एक व्यक्ति ने मुझे कहा कि स्वर्ग और नर्क बहुत दूर नहीं है पास पास ही हैं । दोनों के बीच केवल एक ईट की दीवार है। शायद वह जाकर आया होगा। दायीं और स्वर्ग और भाई और नर्क। स्वर्ग में अप्सराएं नाचती है, सुरापान, खाओ पियो और मौज मनाओ।
नर्क में बेचारे को पीड़ा समय पर खाना नहीं मिलता। नल में पानी नहीं आता । यह सब होता है सर्दी में ठंडा पानी, गर्मियों में गर्म पानी मिलता है।
नर्क में सब उल्टा होता है। इन लोगों को धीरे-धीरे आदत पड़ ही जाती है। बीच में एक ईट की दीवार है। साथ वाले आनंद करते हैं। नृत्य और संगीत की महफिले होती है।
और इधर नर्क वालों को यह सब सुनाई देता है नर्क वाले कहते हैं कि हम इन सब का भोग नहीं करते तो कोई बात नहीं।
लेकिन साथ वाले लोग इसका आनंद क्यों उठाते हैं उन्हें दूर रखना चाहिए। पहले से ही हम दुखी हैं और ऊपर से इन सब लोगों का नाच गाना सुनकर और भी दुखी होते हैं।
नर्क वाले सब लोग इकट्ठा हुए की इसका क्या करें ?
एक ईंट की दीवार है। तोड़ दो। शक्तिशाली होंगे तब ही नरक में गए होंगे। कमजोर हो तो पाप न कर सके।
जो पाप करे वही नर्क में जाता है। लूटपाट की होगी, कितने लोगों के सिर फोड़े होंगे।
सब नर्क वाले इकट्ठा हो गए और दीवार तोड़ दी । चार पांच ईट निकाली और दीवार में खिड़की जैसा आकार बन गया।
स्वर्ग में आनंद आनंद नृत्य चलता है महफिल चल रही है स्वर्ग वालों का ध्यान इधर- गया। आवाज लगाई। “दीवार बंद कर दो। पाप करके आए हो, बंद करो।”
नर्क वाले बोले बंद नहीं होगा। बंद करना हो तो दूर जाओ।
स्वर्ग वाले बोले बंद करो नहीं तो आप पर केस होगा।
नर्क वाले बोले “कितने भी केस क्यों ना करो केस लड़ने वाले सभी यहां हैं इसमें कोई वकील हो तो माफ करना।”
कहने का तात्पर्य यह है कि दुर्जनों का संग नर्क है। निंदा, ईर्ष्या, द्वेष नर्क है। दूसरों को खुशी ना दे सके। अतः अकेले-अकेले जलन करना नर्क है। दुर्जन और कुसंग की सत्ता में जबर्दस्त ताकत है।
जिसका चरित्र नहीं जानते उसका संग नहीं करें शास्त्रों का संग करो।