विलासी राजा की कहानी | Hindi Story on Luxuriant King

एक समय की बात है जब एक राजा ने अपने राज्य की सीमाओ को काफी दूर तक फैला दिया। वह काफी समय से अन्य राज्यो से युद्ध कर रहा था। अब उसे लगा कि में मेरे राज्य की सीमा का काफी विस्तार हो गया है , अब में आराम से राज करुगा। और वह अब राजमहल में आकर रहने लगा। वह धीरे धीरे शराब और स्त्रीयो का आदी हो गया। राज्य में क्या हो रहा है और उसके शत्रु क्या कर रहे है, इसकी उसे कोई शुध नही थी ।

राजा के सैनिक भी आलसी हो गये थे, न तो वह युद्ध का अभ्यास करते और न ही किसी नयी रणनीती पर कार्य करते । राजा का ध्यान किसी पर ध्यान न था। वह दिन प्रतिदिन भोग विलास में डूबता जा रहा था ।

एक दिन जब दरबार लगा हुआ था तो राजा के एक पुराने मंत्री ने दरबार में राजा से कहा महाराज आप काफी समय से भोग विलास में लिप्त है। दूसरी तरफ हमारे श़त्रु हमारे खिलाफ शडयन्त्र रच रहे है , और सबसे बडी बात हमारे सैनिक जो सही निर्देशन के अभाव में दिन प्रतिदिन आलसी होते जा रहे है । राजा ने मंत्री की बात को ध्यान से नही सुना और यह कहकर टाल दिया कि हमारा राज्य बहुत बडा है ऐसा करने की कोई भी हिम्मत नही कर सकता है। और यह कहकर राजा पुन भोग विलास में लिप्त हो गये। मंत्री भी यह सब सुनकर हैरान था और वह कुछ नही कर सका ।

कुछ समय बाद राजा के जो सेनापति थे वही राजा के प्रति विद्रोह कर बैठे। और वह शत्रु राज्यो के राजाओ से जा मिले। अब जब राज्य पे आक्रमण हुआ तो राजा की समझ में नही आ रहा था कि में क्या करु ।

जब राजा अपने सैनिको के पास गया तो वह आलसी और युद्ध कलाओ में काफी कमजोर हो गये थे। और सबसे बडी समस्या राजा के सैनिको के पास हथियार भी नही थे। और जो थे भी वह काफी पुराने हो गये थे। जो शत्रु की सेना के सामने टीकने वाले नही थे । लेकिन युद्ध तो निश्चित था। अब जब युद्ध हुआ तो राजा को हार का मुंह देखना पडा ।

दोस्तो कही बार हम जीत की खुशी में इतने डूब जाते है कि आने वाले समय के लिये हमे क्या करना चाहिये या फिर कुछ नया सोचने के बदले हम कही और ही खो जाते है। और स्वंय की जिम्मेदारीयो से भागने लगते है। जिसके हमे भविष्य में गम्भीर परिणाम भुगतने पडते है ।

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