मोटापा कैसे बढ़ता है
मुख्यतः असन्तुलित जीवन शैली व खान पान का परिणाम मोटापा है। ऊर्जा की आवश्यकता से अधिक भोजन। व्यायाम व शारिरिक श्रम में कमी आधुनिक युग में सभी विकसित और विकासशील देशों में भी मोटापे की समस्या तीव्र गति से बढ़ रही है । क्योंकि जीवन शैली आनंदमय भोग विलास का से पूर्ण व्यायाम व खेलकूद में कमी, एक स्थान पर बैठे रहने के व्यवसाय, वसा एवं शर्करा युक्त अत्यधिक भोजन इत्यादि की आदत में वृद्धि हो जाती है।
तब खाए हुए अत्यधिक पदार्थ ही मेद धातु में परिणित होकर मोटापे की शारीरिक स्थिति सर्जित कर देते है। चिकित्सा की दृष्टि से है जब आयु, लिंग, शारीरिक ऊँचाई के अनुपात से जो निर्धारित शारीरिक भार होना चाहिये । उससे यदि शारीरक भार 10% अधिक हो जाये तो व्यक्ति मोटापा की श्रेणी में आ जाता है ।
मोटापा की परिभाषा :
आयुर्वेदानुसार मनुष्य के शरीर के अंदर धातुओ की उपस्थिति होती है जैसे क्रमशः रस, रक्त, मांस अस्थि मज्जा, मेद एवं शुक्र या रज। इन सात धातुओ का संतुलन ही मनुष्य की स्वस्थता का धोतक होता है। जब असयमित जीवन शैली और अनुचित खान पान से मेद धातु का आधिक्य हो जाता है तो मेद धातु की विषमता को ही मोटापा की संज्ञा दी जाती है।
मेद धातु की वृद्धि से शरीर का भार बढ़ता है। मोटापा के कारण शरीर के विभिन्न संस्थान जैसे ह्रदय परिसंचरण स्वसन एवं उत्सर्जन अनावश्यक बल पड़ता है। जिससे चयापचय संबंधी अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां लगने की संभावना बढ़ जाती है जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, संधिवात इत्यादि । इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति में तेजस्विता की कमी, मानसिक सुस्ती, निराशा, अवसादी मन के लक्षण परिलक्षित होते हैं।
मोटापा के लक्षण क्या है
- शरीर का अत्यधिक भार
- चलने बैठने में कठिनाई
- कार्य क्षमता में कमी के कारण कार्यों की अरुचि
- मेद धातु के आदिक्य से पसीने में विशेष दुर्गंध आना
- सांस लेने में कठिनाई
- आलस्य अधिक आना
- निद्रा का आधिक्य
- पेट का आकार बढ़ना
मोटापा के कारण
- वंशानुगत के कारण माता पिता के मोटापा का संतान में स्थानांतरित होना।
- अत्यधिक शर्करा युक्त भोजन जैसे मिठाइयां चावल आलू गुड शक्कर पूरी कचोरी पकोड़े भटूरे इत्यादि के अत्यधिक प्रयोग से।
- दिन में अत्यधिक सोने से।
- मिर्च मसालेदार नमकीन तली भुनी हुई चीजों के आधिक्य से।
- अधिक मदिरापान से।
- धूम्रपान तंबाकू चाय कॉफी के सेवन से।
मोटापा की चिकित्सा उपचार – Motapa kam karne ka Upay
मोटापे को कम करने के उपाय
motapa kam kaise kare यह ज्यादा मुश्किल नहीं है निचे हम कुछ मोटापा कम करने के लिए अनुचित खान पान संबधी व अन्य आचरण संबधी motapa kam karne ke upay बता रहे है आप उनको अवश्य अपनाये और मोटापा कम करे ।
- शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन न करे। अर्थात जीने के लिए खाये, खाने के लिये नही।
- अत्याहारी के स्थान पर मिताहारी बने।
- खाते समय पानी का प्रयोग न करे।
- खाना खाने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद पानी ना पिए।
- दिन में भोजन करने के तुरंत बाद सोने की आदत छोड़ दे।
- रात्रि में भी तुरंत बिस्तर पर सोने की आदत त्याग दें। अर्थात रात्रि सोने तथा भोजन के मध्य 2 घंटे का अंतराल होना चाहिए
- चाय कॉफी नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।
- अत्यधिक मिर्च मसालेदार भोजन न ग्रहण करें।
- भोजन करते समय जल्दबाजी न करें टीवी इत्यादि बंद रखें।
- शारीरिक व मानसिक श्रम से भागने का प्रयास न करे।
- नियमित तौर पर सामर्थ्य अनुसार जीवन शैली अपनाये।
- नियमित व्यायाम के लिए सुबह शाम एक-दो किलोमीटर टहलने जाये।
- उपवास करे व उपवास के दौरान एक दो चमच्च नीबू का रस पानी के साथ मिलाकर ले।
मोटापा की षट्कर्मीय चिकित्सा
षट्कर्म के माध्यम से Motapa kam karne ka tarika बताया जा रहा है । आयुर्वेद के अनुसार मोटापा वात एवं कफ दोषो की अधिकता के कारण उत्पन रोग माना जाता है। इसी को ध्यान में रखकर षट्कर्मों का चयन ध्यान में रखकर मोटापे के उपचार हेतु किया जाता है।
जो षट्कर्म वात दोष एवं कफ दोष दूर करने में सहायक है।
वात दोष निवारण के लिए जल वस्ति, प्राकृतिक चिकित्सा आधारित एनिमा, लघु एवं दीर्घ शंख प्रक्षालन।
कफ दोष दूर करने के लिए वमन धौति या दंड धौति, वस्त्र धौति या गज करनी, पेट की चर्बी कम करने के लिए नोली एवं अग्निसार क्रिया। नासिक गुहा का कफ दूर करने के लिए जल एवं सूत्र (रबर नेति)।
मोटापा कम करने के लिए योग
मोटापा कम करने के लिए योग एक आवश्यक अंग है जिसके माध्यम से आप मोटापा कम करने के साथ साथ मानसिक और अद्यात्मिक सुख भी कर सकते है। निचे motapa kam karne ke liye कुछ आसन बताये जा रहे है जिन्हें आप अवश्य करे
- सूर्य नमस्कार प्रतिदिन 8 से 10 सेट
- पवनमुक्तासन
- हलासन
- मत्स्य आसन
- धनुराशन
- उष्ट्रासन
- पश्चिमोतानासन
मोटापा के लिये कौन से प्राणायाम करें– Motapa ke liye Pranayama
- वात दोष के लिए सूर्य भेदी,
- कफ के लिए उज्जायी,
- त्रिदोष संतुलन के लिए नाड़ी शोधन,
- भस्त्रिका।