के उपर नीचे बैठ जाये।
- आपकें दोनो हाथ घुटने के उपर रहेगें।
- आंखे बंद।
- कम से कम 5 मिनट इस आसन में बैठे रहै।
और खाना खाते समय पानी का प्रयोग न करे यदि अति आवश्यक हो तो थोडी मा़त्रा में करें।
सुबह उठकर एक गिलास गुनगुना पानी पीकर भी यदि पेट साफ नही हो रहा तो नीचे दिए आसनों का अभ्यास अपनी दिनचर्या में जोड़ दे और इनका अभ्यास करे। इनसे भी पेट साफ होने में मदद मिलेगी।
ताड़ासन
- दोनों पंजो को एकसाथ रखकर या उनके मध्य में थोड़ा दूरी बना कर सीधे खड़े हो जाये।
- दोनों हाथ बगल में रहे।
- शरीर को स्थिर बनाये और
- भार दोनों पंजो पर समान रूप से बांटे।
- दोनों हाथों की उंगलियों को आपस मे फँसाकर हाथों को ऊपर की और उठाये और हथेलियों को ऊपर की ओर रखे।
- दृष्टि को किसी एक बिंदु पर टिकाए और
- श्वाश लेकर भुजाओ, वक्ष, कंधो और हथेलियों को ऊपर की और ताने।
- एड़ियों को ऊपर ऊठाकर पैरो के पंजो और उंगलियों पर खड़े हो जाये।
- कुछ समय तक इसी स्थिर में खड़े रहे और
- फिर हाथों और एड़ियों को धीरे धीरे श्वाश छोड़कर नीचे लाये।
तिर्यक् ताड़ासन
पंजों के बीच 2 फुट की दूरी बनाकर खड़े हो जायें ।
दृष्टि को ठीक सामने किसी एक बिन्दु पर केन्द्रित करें ।
हाथों की उँगलियों को आपस में फँसाकर और हथेलियों को ऊपर को ओर करें ।
श्वास लेकर भुजाओं को सिर के ऊपर उठायें । श्वास छोड़ते हुए कमर से बायीं ओर झुकें ।
आगे या पीछे की ओर न झुकें और न ही धड़ को मोड़ें ।
श्वास को बाहर रोकते हुए कुछ क्षणों तक इस स्थिति में रहें ।
श्वास लें और धीरे – धीरे सीधी अवस्था में लौट आयें ।
दाहिनी ओर से इसकी पुनरावृत्ति करें । सीधी अवस्था से भुजाओं को बगल में लाते समय श्वास छोड़ें । यह एक चक्र हुआ ।
5 से 10 चक्र अभ्यास करें ।
कटि चक्रासन
पंजों के बीच लगभग आधा मीटर की दूरी रखते हुए सीधे खड़े हो जायें , भुजाओं को शरीर के बगल में रखे । भुजाओं को कन्धों की ऊँचाई तक उठाते हुए गहरी श्वास लें । श्वास छोड़ते हुए शरीर को बायीं ओर मोड़ें ।
के दाहिना हाथ बायें कन्धे पर लायें और बायीं भुजा से पीठ को लपेटते हुए बायें हाथ को कमर की दाहिनी ओर ले आयें ।
बायें कन्धे के ऊपर से जितनी दूर संभव हो देखें । गर्दन के पिछले भाग को सीधा रखें और कल्पना करें कि मेरुदण्ड का शीर्ष एक स्थिर बिन्दु है , जिसके चारों ओर सिर घूमता है ।
दो सेकण्ड तक श्वास रोके रखें , और अधिक मुड़ें और उदर में हल्का खिंचाव लाने का प्रयास करें । श्वास लें और प्रारम्भिक अवस्था में लौट आयें । एक चक्र पूरा करने के लिए दूसरी तरफ से इसे दुहरायें ।
घूमते समय पंजों को दृढ़तापूर्वक जमीन पर जमाये रखें । अभ्यास दौरान भुजाओं और पीठ को जितना सम्भव हो शिथिल रखें । अधिक जोर न लगायें ।
गति आरामदायक और सहज होनी चाहिए । बिना झटके या कड़ेपन के आराम से घूमें । 5 से 10 चक्र अभ्यास करें
तिर्यक भुजंगासन
सबसे पहले पेट के बल लेट जाये और पैर सीधे और अंगुलियों को अंदर की और रखे और घुटनो के बीच लगभग आधा मीटर की दूरी रखे ।
हथेलियों को जमीन पर कंधो के नीचे थोड़ा सा बाहर की और रखें।
उंगलियां एक साथ और सामने की ओर रहें।
हाथों सीधा कर दे। और नाभि को भी थोड़ा उठा दे।
सिर को सीधा ओर सामने की ओर रखें, पीछे की ओर सर को ना झुकाए।