मुँहासे क्या है ?
मुहांसों को आम बोलचाल की भाषा में कीलें (Pimples) निकलना कहते हैं। मुहासे नौजवान युवक और युवतियों की बीमारी है यह सामान्यता 13 वर्ष से लेकर 24 वर्ष की उम्र तक की आयु तक निकलते हैं।
सामान्यता यह चेहरे पर ही आते हैं लेकिन कभी-कभी शरीर के अन्य भाग जैसे छाती, कमर, पीठ, कंधे पर भी निकल आते हैं और कभी-कभी तो यहां बहुत ज्यादा मात्रा में निकल आते हैं जिसके कारण पूरा चेहरा ढक जाता है।
मुँहासे मुकेश एक प्रकार की फुंसियां है जो यह प्रायः दो प्रकार की देखी जाती है।
पहले प्रकार की वह जो छोटी-छोटी फुंसियों के रूप में निकलती है और फिर दुखती है, फिर पकती है और फिर सूख जाने पर उनके आसपास के खाल को दबाकर उसमें की कीले निकाल देते है फिर उनमें छिद्र हो जाता है जो समय के साथ भर जाता है।
दूसरी प्रकार की मुहांसों की फुंसियां वह होती है जो बिना पके ही काली कील निकलने वाली होती है इस प्रकार के मुहांसों का कारण कफ, वायु या रक्त विकार होता है।
मुंहासे होने के कारण
इस रोग का मुख्य कारण असीमित जीवन शैली और दोष युक्त भोजन है। दोषयुक्त भोजन से चेहरे की त्वचा आवश्यक रूप से चर्बीदार हो जाती है। जिससे वहां की तैलीय ग्रंथियो में वृद्धि हो जाती है और फुंसियों का रूप धारण कर लेती है ।जिन्हें मुँहासे कहते हैं।
अधिक चिकनाई, शक्कर, मांस, शराब, चाय, कॉफी, सिगरेट, आदि मादक द्रव्य तेलिय चीजें, लाल मिर्च, सफेद चीनी, खटाई तथा मसाला आदि अखाद्य वस्तुओं का अधिक प्रयोग करने वाले एवं वासना में जीवन बिताने वाले युवक-युवतियों में यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है।
कब्ज और अजीर्ण से भी यह रोग उत्पन्न होता है। युवतियों में यह रोग मासिक धर्म की खराबी से गड़बड़ी से भी हो सकता है। कफ, वायु एवं रक्त विकार से भी मुंहासे निकलते हैं जो बच्चे दीर्घकाल तक माता का स्तनपान करते रहते हैं उनको भी युवा अवस्था में यह रोग हो जाता है।
पिंपल हो तो क्या खाना चाहिए ?
सामान्यता इस रोग की उत्पत्ति का कारण पेट से है इसलिए मुहांसों से पीड़ित व्यक्तियों को सदैव हल्का, सादा, कम चिकनाई व सुपाच्य भोजन करना चाहिए।
मौसमी फलों जैसे नींबू संतरा अंगूर अनार, नाशपती,पपीता,अमरूद आदि का सेवन करना चाहिए।
ताजा साग भाजी व सब्जियां , सलाद लेना चाहिए।
बिना छने आटे की रोटी खानी चाहिए।
दही और मट्ठा आदि लेना भी ठीक है।
इस बात का ध्यान रखें कि आपकी त्वचा से सदैव पसीना निकलता रहे और आपकी पेशाब साफ सुतरी होती रहे। और पाचन ठीक रहे और कब्ज ना होने पाएं।
पाचन संस्थान को ठीक रखने कब लिए सप्ताह में एक दिन उपवास व्रत करे।
प्रातः गुनगुना पानी ले और रोज योग , व्यायाम करना चाहिए।
मुँहासे में सावधानी
मुहांसों के उपचार के लिए बहुत से लोग कुछ क्रीम का प्रयोग करते हैं इनक्रीस को लगाने से मुँहासे ठीक होने के बजाय वृद्धि पाते हैं । इन क्रीम से शुरुआत में तो मुंहासे कुछ ठीक हो जाते हैं लेकिन हकीकत में इनसे कोई लाभ नही होता है उल्टा हानि जरूर होती है।
मुँहासे के लिए घरेलू उपाय
मुंहासे के लिये निम्नलिखित घरेलू प्रयोग लाभदायक होते हैं
- किसी चौड़े मुंह वाले पात्र में पानी भर कर आग पर रख दें। पानी से भाप निकलने पर उसे आग के ऊपर से नीचे उतार दे और फिर 10-15 मिनट तक चेहरे पर भाप लें ।
उसके बाद मुलायम तौलिया से चेहरे को धीरे – धीरे रगड़ कर साफ करें। फिर ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो डालें । यह प्रयोग प्रति दूसरे तीसरे दिन करें। - प्रातः कालीन सूर्य की किरणों मुहासों के लिए अत्यंत लाभदायी है। इसलिए रोज सुबह
सूर्य की और मुख करके बैठना चाहिए और सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें अपने चेहरे पर लें। कुछ दिनों तक लगातार यह प्रयोग करे। आपको अवश्य ही लाभ होगा। - मुंहासे जब सूख जायें और उनकी काली कीलें दिखाई दे तब उन्हें धीरे – धीरे हाथ से या किसी बड़ी चीज के सिर से दबाकर निकाल दें और उसके बाद चेहरे पर दूध की मलाई मल दें ।
- रात्रि में कागजी नीबू के रस के साथ छुहारे की गुठली घिसकर चेहरे पर लेप करें और थोड़ी देर बाद धोकर मलाई मल दें ।
- रात को कच्चा दूध चेहरे पर मलें और सवेरे उठ कर उसे धो डालें ।
- शुद्ध प्राकृतिक दही लेकर उसमें कपड़े से छनी हुई काली चिकनी मिट्टी मिला ले और रात को सोते समय चेहरे पर पोत कर सोयें । सुबह उठकर धो डालें ।
- सन्तरे का छिलका पानी में पीसकर दिन में तीन बार चेहरे पर मलें ।
- मुलहठी पानी में पीस कर चेहरे पर मलें ।
- मसूर के आटे को घी और दूध में मिलाकर चेहरे पर उबटन करें ।
- धनियां, पठानी लोध , सफेद बच , पीली सरसों , लाल चन्दन , मजीठ , कूठ कड़वी , मालकांगनी , बड़ के अंकुर , सेंधा नमक , काली मिर्च एक – एक तोला , हल्दी आधा तोला मसूर की दाल चार तोला । इन सबको खूब महीन पीसकर और चमेली के तेल में घोटकर घोटकर रख लेवे। स्नान के पूर्व इसमें से लगभग 2 तोला लेकर आधा तोला पीसी भी खरीदा मिट्टी मिलावे और चेहरे पर लेप करें। थोड़ी देर बाद लेप कोमल कर छुड़ा डालें और स्नान कर ले। स्नान के बाद चेहरे पर चमेली का तेल मल ले।