मेरा वक्त बदलेने तो दीजिए
अभी संभले है जरा और संभलने तो दीजिये
कुछ देर लहू और उबलने तो दीजिए
जरा पैरों को खड़े उठने तो दीजिए
सोचा है जो भी मैंने पूरा करूंगी
थोड़ा सा मेरा वक्त बदलने तो दीजिए
तय करके निखर आएगी शख्सियत मेरी
हमराह मुझे आग पर चलने तो दीजिए
यह शीश महल दोड़कर कदमों पर आएंगे
तरकस से मेरे तीर निकलने तो दीजिए
माहौल बदल जाएगा कुछ देर में
जेहनो में जमी बर्फ, पिघलने तो दीजिए