उच्च रक्तचाप क्या है :-
उच्च रक्तचाप आधुनिक जीवन शैली की विकृति से उत्पन्न रोग है। यह हमारी जीवन शैली में हो रहे बदलाव के कारण हो रही है। जैसे अनुचित खानपान भागदौड़ भरी जिंदगी शारीरिक और मानसिक तनाव के कारण होता है।
जीवित रहने के लिए हमारे रक्त के प्रत्येक भाग में धमनियों द्वारा निरंतर पहुंचकर उसे पोषण देता रहता है। यह अत्यंत आवश्यक कार्य हमारे हृदय द्वारा संपन्न होता रहता है। वह पंप की तरह खुलता दबदा रहता है और रक्त को रक्त वाहिनी धमनियों और नलिका में आगे बढ़ता रहता है।
हृदय के रक्त को धमनियों में आगे बढ़ने की क्रिया को रक्तचाप कहते हैं। हृदय की धमनियों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाने के कारण उच्च रक्तचाप की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रत्येक व्यक्ति का सामान्य रक्तचाप 70 से 90 मिलीग्राम होता है। उच्च रक्तचाप 110 से 130 से अधिक का होता है।
उच्च रक्तचाप किसे कहते है
जब तक रक्त नलिकाओं और धमनियों की दशा स्वाभाविक होती है , उनमें लचीला पन होता है और उनके छिद्र खुले होते है। तब तक ह्रदय पर आवश्यकता से अधिक दबाव नही पड़ता। और रक्त सहजता पूर्वक ह्रदय से निकलकर धमनियों और रक्त नलिकाओं द्वारा शरीर के हर एक भाग में पहुँचता रहता है और शरीर का पोषण करता रहता है। लेकिन जब धमनियों ओर रक्त नलिकाओं के छिद्र संकरे पड़ जाते है । तब उस स्थिति में ह्र्दय को रक्त संचालन के लिये अधिक दबाव लगाना पड़ता है और पतले छिद्र वाली रक्त नलिकाओं में रक्त को ढकेलना पड़ता है। इस स्थिति में ह्रदय को अधिक परिश्रम करना होता है इस स्थिति को ही उच्च रक्तचाप कहते है। इसके कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए।
उच्च रक्तचाप के कारण
- आयु के साथ रक्तचाप में वृद्धि होती है।
- यकृत का ठीक से कार्य न करना।
- पाचन ठीक से ना होना।
- अधिक नमक खाने से भी रक्तचाप बढ़ता है।
- रक्त में वसा की मात्रा बढ़ जाने से।
- व्यायाम से भी रक्तचाप में वृद्धि होती है।
- अनिद्रा की समस्या से भी रक्तचाप बढ़ता है।
- शारीरिक क्षमता से अधिक कार्य करने पर रक्तचाप बढ़ता है।
- अधिक जोश बढ़ने पर।
- घबड़ाहट या डर होने पर भी बढ़ जाता है।
- आवश्यकता से अधिक खुशी बढ़ने पर।
- कोई दिलचस्पी भरा दृश्य देखने पर।
- कोई सख्त संगीत सुनने पर
- क्रोध या मानसिक आवेग बढ़ने से
- बार बार अधिक खाना खाना।
- मादक पदार्थो का अधिक सेवन।
- योग और व्यायाम ना करना।
- असंयमित जीवन शैली।
उच्च रक्तचाप के लक्षण
- सिर दर्द होने पर कनपटी या सिर के पीछे दर्द होना।
- चक्कर आना व बेहोशी होना।
- थकान अनुभव करना।
- घबराहट व नाड़ी का धीरे धीरे चलना।
- सीढ़ियां चढ़ने पर सांस फूलना।
- रात्रि के समय बार-बार पेशाब के लिए उठना।
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन होना।
- मानसिक तनाव अपच अजीर्ण अम्लता।
उच्च रक्तचाप के लिये आसन चिकित्सा
नब्ज दर बढ़ाए बिना रक्तचाप में वृद्धि किए बिना शरीर के आंतरिक अंगों की सक्रियता बढ़ाने के लिए रक्तचाप में वृद्धि करने वाले सूक्ष्म व्यायाम व आसन जैसे ताड़ासन, पद्मासन, शवासन, वज्रासन, माजरी आसन आदि।
उच्च रक्तचाप के लिये प्राणायाम चिकित्सा
सूर्यभेदन, शीतली, शीतकारी, उज्जायी, अनुलोम विलोम (नाड़ी शुद्धि) प्राणायाम उच्च रक्तचाप में लाभदायक है।
उच्च रक्तचाप में आहार
उच्च रक्तचाप में जैसे नींबू, संतरा, सेब, नारियल, पानी, आलू, केला, किसमिस, खरबूज, तरबूज, पपीता, विटामिन सी युक्त पदार्थ, अनाज, मक्की मूंग, काले चने, मसूर, अरहर दाल, सोयाबीन मटर, अंकुरित अनाज आदि लेना है ।
उच्च रक्तचाप में क्या खाएं क्या न खाएं
उच्च रक्तचाप में वसायुक्त पदार्थ जैसे घी, मक्खन, अचार, मलाई, दूध, दही, विभिन्न प्रकार के तेल, नारियल सरसों सूरजमुखी तेल से बने पदार्थ जैसे पकौड़ी समोसा इत्यादि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ मैदा युक्त सब्जियां पदार्थ जैसे फूलगोभी, सरसों साग, अरबी, भिंडी नहीं लेने है ।