आहार क्या है
आहार संभवो देह:
आहार से ही संपूर्ण शरीर का निर्माण होता है और आहार से ही यह शरीर चलता है। आहार का हमारे जीवन में विशेष महत्व है बिना आहार के व्यक्ति के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शास्त्रों में शरीर को मंदिर की संज्ञा दी गई है और इस शरीर की सुरक्षा मनुष्य का पहला धर्म है,
यदि शरीर रोगों से ग्रस्त हो जाएगा तो मनुष्य का जीवन नश्वर हो जाएगा। शारीरिक और मानसिक दृष्टि से वह कमजोर हो जाएगा। यदि शरीर निरोगी रहेगा तो मन भी निरोगी रहेगा। शरीर एवं मन को रोगों से दूर रखने के लिए हमें शुद्ध एवं शाकाहारी भोजन और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।
एक बहुत ही पुराना कथन है –
“जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन”
यह सिर्फ कथन नहीं है बल्कि वास्तविकता है क्योंकि आहार ही सबसे बड़ी औषधि है। यदि हम नियमित रूप से संतुलित आहार को अपने जीवन में अपनाएंगे तो हमें कभी औषधियों की आवश्यकता नहीं होंगी और ना ही हमें किसी डॉक्टर वैद्य हकीम के पास जाने की जरूरत पड़ेगी।
श्री कृष्ण भगवत गीता में संतुलित आहार की परिभाषा देते हुए कहते है –
“युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।” 6.17।।
ना तो इतना अधिक खाओ जो अति हो जाए और ना ही इतना कम खाओ कि व्यक्ति भूखा रह जाए। अर्थात सिमित मात्रा में खाने और सोने वाले का ही योग (कार्य) सिद्ध होता है इससे ही कर्मो में कुशलता आती है और दुःख का नाश होता है।
संतुलित आहार क्या है
संतुलित आहार वह आहार है जिसमें सभी पोषक पदार्थ उचित मात्रा में मौजूद हो और जिससे शरीर स्वस्थ रहे व आयु की वृद्धि हो । संतुलित आहार में प्रोटीन,कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, वसा,खनिज ,लवण,जल तथा सभी प्रकार के विटामिन उचित मात्रा में हो।
अर्थात शरीर में न तो किसी विटामिन की अधिकता होनी चाहिए और ना ही कमी साथ में इस बात का भी ध्यान रहे कि भोजन अत्यधिक कठोर ना हो वह पाचन युक्त हो अर्थात आहार उचित मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने वाला होना चाहिए।
संतुलित शाकाहारी आहार के स्रोत
प्रोटीन युक्त- दाल, दूध, दही, मटर, सेम,मूंगफली,बादाम, केला,अंकुरित सलाद इत्यादि।
कार्बोहाइड्रेट- रागी, गेहूं, बाजरा, दलिया, सेब , पपीता
वसा – अखरोट, घी, मक्खन, नारियल।
कैल्शियम – पालक, हरी सब्जियां ,संतरा, सोया, दही, टमाटर ,ब्रोकली, मुनक्का इत्यादि। यह संतुलित आहार के स्रोत है
आहार के असंतुलन से बीमारियां
यदि आहार शुद्ध ना हो या असंतुलित हो तो उस आहार से शरीर में असंतुलन होने लगता है। और शरीर रोगों से ग्रसित हो जाता है जिससे कि पाचन तंत्र से संबंधित रोग उत्पन्न हो जाते हैं ।
यदि पाचन तंत्र अच्छा नहीं रहेगा तो शरीर में अन्य रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं। लगभग शरीर की 70 परसेंट बीमारियां पाचन तंत्र के स्वस्थ्य न होने से होती है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे भोजन को प्रयोग में लाया जाए जिससे कि आपका शरीर एवं मन स्वस्थ एवं निरोगी रहें और हमें दीर्घ आयु की प्राप्ति हो।