जब विवाह इत्यादि में रुकावट उत्पन्न करता है मंगल ग्रह, तो ऐसी स्थिति को मांगलिक दोष मान लिया जाता है । 35% लोगों की कुंडली में होता है मांगलिक दोष । आयु स्थान पर बैठकर स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां उत्पन्न करता है मंगल दोष ।
कैसे बनता है कुंडली मैं मांगलिक दोष ?
जन्म कुंडली के केंद्र स्थानों पर एवं अष्टम एवं 12 वे भवन पर मंगल ग्रह बैठ जाए तो कुंडली को मांगलिक मान लेना चाहिए । किंतु सप्तम भवन, लग्न भवन, अष्टम भवन एवं 12वे भवन पर मंगल दोष माना जाता है । बाकी के केंद्र स्थानों पर आंशिक मंगल मान लेना चाहिए ।
कब होता है मांगलिक दोष समाप्त ?
अगर कुंडली में मांगलिक दोष विद्यमान हो जाए तो जातक मांगलिक दोष से परेशान रहता है । किंतु अगर सप्तम भवन में बैठा मंगल विवाह इत्यादि में रुकावट हो रही है तो 28 वर्ष के बाद मांगलिक दोष को समाप्त मान लेना चाहिए । किंतु आयु स्थान पर बैठा मंगल जातक को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां देता रहता है ।
क्या करें उपाय मांगलिक दोष प्रभाव को कम करने के लिए ?
- 28 वर्ष के उपरांत विवाह इत्यादि के लिए निसंदेह मंगल के विषय में कोई चर्चा नहीं करनी चाहिए
- अगर बालक की कुंडली में मांगलिक दोष विद्यमान है तो हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए
- अगर बालिका की कुंडली में मांगलिक दोष विद्यमान है तो बरगद के वृक्ष पर जल चढ़ाना चाहिए
- हर 3 साल के उपरांत हनुमान जी के चरणों में एक कच्चा नारियल अर्पित करें मांगलिक दोष से शांति मिलेगी
मांगलिक होने के फायदे
- अगर मंगल लग्न में मेष राशि का होकर बैठा है तो निश्चित ही वह व्यक्ति एक महान योद्धा होता है ।
- अगर मंगल 12 वे भवन पर बैठे हैं तो वह व्यक्ति बहुत ही आकर्षक होते हैं ।
- चौथे भवन पर बैठा मंगल व्यक्ति को निर्णय लेने की क्षमता मैं बहुत आगे कर देता है ।
मांगलिक होने के नुकसान
1. सप्तम भवन का मंगल जातक को जीवनसाथी के प्रति सचेत रहने की सलाह देता है अगर जातक सतर्क ना रहा तो वह जीवन साथी से परेशान हो सकता है ।
2. अष्टम भवन का मंगल जातक को स्वास्थ्य संबंधी विषय पर सतर्क रहने की सलाह देता है । अगर व्यक्ति सतर्क ना रहा तो जातक को परेशानियां उठानी पड़ सकती है ।
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