साइनोसाइटिस क्या है (What is Sinusitis)
स्वसन प्रदेश का रोग है । यह भी शरीर में कफ बढ़ जाने के कारण होता है ।इसमें स्वसन नलिका में श्लेष्मा की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह रोग होता है । जिसके कारण नाक मुंह बंद होना आदि । यह भी ठंड के कारण होता है। सर्दियों में ठंडे पानी के इस्तेमाल के कारण। बच्चों का ज्यादा देर ठंड में रहने के कारण। फर्श पर बिना मौजों के रहने के कारण। बरसात में भीग जाने के कारण यह होता है। यह एक सामान्य बीमारी है । इसके बढ़ जाने के कारण घातक रोग हो सकता है , इसीलिए इस पर ध्यान देना चाहिए। ज्वार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
साइनोसाइटिस के लक्षण क्या है
1.हल्का बुखार होना ।
2.हाथ पैरों में कंपन उत्पन्न होना ।
3.शरीर में थकावट महसूस होना।
4.हाथ पैर में दर्द होना ।
5.जुकाम के कारण नाक मुंह बंद होना ।
6.श्वसन नली कफ बढ़ने के कारण ।
7.सांस लेने में दिक्कत होना ।
8.बुखार के कारण खाने की इच्छा ना होना।
9.शरीर को ठंड लगना ।
साइनोसाइटिस के कारण क्या है
1.शरीर में ठंड लगने से।
2.कफ की अधिकता से।
3.ज्यादा देर ठंडे पानी में रहने के कारण से ।
4.फर्श पर नंगे पैर रहने पर ।
5.पानी में ज्यादा देर खेलने पर ।
6.ठंडी चीजों के इस्तेमाल के कारण ।
7.तली भुनी चीजे ज्यादा खाने के से ।
8.ज्यादा आइसक्रीम खाने से।
9.धूम्रपान करने के कारण ।
साइनोसाइटिस के लिए आसन
सूर्य नमस्कार अवश्य करें क्योंकि यह गतिशील योगिक आसन है । यह शरीर में गर्मी पैदा करता है। और
पश्चिमोत्तानासन,
भुजंगासन,
हलासन, धनुरासन, अर्धमत्स्येंद्रासन यथासंभव कर सकते हैं ।
साइनोसाइटिस के लिए कौन सा प्राणायम करे
पांच बार कपालभाति अवश्य करें, यह कफ को गलाने में सहायक है।
साइनोसाइटिस के लिए शुद्धि क्रिया
जल नेति का अभ्यास करना चाहिए इससे श्लेष्मा शरीर से बाहर जाती है। सूत्र नेति का अभ्यास यदि संभव हो तो करे।
साइनोसाइटिस के लिए कौन से आहार ले
हल्का आहार ग्रहण करें । शाकाहारी भोजन करना चाहिए। रसाहार ग्रहण करें। फलाहार – जैसे – पपीता ,संतरा ,मौसमी, सेब, हल्की सब्जियां जैसे -मटर ,टमाटर ,लौकी ,तोरी, घीया ,कद्दू आदि लें। ठंडे पदार्थ जैसे -आइसक्रीम ,दूध ,दूध से बने पदार्थ का इस्तेमाल ना करें ।भोजन में लहसुन, प्याज कालीमिर्च , लौंग,इन सभी चीजों का इस्तेमाल करें । गर्म पानी का इस्तेमाल करें । ठंड में और वर्षा ऋतु में शरीर को गर्म ही रखें और शरीर को ठंड से बचाए रखने के लिए चावल में हल्दी का प्रयोग करें और दूध में हल्दी डालकर पी सकते हैं।