एक समय की बात है जब एक शहर के वासी वहां के चोरों से बहुत परेशान थे। लगातार चोरियों की घटना से सबक लेकर एक बार एक नौजवान पुलिस अफसर ने वहां के सारे चोरों को पकडने के लिए रणनिति बना कर सभी चोरों को पकडना शुरू कर दिया। उन्ही चोरेां में से एक शातिर चोर घनू भी था। जब घनू चोर को लगा कि पुलिस उसे भी पकड लेगी तो उसने फैसला किया कि वह शहर से कहीं दूर जाकर छिप जाएगा।
शहर से दूर केरल के किसी सुदूर गांव में वह साधू का रूप धारण कर रहने लगा। घनू चोर बोलने और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में माहिर था। घनू चोर अब साधू बाबा बनकर गांव में रहने लगा अपने प्रवचनों से वह लोगों में एक सन्यासी बाबा और ज्ञानी कहलाना लगा।
एक दिन उसके पास एक व्यापारी आया और घनू चोर यानी कि साधू बाबा के प्रवचन सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। व्यापारी दूसरे दिन फिर से साधू बाबा के पास बहुत सा सामान लेकर आया और बोला बाबा मैं आपके पास अपनी एक समस्या लेकर आया हूं कृप्या मेरी इस समस्या का निवारण करें। इतना कहने के बाद व्यापारी ने एक पोटली निकाली और साधू बाबा के हाथों में थमा कर बोला बाबा आजकल चोरों का आतंक बहुत ज्यादा है
इसलिए कुछ समय के लिए यह सोने की पोटली आपके पास रख रहा हूं। साधू ने यह सुनकर कहा कि चलो इस पोटली को किसी सुरक्षित स्थान पर रख देते हैं। उसके बाद दोनों ने एक बडे पेड के निचे उस पोटली को दबा दिया। अब सारी रात भर घनू चोर यानी की बाबा उस पोटली के बारे में सोचता रहा कि यदि यह पूरा सोना मुझे मिल जाए तो वह शादी भी कर लेगा और पूरा जीवन बहुत ही अच्छा व्यतित होगा । फिर घनू बाबा ने एक योजना तैयार की वह पूरा सोना लेकर यहां से दूर चला जाएगा। उसके बाद वह सीधे उस व्यापारी के घर पहुंच गया । व्यापारी बाबा को देखकर बडा ही खुश हुआ।
उस दिन व्यापारी के घर एक शिक्षक भी आया हुआ था। शिक्षक देख रहा था कि व्यापारी साधू बाबा के लिए बहुत सारे पकवान बनाकर उन्हे खिला रहा है। थोडा देर बाद घनू बाबा ने कहा कि अब वह एक लंबी यात्रा पर जा रहे हैं। व्यापारी यह सुनकर उदासी से बोला बाबा कुछ दिन यह रूक जाते तो अच्छा होता। घनू बाबा ने सन्यासी की भांति कहा भक्त साधूओं का एक ठिकाना नहीं होता है। साधूओं का काम तो घूमकर संसार में ज्ञान बांटना होता है। इतना कहकर घनू बाबा वहां से चला जाता है। थोडा देर बाद घनू बाबा फिर से वहां आ जाता है उसके बाद व्यापारी उनके वापस आने का कारण पूछता है।
घनू बाबा कहता है कि गलती से मेरी धौती में तुम्हारे घर से एक घास का तिनका आ गया है। उसी तिनके को वापस लौटाने आया हूं उसके बाद घनू बाबा यह कहता कि सच्चा साधू कभी किसी दूसरे की वस्तु नहीं लेते इतना कहकर साधू वहां से चला जाता है। उसके बाद शिक्षक ने व्यापारी से पूछा कौन थे वह साधू बाबा फिर व्यापारी ने शिक्षक को अपने सोने की पोटली के बारे में बताया तो शिक्षक यह सुनकर हंसने लगा। और व्यापारी से बोला तुम लूट गए हो। व्यापारी झलाकर बोला क्या मतलब।
फिर शिक्षक ने कहा कोई भी महात्मा अपनी तारीफ खुद नहीं करते मगर यह व्यक्ति अपनी और साधू बाबा होने की तारीफ कर रहा था। अगर यकीन न हो तो खुद जा कर देख लो जहां तुमने सोना दबाया है शिक्षक ने कहा। मौके पर जाकर व्यापारी ने देखा वहां से सोना गायब है। और रोने लगा। शिक्षक ने कहा तुम उसका पीछा करो मैं पुलिस को लेकर आता हूं। इसके बाद साधूबाबा का पीछा करते हुआ पुलिस ने उसे पकड लिया। फिर उसने बताया कि वह कोई साधू बाबा नही है वह एक चोर है। दोस्तों जीवन में आंख बंद कर किसी पर एकदम से विश्वास नही करना चाहिए। चाहे वह साधु ही क्यों न हो।
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