पंचकोश क्या है और किसे कहते है

पंचकोश क्या है

आध्यात्मिक विज्ञान के अनुसार मानव शरीर 5 आयामों (शरीरों) कोशो से मिलकर बना होता है जो मानव शरीर के स्थूल से सूक्ष्म आयामों के लिए उत्तरदाई है।  इन्हें ही पंच कोष कहते है।
पंचकोश पांच प्रकार के होते हैं
1 अन्नमय कोश
2 मनोमय कोश
3 प्राणमय कोश
4 विज्ञानमय कोश
5 आनंदमय कोश

अन्नमय कोश क्या है


अन्नमय कोश  भौतिक शरीर का पहला कोश है जिसका अर्थ है अन्न से बना हुआ। यानी इसका निर्माण अन्न, जल और वायु  के कारण होता है और यह शरीर में विद्यमान रहता है इसलिए इसे अन्नमय कोश कहते है। यह सबसे बाहरी आवरण होता है।

प्राणमय कोश क्या है

यह भौतिक शरीर यानी अन्नमय कोश से अधिक सूक्ष्म होता है। यह सम्पूर्ण भौतिक शरीर मे रहकर उसका संचय करता है। इस कोश का निर्माण इस से अधिक सूक्ष्म कोश करते है ।

अन्नमय कोश एवं प्राणमय कोश दोनों आपस मे मिलकर मानव शरीर का निर्माण करते है। जिसे शास्त्रों में आत्मपुरी बोल जाता है। यह अगले कोशो के लिए आधारभूत संरचना को अस्तित्व में लेकर आते है।
जिस प्रकार भौतिक शरीर मे एक प्राण ऊर्जा विदयमान होती है और उसका आकार एक मानव जैसा होता है ठीक उसी प्रकार प्राणिक शरीर का आकार भी एक सूक्ष्म यक्ति के समान होता है। यह सम्पूर्ण शरीर मे विद्यमान होता है। इसलिए मरने या कटने के बाद भी शरीर मे ऊर्जा विदयमान रहती है।

मनोमय कोश क्या है

मनोमय कोश वह होता है जो वाह्य  एवं आंतरिक जगत के बीच अन्नमय एवं प्राणमय कोशो के साथ एक मानसिक सेतु के रूप में रहता है। इसकी अनुभूति का स्तर चेतन मन है।

विज्ञानमय कोश क्या है

अवचेतन और अचेतन मन को चित के स्तर पर जो जोड़ता है विज्ञानमय कोश कहलाता है।
विज्ञानमय कोश मनोमय में  व्याप्त होता है। यह मनोमय से सूक्ष्म होता है।

आंतरिक ज्ञान इसी स्तर से चेतन मन में प्रवेश करता है। विज्ञानमय कोष वैयक्तिक एवं सार्वभौमिक मन के बीच की कड़ी है । सांसारिक जगत के पीछे का  सत्य का ज्ञान इसी कोश में, इनके जाग्रत होने पर अन्तर्ज्ञान के अनुभव के रूप में  होने लगते है। यह वैयक्तिक एवं सार्वभौमिक मन के बीच की कड़ी है।

आनंदमय कोश क्या है

आनंद के द्वार स्तर को आनंदमय कोश कहते हैं इसमें अतींद्रिय शरीर सुक्ष्मतम प्राण का निवास है।  इसके जागृत होने पर संसार के समस्त ज्ञान मनुष्य को हो जाते हैं वह परम आनंद की अनुभूति करता है।

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