गोलू और बिकी दो दोस्त होते है। बिकी की उम्र लगभग 8 साल और गोलू की 12 साल होती है। एक दिन दोनो खेलते खेलते गांव से दूर पास के जंगल में चले जाते है। जंगल में एक कुआं होता है जिसमें अचानक से गोलू गिर जाता है। बिकी जोर जोर से चिल्लाता है। लेकिन जंगल में कोई भी उनकी मदद के लिये नही आता है। तभी बिकी की नजर कुवे से लटकी हुयी रस्सी पर पडी। फिर बिकी ने उस रस्सी को कुआं में फेका । और गोलू को कहा की रस्सी पकडो। ओर वह गोलू को बचाने के लिये पुरी ताकत से उस रस्सी को उपर खीचने लगा।
थोडी देर के प्रयास के बाद वह गोलू को उपर निकालने में सफल हो गया।
और दोनो एक दूसरे के गले मिलकर रोने लगे। फिर गोलू ने बिकी को समझाया और कहा कि आज तुम न होते तो शायद में भी न होता।
अब गोलू ओर बिकी अपने गांव को वापस चल पडे।
जब उन्होने यह बात गांव में सभी को बतायी किसी ने उनकी बातो पर विश्वास नही किया कि एक आठ साल का बच्चा बारह साल के बच्चे को कुंवे में से रस्सी से खिचकर कैसे बाहर निकाल सकता है। यह तो ना मुमकिन है।
तब वह दोनो गांव के सबसे बुर्जुग व्यक्ति के पास गये और यह सारी बाते बतायी। फिर वह बुर्जुग व्यक्ति बोला यह असम्भव तो नही है लेकिन हो सकता है। अगर हम चाहे तो कुछ भी कर सकते है।
अगर हम किसी काम के प्रति अपनी सोच सकारत्मक रखते है तो वह काम हमारे लिये उतना ही आसान हो जाता है।
उस समय उस जगह पर बिकी के अन्दर केवल सकारात्मक भाव पैदा हो रहे थे। और वहां कोई भी नही था जो उसे नकारात्मक उर्जा देता। उसके गोलू को बचाने के नजरिये ने उसके अन्दर असीम शक्ति पैदा कर दी। और उसने गोलू को बच्चा लिया।
अगर हमारे अंदर उस कार्य के प्रति कोई नकारात्मक सोच पैदा हो जाये तो वह काम हमारे लिये उतना ही कठिन हो जाता है
इसलिये अपने अन्दर एक सकारात्तक उर्जा बनाये रखे और उस कार्य के प्रति यह सोचे कि में उस कार्य को कर सकता हूं तो आप उस कार्य में सफल हो जायेगे।
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