हनुमान जी वायु पुत्र के नाम से प्रसिद्ध है। उनके चिन्ह को अपनी ध्वजा पर धारण करें है। अर्जुन ने वायु अर्थात प्राणों पर विजय प्राप्त की थी।
प्राण चंचल हुआ तो मन चंचल हो जाता है। प्राण स्थिर होने से मन स्थिर हो जाता है। हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो जाने पर मन और प्राण दोनों शांत हो जाते हैं और शक्ति बढ़ जाती हैं।
मनोविज्ञान का यह अटल सिद्धांत है कि मनुष्य जिन विचारों या भावों को पूरी निष्ठा और संकल्प से उसे बार-बार दोहराता है या जिस मानसिक स्थिति में देर तक बना रहता है वही मानसिक स्थिति सदा के लिए उसकी आदत और स्वभाव बन जाती है।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक लेखक जुंग के मतानुसार मनुष्य की नैतिक भावनाओं की जड़ उसके मन में है। मन से ही हमारी गुप्त शक्तियों का विकास होता है।
बजरंग बाण में पूर्ण श्रद्धा रखने वाले और निष्ठा पूर्वक उसके बार-बार दोहराने से हमारे मन में हनुमान जी की शक्तियां जमने लगती हैं।
शक्ति के विचारों में रमण करने से शरीर में वही शक्तियां बढ़ती हैं। शुभ विचारों को मन में जमाने से मनुष्य की भलाई की शक्तियां में वृद्धि होती है।
उसका सचित्र आनंद स्वरूप खिलता जाता है। साधारण कष्टों और संकटों के निरोध की शक्तियां विकसित हो जाती हैं तथा साहस और निर्भीकता आ जाती है।
इस प्रकार बजरंग बाण में विश्वास रखने एवं उसे काम में लेने से कोई भी कायर मनुष्य निर्भय और शक्तिशाली बन सकता है।
बजरंग बाण के श्रद्धा पूर्वक उच्चारण करने से मनुष्य शक्ति के पुण्य महावीर हनुमान जी को स्थाई रूप में अपने मन में धारण कर लेता है।
उसके सब संकट अल्पकाल में स्वतः ही दूर हो जाते हैं। साधक को चाहिए कि वह अपने सामने हनुमान जी की मूर्ति या उनका कोई चित्र रख ले और पूरे आत्मविश्वास सत्य निष्ठा भाव से उनका मानसिक ध्यान करें।
मन में ऐसी धारणा करे कि हनुमान जी की दिव्य शक्तियां धीरे-धीरे मेरे अंदर प्रवेश कर रही हैं। मेरे अंतर चारों ओर के वायुमंडल में स्थित संकल्प के परमाणु उत्तेजित हो रहे हैं।
ऐसे सशक्त वातावरण में निवास करने से मनाशक्ति के बढ़ने में सहायता मिलती है। जब यह मूर्ति मन में स्थाई रूप से उतरने लगे। अंदर से शक्ति का स्रोत खुलने लगे।
तभी बजरंग बाण की सिद्धि समझनी चाहिए। श्रद्धा युक्त अभ्यास से ही पूर्णता की सदी में सहायक होता है। पूजन में हनुमान जी की शक्तियों पर एकाग्रता की परम आवश्यकता है।
पूजा कैसे आरंभ करें
सबसे पहले अपने सामने हनुमान जी की मूर्ति अथवा चित्र रखिए। और चंदन पुष्प धूप आदि से पूजन करें। ध्यान से उन्हें देखें तथा श्रद्धा के साथ प्रणाम करें।
श्रद्धा पूर्वक स्तुति कीजिए। आप तो महावीर हैं। आपमें अतुल बल है आपके बल को कौन तोड़ सका है। आप शारीरिक आध्यात्मिक नैतिक और हर प्रकार के उच्चतम बल्कि साक्षात मूर्ति हैं।
आपकी यह पोस्ट और सशक्त देह वीर्य बल में ऐसी दीप्तिमान है। माना सोने का पर्वत चमक रहा हो।
आप शक्ति में राक्षसों और समस्त आसुरी शक्तियों के वन को जलाने के लिए भयंकर दावानल के समान ज्ञानियों में अग्रणी शक्ल शुभ देवी गुणों से परिपूर्ण वानर सेना के अधिश्वर भगवान राम के प्रिय भक्त और फुर्ती में पवन जैसे पवन पुत्र ही हैं।
अतः में कार्य सिद्धि के लिए आपकी शक्ति प्राप्त करने के लिए आपको नमस्कार करता हूं। इस प्रकार हनुमान जी का श्रद्धा पूर्वक ध्यान करके बजरंग बाण का प्रेम पूर्वक उच्चारण करना चाहिए।
बार-बार दोहराने से यह याद हो जाता है और इसका पाठ करने में समय भी अधिक नहीं लगता यह है वह चमत्कारी बजरंग बाण आप इसके शब्दों और अर्थों पर ध्यान दीजिए
एवं प्रेम से पढ़िए प्रतिदिन एक बार अवश्य दोहराएं बजरंग बाण को कंठस्थ कर लेना चाहिए और कुछ दिन तक महाबली हनुमान के चित्र के सामने श्रद्धा पूर्वक उच्चारण करना तथा उनके गुणों पर मन को केंद्रित करना चाहिए
धीरे-धीरे ऐसा अनुभव होगा कि शरीर के अणु- अणु में नए प्राण और नवीन चेतना फैल रही है नई शक्ति आ रही है मानव शरीर में साक्षात हनुमान जी ही विराज रहे हैं।
यह अपनी शक्तियों को विकसित करने का आध्यात्मिक उपाय है। कष्ट और संकट के समय रात्रि में शांत निद्रा के लिए बच्चों की नजर उतारने के लिए भूत बाधा दूर करने
अकारण प्राप्त भय को नष्ट करने निर्विघ्नम दिन व्यतीत करने के लिए इस चमत्कारी बजरंग बाण को प्रयोग किया जा सकता है। किसी महत्वपूर्ण कार्य पर जाने से पहले इसे स्मरण करना सिद्धि में सहायक होता है।