कोलाइटिस के मुख्य लक्षण | कारण | नियम | उपचार | योगासन | आहार | Colitis hindi

कोलाइटिस

कोलाइटिस पाचन तंत्र की विकृति से उत्पन्न रोग है। यह बड़ी आत में सूजन घाव हो जाने के कारण होता है। यह बड़ी आंत में बहुत सारे घाव बन कर सूजन उत्पन्न कर म्यूकस स्त्राव को बढ़ा देता है । यह ज्यादा गंभीर रोगियों में खून व पिब आना अन्य लक्षण है । यह तनाव बढ़ जाने और एक तरह के वायरस के कारण भी होता है।

निचले हिस्से को छोड़कर कोलाइटिस मुश्किल से छोटी आंत को प्रभावित करता है। जिसे इलियम कहा जाता है । कोलाइटियस से पीड़ित रोगी की आंतों की सतह पर सेल्स डैमेज हो जाते हैं और कमजोरी आ जाती है। यह कई तरह का होता है। कोलाइटिस का पता माइक्रोस्कोप से से लगाया जा सकता है। यह बच्चों में भी हो सकता है।

कोलाइटिस के लक्षण

1.पेट में ऐठन होना।
2.दस्त की स्थिति उत्पन्न होना।
3.डायरिया की समस्या रहना।
4.नींद में कमी आना।
5.बार बार बुखार आना ।
6.बहुत ही जल्दी वजन कम होना।
7.तेजी से वजन कम होना।
8.बच्चों में विकास की कमी होना।
9.शौच करते वक्त दर्द महसूस होना।
10.त्वचा को नुकसान होना किडनी स्टोन की समस्या उत्पन्न होना ।
11.आंखों में सूजन होना।
12.थकावट महसूस होना ।
13.अधिक मिर्च मसाला खाने के कारण पेट में दर्द होना।

कोलाइटिस के कारण

1.यह रोग अत्यधिक खान-पान के कारण होता है।
2.यह वायरस बैक्टीरिया के कारण भी होता है। 3.अत्यधिक मसालेदार भोजन खाने से भी यह समस्या बढ़ जाती हैं।
4.यह तनाव आदि के कारण भी होता है।
5.शरीर में विजातीय तत्व बढ़ जाने के कारण भी कोलाइटिस होता है।
6.यह बड़ी आत में अत्यधिक मल जमा होने के कारण भी होता है।
7.पेट में ज्यादा कब्ज बनने के कारण भी यह समस्या होती है ।
8.पानी की कमी के कारण भी यह रोग होता है। 9.अत्यधिक मैदा युक्त पदार्थों के सेवन से भी कोलाइटिस रोग होता है।

कोलाइटिस के लिए आचरण संबंधी नियम

कोलाइटिस से पीड़ित रोगी को समय-समय पर जांच करानी चाहिए। उसे अपने खाने पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। समय-समय पर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए । रोगी को उचित निद्रा लेनी चाहिए। ठोस पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। हमेशा तरल पदार्थ ही ग्रहण करना चाहिए । पेट में कब्ज न बनने दें । उन्हें तेल दूध और उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। कोलाइटिस के रोगी को उपचार के साथ उचित आहार भी लेना चाहिए । उससे स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर से सलाह दी लेनी चाहिए।

कोलाइटिस के लिए यौगिक उपचार

कोलाइटिस के लिए शुद्धि क्रिया

पेट में ज्यादा कब्ज की शिकायत ना हो इसके लिए शंख प्रक्षालन की क्रिया करें। कुंजल हफ्ते में दो बार कर सकते हैं । नेति का अभ्यास करें ,अग्निसार क्रिया का अभ्यास वर्जित है।

कोलाइटिस के लिए आसन

कोलाइटिस के रोगी को यथासंभव पवनमुक्तासना भाग 1 से शुरू करें । सरलता पूर्वक वज्रासन, मत्स्यासन ,

भुजंगासन,

चक्रासन,

धनुरासन ,

पश्चिमोत्तानासन,

सर्वांगासन ,

पद्मासन ,शवासन आदि का अभ्यास करें।

कोलाइटिस के लिए प्राणायाम

यथाशक्ति प्राणायाम करें ।जैसे -नाड़ी शोधन ,कपालभाति ,शीतली, शीतकारी, उज्जाई प्राणायाम ,का अभ्यास करें।

कोलाइटिस के लिए ध्यान

कोलाइटिस के रोगी को अपने शरीर और मन को स्थिर रखने के लिए ध्यान करना चाहिए। ध्यान से उसे मानसिक स्वास्थ्य मिलता है, शरीर ऊर्जावान महसूस होता है।

कोलाइटिस के लिए आहार

कोलाइटिस के रोगी को आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उसे दवा के साथ-साथ कोलाइटिस में क्या खाएं और क्या नहीं खायें ? अपने खाने पीने पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए इसलिए निम्न बातो का ध्यान रखे –

उसे नमक कम खाना चाहिए। उसे ताजी फल सब्जियों का सेवन करना चाहिए। उबली दाल को पीनी चाहिए। सादी खिचड़ी खानी चाहिए। ,सूप पीना चाहिए ,साथ ही फल और सब्जियों का रस भी लेना चाहिए।

अत्यधिक नमक मिर्च मसाले कोलाइटिस के रोगी के लिए वर्जित है। तले भुने पदार्थ कोलाइटिस के रोगी के लिए निषेध है।

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