ध्यान क्या है? –
ध्यान वह विधा है जिसके द्धारा हम अपने मन , मस्तिक और इन्द्रियो पे नियंत्रण बना सकते है । यह उस परम आनन्द का द्धार है जिसके आगे संसार की सारी वस्तुए तुच्छ है । ध्यान के माध्यम से हम अपने दिमाग को तरोताजा व स्वस्थ रख सकते है । ध्यान से हम अपने दिमाग को और अधिक शांत रख करके और विकसित कर सकते है।
यदि और सरल शब्दो में कहा जाये तो, जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिये योग और व्यायाम की आवश्कता होती है, उसी प्रकार दिमाग को संतुलित और सहज रखने के लिये ध्यान की आवश्कता होती है ।
ध्यान कैसे करे
यह भारतीय संस्कृति का मुख्य हिस्सा होने के बाबजूद भी ध्यान की विधियो से काफी कम लोग परिचित है। इंन्टरनेट पर काफी सर्च करने के बाबजूद जो कुछ Article हिन्दी में मिले उनसे संन्तुष्टि न मिलने पर मेने इस विषय पर एक Article लिखा यदि आप को पंसद आये तो Comment अवश्य करे।
यह Article लिखने से पहले में काफी साधुओ से मिला। जो अपना ज्यादातर समय जंगल या किसी शांत जगह पर बिताते है। उनसे ध्यान की कुछ विधिया सीखकर में आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
सर्वप्रथम ध्यान के लिये आपको रोज के लिये एक निश्चित समय और एक शांत जगह का चुनाव करना चाहिये । अब पदमासन या सिद्धासन में बैठकर अपनी आंखे बंद कर लिजिये। यदि आप इन आसनो में नहीं बैठ सकते है तो किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठे । जिसमे आपको सहजता महसूस हो ।
आपकी कमर और गर्दन बिलकुल सीधे रहे । हाथो को अपनी गोद में एक दुसरे के ऊपर रखे या अपने गुटने के ऊपर ज्ञान मुद्रा में रखे ।
अब आंखे बंद कीजिये । पांच बार लम्बी और गहरी साँस ले और छोड़े । अब आप जो सांस ले रहे है, उसका आभास अपनी नासिका के अग्र भाग पर करनें का प्रयास किजिये । इस आभास पर अपना ध्यान केंद्रित किजिये । आप की सांस जो आप लगातार आप ले रहे है। उसके आभास पर नासिकाग्र पर अपने मन को लगाने कि कोशिश किजिये।
सांस को लेने तथा छोडने पर द्रष्टा भाव से एक साक्षी (गवाह ) की भांति अपनी आती जाती साँस को नासिकाग्र पर देखे । शुरु में आपका मन इधर उधर भटकेगा । लेकिन आप बार बार अपने ध्यान को नासिकाग्र पर लाये । इस पर अपने ध्यान को स्थिर करने का प्रयास करते रहे ।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था यह मन आपको कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई ले जायेगा। पर आपको लगातार अपने सांस के आभास में रहना है, और धीरे धीरे आपका ध्यान और गहरा होता जायेगा। और आपका मन आपकी सांस पर टिक जोयेगा। जिस पर आप जल्दी ही नियंत्रण बना लेगे । और आप ध्यान के चमत्कार और लाभ से परिचित हो जोयेगे ।
महान संत कबीर दास जी ने भी एक दोहा कहा था
“ सांस सांस सुमिरन करो और जतन कछु नाही “।।
उनका मतलब भी इसी बात से था । क्योकि यही मनुश्य के लिये श्रेष्ठ उर्द्वागामी मार्ग है।
दोस्तो अपनी ध्यान वाली बात पर वापस आते हुये । आप इसे रोज किजिये । और हो सके तो एक निश्चित समय बांधकर करें। वैसे ध्यान के लिये सर्वोतम समय स्वामी विवेकानंद जी ने सुबह ब्रह्म मुहूर्त तथा सांय जब रात्री का आगमन हो रहा है बताया है । क्योकि इसी समय प्रकृति सबसे शांत होती है ।
और जब भी समय मिले या तनाव, अनिद्रा आदि किसी भी तरह की कोई समस्या जीवन में आये आप ध्यान को प्रथम स्थान दीजिये। और छोटी मोटी बिमारिया तो ध्यान से अपने आप ही ठीक हो जाती है ।
तो दोस्तो इसलिए इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाइये और रोज ध्यान 5 मिनट से 30 मिनट अवश्य करे । धीरे धीरे आप ध्यान के लाभ समझने लगेगे । आप अपनी डेली लाइफ में होने वाले तनाव पर नियंत्रण पा लेगे। और खुद को तरोतजो और तनाव मुक्त रख सकेगे।