वास्तु शास्त्र

आज हम बात करेंगे वास्तु के बारे में वास्तु शास्त्र क्या होता है । यह किसके द्वारा लिखा गया है और क्या यह वास्तव में काम करता है ? वास्तु एक विज्ञान है चाहे आप इस पर भरोसा करें या न ना करें । वास्तु ग्रंथ के लेखक भगवान विश्वकर्मा थे । जिन्होंने इस ग्रंथ की रचना की थी । वास्तु की दो प्रमुख किताबे विश्वकर्मा प्रकाश और समरंगन सूत्रधार उपलब्ध हैं ।

इस ग्रंथ के मुताबिक घर बनाने से पहले आपको अपने घर का वास्तु और जमीन लेने से पहले जमीन का वास्तु आवश्यक रूप से चेक कर लेना चाहिए । कि यह जमीन वास्तु के अनुसार उचित है या नहीं जमीन का आकार आदि सभी चीजों को ठीक से चेक कर लेना चाहिए।

इसके बाद वास्तु के अनुसार बताई गई बातें जैसे आपका किचन आग्नेय कोण में होना बनाना चाहिए जो कि यह सूर्य देवता का स्थान । पढ़ाई का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए और पूजा का स्थान भी ईशान कोण में ही होना चाहिए जो की माँ सरस्वती का स्थान है । वायव्य कोण मैं खाली स्थान होना चाहिए अग्नि कोण और वायव्य कोण में गलती से भी टॉयलेट ना बनाएं ऐसी बहुत सी बातों का वर्णन वास्तु शास्त्र में किया गया है जो की कुबेर और माँ लक्ष्मी के स्थान है । ऐसा क्यों करना चाहिए इससे वास्तु पुरुष पर क्या प्रभाव पड़ता है इससे हमारे दैनिक जीवन में क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं आदि सभी बातें इस ग्रंथ में विश्वकर्मा जी द्वारा विस्तार से लिखी गई है  ।

आदिकाल में जब रावण का शासन था तो उस समय लंका जो कि सोने की बनी हुई थी उसका निर्माण भी विश्वकर्मा जी द्वारा ही किया गया था और लंका नगरी का निर्माण भगवान  विश्वकर्मा जी द्वारा किया गया था । लंका नगरी का निर्माण भगवान शंकर के कहने पर विश्वकर्मा जी ने किया था । क्योंकि माता पार्वती ने हट की थी कि मुझे भी एक सुंदर सी जगह पर रहना है जिस कारण भगवान शंकर ने विश्वकर्मा जी को आदेश दिया था कि वह एक सुंदर स्थान का निर्माण करें । इसके पश्चात उन्होंने सोने की लंका का निर्माण किया था जो कि बाद में रावण के द्वारा भगवान से भीक्षा में मांगी गई थी।

भगवान श्री कृष्ण जी के द्वारा भी द्वारिका नगर का निर्माण विश्वकर्मा द्वारा ही किया गया था । विश्वकर्मा जी को भूमि से संबंधित सभी बातों का ज्ञान था वह किसी योगी से भी कम न थे और उन्हें इस चराचर जगत का संपूर्ण ज्ञान था । इसलिए भगवान ने उन्हें भूमि व भवन निर्माण से संबंधित ज्ञान प्रदान किया था ।

दोस्तों यदि आप जमीन या भवन निर्माण से पहले वास्तु का ध्यान रखते हैं तो आपके जीवन में सुख और समृद्धि का विकास होता है आपका जीवन और सुखमय और अच्छे से व्यतीत होता है यही वास्तु के विज्ञान के पीछे भगवान की इच्छा थी ।

यदि किसी कारण से आपका घर वास्तु के विपरीत हो गया है तो चिंता ना करें आप इसे ठीक करने की कोशिश कीजिए और यदि ठीक नहीं हो सकता है तो आप निरंतर सद मार्ग पर चलते रहें यह स्वयं ही समय आने पर स्वयं ही ठीक हो जाएगा ऐसा हमारा अनुभव बोलता है ।

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