प्रशिक्षण का अर्थ, परिभाषा एवं उद्देश्य | Meaning, Definition and objectives of training in hindi

प्रशिक्षण या अधिशिक्षा का अर्थ :-

प्रशिक्षण शब्द अंग्रेजी भाषा के कोचिंग शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसका अर्थ है सिखाना या अधिशिक्षा अतः प्रशिक्षण शब्द का अर्थ किसी को कुछ सिखाना या प्रशिक्षण देना या सिखाने में मदद करना है शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण शब्द का अर्थ है कमजोर विद्यार्थी को विशेष प्रशिक्षण देकर उनके सर को ऊपर उठाने से लिया जाता है।

साधारण शब्दों में प्रशिक्षण का अर्थ किसी खेल के मैदान में व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को किसी एक विशेष खेल को सिखाने से लिया जाता है चाहे प्रशिक्षण एवं ट्रेनिंग के साथ साथ चलते हैं । किंतु खेल से पहले खेल के दौरान और खेल के बाद में भी प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । प्रशिक्षण देने वाला प्रशिक्षक खिलाड़ी के लिए एक मार्गदर्शक की तरह होता है जो खिलाड़ी को खेल के लिए अच्छे साधनों का चुनाव करने के लिए सहायता करता है । इसके अतिरिक्त खेल के सीखे हुए नियमों का खेल के दौरान खिलाड़ियों में विकास किया जाता है अर्थात सीखे हुए नियमों को खेल के दौरान किसी समय और कैसे प्रयोग में लाना है आदि का ज्ञान प्रशिक्षण से ही आता है।

             प्रशिक्षण से ही खेल खेलने की योजना एवं स्थिति के अनुरूप सुरक्षात्मक एवं आक्रमक होने का ज्ञान मिलता है प्रशिक्षण से ही विभिन्न खेलों की कुशलता एवं तकनीकों को सीखने का शिक्षण नहीं मिलता अपितु खिलाड़ी शारीरिक मानसिक एवं संवेदनात्मक तौर से परिपक्व एवं चुस्त बनता है ।

प्रशिक्षण की परिभाषा

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार
1. एक विशेष खेल के लिए एक व्यक्ति व समूह को प्रशिक्षित करना प्रशिक्षण कहलाता है।

2. प्रशिक्षण खिलाड़ी और टीम को वैज्ञानिक ढंग से खेल कुशलता ओं का प्रशिक्षण देना है।

3. कोचिंग वह नेतृत्व है जिसके द्वारा प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए टीम और खिलाड़ियों को परफॉर्मेंस लेवल को डिवेलप करने का प्रयास करता है।

4. प्रशिक्षण वस्तु की वह आधारशिला है जिसके द्वारा खिलाड़ी एटीएम संबंधित खेल के निम्न स्तर से उच्चतम स्तर तक पहुंचने का प्रयत्न करती है।

प्रशिक्षण (कोचिंग ) के उद्देश्य-

खेल ट्रेनिंग प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य खिलाड़ी को उच्च स्तरीय प्रदर्शन के लिए तैयार करना होता है। खिलाड़ी का खेल प्रदर्शन ट्रेनिंग की वीडियो एवं साधनों की मात्राओं द्वारा निर्धारित होता है । प्रारंभिक रूप से खिलाड़ी का प्रदर्शन उसकी क्षमता पर निर्भर करता है और यह प्रदर्शन क्षमता खिलाड़ी के व्यक्तित्व शारीरिक दक्षता तकनीक युक्ति तथा शारीरिक रचना आदि जटिलता से संबंधित होती है । इन कारकों को ट्रेनिंग द्वारा विकसित किया जा सकता है । अतः इन्हीं कारकों को खेल ट्रेनिंग के मुख्य उद्देश्य के रूप में माना जाता है यह निम्न  प्रकार के हैं।

1.शारीरिक दक्षता –

शारीरिक दक्षता, महाशक्ति, गतिशीलता, सहनशीलता, लचक और अन्य समन्वय योग्यता उच्च स्तर के खेल प्रदर्शन के लिए पूर्व अपेक्षित है । खेल प्रशिक्षण विशेष खेल गतिविधि या खेल के लिए आवश्यक स्वास्थ्य के विकास पर केंद्रित होनी चाहिए । स्वच्छता से वांछनीय स्तर और इसके घटकों का विकास कई वर्षों के सुनियोजित प्रशिक्षण से होता है इसके लिए खिलाड़ियों प्रशिक्षणार्थियों के खेल प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यायाम और प्रशिक्षण विधियों की आवश्यकता होती है।

2. तकनीकी कौशल –

खिलाड़ी के खेल प्रदर्शन का विकास खेलों के गामक क्रियाओं या गतियों के माध्यम से ही संभव है । क्योंकि खिलाड़ी का खेल प्रदर्शन खेल के तकनीकी कौशल द्वारा ही प्रभावित होता है जो कि सभी खेलों में अलग-अलग होती है । खिलाड़ियों की शारीरिक दक्षता के बाद की प्रक्रिया एवं उद्देश्य खिलाड़ियों को तकनीकी कौशल में निपुण करना खेल ट्रेनिंग का उद्देश्य होता है । यह तकनीकी कौशल की ट्रेनिंग सभी खिलाड़ियों में भिन्न-भिन्न पाई जाती है । कुछ खेलों के कौशल को साधारण रूप से सीखने में काम चल जाता है ।

लेकिन कुछ खेलों में ऐसा होता है जिसमें तकनीकी कौशल के साथ-साथ उनमें परिपक़्वता लाना आवश्यक होता है जैसे जिमनास्टिक फुटबॉल कौशल में परिपक़्वता अधिक एवं युक्तियों का प्रयोग कम होता है । जबकि दलीय खेलो मैं तकनीकी कौशल का कम तथा युक्तियों का अधिक प्रयोग होता है । अतः (कमबेड खेल जैसे रमबी आदि) कुछ ऐसे खेल हैं जिनमें शारीरिक दक्षता और तकनीकी कौशल दोनों ही अधिक महत्वपूर्ण हैं।

3. युक्ति पूर्ण क्षमता –

खेल ट्रेनिंग के उपरोक्त दोनों उद्देश्यों की पूर्ति एवं उनमें निपुणता के पश्चात प्रशिक्षक को खिलाड़ी की युक्ति पूर्ण क्षमता का विकास करना खेल ट्रेनिंग का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है युक्ति पूर्ण क्षमता के विकास के लिए तीन मुख्य तत्व को ध्यान में रखना आवश्यक है यह तत्व क्रम से प्रतियोगिताओं के नियमों का ज्ञान तकनीकी कौशल और युक्ति पुणे योग्यता है यह तीनों कारक सभी खेलों में भिन्न भिन्न होते हैं ।

अतः खेलों के अनुसार खिलाड़ी की युक्ति का विकास प्रशिक्षण द्वारा किया जाता है जैसे दलित खेलों में युक्ति असीमित एवं अधिक उपयोग होती है । अतः खेल प्रदर्शन में युक्ति का योगदान बढ़ाने के साथ-साथ खिलाड़ी के एक खेल प्रदर्शन का विकास होता है । इस युक्ति का परिणाम इस तीसरे उद्देश्य की पूर्ति के साथ-साथ खिलाड़ी के शारीरिक दक्षता में पूर्णता तकनीकी कौशल में परिपक्वता एवं युक्तियों में निपुणता प्राप्त करने के बाद खेल प्रदर्शन में वृद्धि करता है लेकिन खेल प्रदर्शन पाने के लिए खिलाड़ियों के व्यक्तित्व का विकास करना भी आवश्यक है।  

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