आज में आपके साथ एक छोटी की कहानी शेयर कर रहा हूं। जो हाथी के बचपन की गलत अवधारणा पर लिखी गयी है ।
दोस्तो आपने बडे बडे ताकतवर हाथी अवश्य देखे होगे । लेकिन जब हाथी छोटा होता है। तब उसे एक रस्सी के सहारे बंधा जाता है। उस समय वह छोटा होने के कारण से उस रस्सी को तोड नही पाता है। और बार बार प्रयास करने पर भी सफल नही होता है। और मान लेता है कि वह उस रस्सी को नही तोड सकता और उसी रस्सी पर बंधा रहता है ।
अब हाथी धीरे धीरे बडा और ताकतवर हो जाता है और कभी उस रस्सी को तोडने का प्रयास नही करता । उसे लगता है कि वह उस छोटी सी रस्सी को नही तोड पायेगा। और चूपचाप से उसी रस्सी में बधा रहता है ।
क्योकि वह बचपन में मन में एक बात बिठा लेता है कि वह उस रस्सी को नही तोड सकता है। और बडे होने पर कभी प्रयास ही नही करता और जीवन भर उसी रस्सी में बधा रहता है। यदि इस ताकतवर हाथी की ये गलत धारणा कैसे कर के खतम कर दी जाय तो वह एक रस्सी क्या ऐसी कही रस्सीयां एक झटके में तोड सकता है।
चलो वह तो हाथी है लेकिन ज्यादतर लोगो का समय ये सोचने में चला जाता है कि हम नही कर सकते है ।
जबकि स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही बात कही है कि “हम पहले से सारी शक्तियो के स्वामी है वह हम ही जो अपनी आंखो पर हाथ रख लेते है और कहते है कि चारो और कितना अंधेरा है।”
लेकिन हमारी वो गलत अवधारणा बहुत ही छोटी होती है। अगर हम थोडा सा प्रयास करे तो हम उस समस्या का चुटकी बजा के हल निकाल सकते है । जो मन में गलत सोच बैठ जाने से पैदा होती है । चाहे कितना ही कठिन काम हो हमे बार बार बोलना चाहिये Easy है Easy है ।
यदि आप इसी तरह की अन्य ज्ञान वर्धक कहानी पढ़ना चाहते है तो हमारे पेज प्रेरणादायक ज्ञानवर्धक हिंदी कहानी संग्रह पर क्लिक करे और आनंद से पढ़े